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प्यार करें खिलवाड़ नहीं

पावन रिश्ते को मत करो बदनाम

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हमें फॉलो करें भजनलाल
विशाल मिश्र

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प्रेम संबंधों की शुरुआत में तो लड़का और लड़की हर हाल में एक साथ जीने मरने की कसमें खाते हैं। घर, परिवार छोड़ने यहाँ तक कि अपना धर्म बदलने को भी राजी हो जाते हैं। लेकिन जहाँ यह कथित शादी के बाद उनका क्षणिक आनंद समाप्त होता है तो पता नहीं उनकी वह भावनाएँ कहाँ गुम हो जाती हैं। फिर याद आती है उस बच्चे की जो कि अपनी बात को मनवाने के लिए हर तरह की बात पर राजी हो जाता है लेकिन अपनी शर्त पूरी होने पर सब भूल जाता है।

ऐसे लोग आखिर पूछकर देखें अपने आप से कि क्यों शुरू में इतने उग्र हो गए थे। क्यों बदनाम कर रहे हैं इस विवाह रूपी पवित्र रिश्ते को। यहाँ पर इसे इस अर्थ में न‍ लिया जाए कि मैं लव मैरिज की मुखालिफत कर रहा हूँ या कहना चाह रहा हूँ कि अरेंज मैरिज में पारिवारिक विवाद नहीं होते।

हाल ही में हुई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन की लव मैरिज की बात करें। बमुश्किल उन्होंने फिज़ा से शादी की जिसके लिए वह धर्म परिवर्तन कर चाँद मुहम्मद बनने को भी राजी हो गए। अनुराधा बाली ने भी ‍अपना धर्म बदलकर मुस्लिम धर्म अपनाया। पिता ने भी उन्हें अपनी जायदाद से बेदखल कर दिया।

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लेकिन अचानक ये क्या हो गया कि वो लापता बताए जाते हैं। उनकी पत्नी फिज़ा उर्फ अनुराधा बाली उनके अपहरण का आरोप उन्हीं के सगे भाई कुलदीप बिश्नोई पर लगा रही हैं। इससे व्यथित फिज़ा ने नींद की गोलियाँ भी खा लीं। उन्हें इलाज के लिए चंडीगढ़ के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ उनकी हालत खतरे के बाहर बताई जा रही है।

एक साथ जीने-मरने की कसमें खाने वाले और सात जन्मों तक साथ रहने का वादा करने वाले आज 2 महीने से भी कम समय में बिछुड़ते नजर आ रहे हैं। आखिर चूक कहाँ हो गई है। शादी करने वालों से, परिवार वालों से या समाज के नियमों से। किसे सही ठहराएँ और किसे गलत। लेकिन आज इनका विवाह संबंध खतरे में पड़ गया है।

आखिर ऐसी शादियों को कोई भी समाज मान्यता क्यों दे रहा है। क्यों उस पवित्र रिश्ते को बदनाम कर रहा है उन लोगों के लिए जो कि इसकी अहमियत नहीं समझ रहे। इनसे तो अच्छे वो विवाहित जोड़े बेहतर हैं जो दोनों साथ रहते हुए मेहनत-मजदूरी कर एक अच्छे जीवनसाथी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

क्या ऐसे युवा शादी का मतलब मजाक में नहीं ले रहे हैं मानो प्लेट में रखा मनपसंद खाना हुआ जब तक मन भाया उसे चखा और उसके बाद प्लेट को उठाकर धोने में रख आए। क्या यह पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण नहीं है जिसमें प्रेमी युगल अपनी औलाद को गोद में लेकर शादी रचाते हैंया फिर शादी करने के कुछेक घंटे में ही तलाक की खबर आ जाती है।

अनेक विदेशी जोड़े आज भारत में आकर शादी करते हैं। पूछने पर बताते हैं कि आखिर यहाँ के वैवाहिक संबंध जीवन पर्यंत बने रहने के कारण क्या हैं। इसलिए इसी विधि विधान के अनुसार बँधकर हम भी एक ही शादी की इच्छा रखते हैं। फिर आखिर क्यों इस देश में चाँद मोहम्मद और फिज़ा जैसे लोग भारतीय संस्कृति को बदनाम करने में लगे हैं।

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