तुम्हारी आँखों का खामोश प्रश्न
फाल्गुनी
तुम्हारी आँखों मेंवह एक खामोश प्रश्न मैं रोज पढ़ती हूँजिसका उत्तर तुम मेरी आँखों मेंतलाशते हो,न मेरी आँखों ने उत्तर दिया है,और न तुम्हारी आँखों नेप्रश्न पूछा है,वे अब तक मिली जो नहीं है,जब तुम देखते हो मुझेमेरी नजर जमी होती है तुम्हारे पैरों परऔर जब मैं देखती हूँतुम्हेंतुम्हारी नजरें टिकी होती हैंमेरी परछाई परडरती हूँ कहींतुम्हारी आँखों कावह एक खामोश प्रश्नअनुत्तरित न रह जाए।