मेरे और तुम्हारे बीच
कुछ है अब भी
जो बह रहा है
तैर रहा है
थिरक रहा है
पर इनसे गुजरकर
न तुम मुझ तक आ सकते हो
न ही मैं पहुँच सकती हूँ तुम तक
फिर ये जो
बह रहा है
तैर रहा है
थिरक रहा है
नदी भी तो नहीं है
जिस पर
सेतु बनाया जा सके
पर हमारे बीच
कुछ है अब भी
ये 'कुछ' क्यों है
कौन समझाएगा मुझे...
कौन...?