फाल्गुनी
मेरे सपनों में
स्नेह था,
ममत्व था,
औदार्य था
एक आकर्षण था
तुमने मुझे यथार्थ के 'अलार्म' से
उठा दिया अब मेरी उनींदी आँखों में
सपनों की खुमारी तो है, पर
स्नेह, ममत्व और औदार्य जैसे शब्दों को
असहाय सी
खोज रही हूँ
न वे शब्द मिल रहे हैं
और न उनके अर्थ,
तुम्हीं कर सकते थे
यह पीड़क अनर्थ।