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हमें फॉलो करें रोमांस प्रेम कविता प्रेम गीत
बद्री नारायण तिवारी

खोलतहूमैं बार-बार उसका भेजा एसएमएस
पढ़ता हूँ
फिर बैठक करता हूँ
फिर-फिर बैठता हूँ
सोचता हूँ इतना सीधा-इतना सपाट
उसका एसएमएस हो कैसे सकता है
जरूर कोई शब्द, कोई वाक्य
जो मेरे लिए था
टाइप करते वक्त
भेजते वक्त या प्रोसेस करते वक्त
या तो छूट गया होगा
या हो गया होगा कुछ गलती से डि‍लीट
जो गलती से डिलीट हो गया होगा
उसमें क्या रहा होगा
उसमें मेरे लिए कैसा अद्‍भुत स्वप्न रहा होगा
या हो सकता हो अपनी व्यस्तता के कारण लिखना
या कि जल्दबाजी में मेरा एसएमएस
किसी और को
किसी और का एसएमएस मुझे
फॉरवर्ड हो गया होगा
मैं मन को बार-बार समझा रहा था
मन समझ भी रहा था
पर आँखें थीं कि मान ही नहीं रही थीं
और बक-बक बोलती जा रही थीं
मैंने अपनी आँखों को चुप कराना चाहा
अरे मोबाइल मशीन है
उसमें ऐसी गलतियाँ हो जाती हैं

जिसकी आँखों में इतनी नमी थी
जिसकी भीतर गहरा रहे थे कई समुद्र
जो उस वक्त मेरी कविताओं की कल्पनाओं की
उड़ान से भी
ज्यादा तेज उड़ रही थी
जो मेरे प्रतीकों को सही अर्थ में समझ रही थी
जिसे मुझ पर संशय तो था
पर मेरी कविताओं पर था अनंत विश्वास

सेमल के लाल फूल पर बैठे सुग्गे की तरह
जो तीर्यक वाक्यों से मुझे खोलना भी
चाह रही थी
वह ऐसा सपाट संदेश कैसे भेज सकती है
हो सकता है उस वक्त वह
किसी और मूड में हो
या कि घर की या आसपास की
किसी जटिल हकीकत
का सामना करने में
उलझी हो
और सोचा हो - यह तो ऐसे ही भेज देती हूँ
अगले संदेश में कुछ सपनभेजूँगी
लोगो, कई दिन, कई माह हगए
मैं अभी भी करहहूँ
उसकएसएमएइंतज़ार

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