फाल्गुनी
मेरे चारों तरफ
बहुत कुछ है
जो बहुत अच्छा है
बहुत गहरा है
बहुत आत्मीय है
तलाश है मुझे
एक ऐसे संवेदनशील हृदय की
जिसके साथ
मैं अपने चारों ओर के
बहुत कुछ को
बहुत अच्छे और बहुत गहरे को
बाँट सकूँ,
चाहे वह गुड़हल का सूर्ख
फूल हो
चाहे गहरी हरी दूब हो
चाहे किसी नन्ही चिड़िया की
चहचहाहट हो,
चाहे किसी
अबोध बच्चे की
मुस्कुराहट हो
चाहे किसी पकवान की
सुगंध हो
या फिर
किसी पीड़ित के अश्रुओं की बूँद हो
मैं सब कुछ बाँटना चाहती हूँ
शायद मेरी तलाश
कभी पूरी हो
उस पर किस्मत की भी
मंजूरी हो,
आशाओं का आँचल थामे
प्रतीक्षा है मुझे
एक संवेदनशील हृदय की।