Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

प्रेम का 'खास' अहसास...

Advertiesment
हमें फॉलो करें प्रेमियों वैज्ञानिक प्रमाण पहला प्यार
SubratoND
प्रेमियों के संसार में एक बिल्कुल अलग तरह का मस्तिष्क काम करता है। इस स्थिति को कहा जा सकता है कि ऐसे समय दिल, दिमाग पर हावी हो जाता है। इसके वैज्ञानिक प्रमाण भी मौजूद हैं।

यूरोपीय देशों के डोरोथी टेनाय नाम के एक मनोचिकित्सक ने 400 लोगों का अध्ययन किया और पता लगाने की कोशिश की कि पहला प्यार होने में उन्हें कैसा लगता था। उन सभी ने इस बात को स्वीकार किया कि 'कुछ-कुछ' होते समय वे जैसे हवा में उड़ रहे होते हैं। यह एक अलग किस्म का अहसास होता है। पूरे शरीर में एक नशा, सुरूर और अपने प्रिय के पास पहुँचते ही दिल की धड़कन में खास तरह का बदलाव। शोधकर्ताओं ने प्यार होते समय इस पूरी श्रृंखलाबद्ध क्रियाओं को समझने की कोशिश की है।

'फिनाइल इथाइल एमाइन' यानी 'पीईए' रसायन को 'लव रसायन' के रूप में जाना जाता है। यही वह रसायन है जो रोमांस के समय दिमाग में सुरूर पैदा करता है। प्यार होने के समय या कहें अपने प्रेमी को देखते समय जब इस रसायन का स्राव होता है तो इसका असर पूरे शरीर मेंदिखाई पड़ता है। मसलन शरीर की इंद्रियाँ इतनी क्रियाशील हो जाती हैं कि कम रोशनी में भी सब कुछ साफ-साफ दिखाई पड़ने लगता है, जिस समय आप घर में ऊँघ रहे होते हैं, उस समय अजीब चुस्ती-फूर्ति का अहसास होता है।

इस रसायन की एक गैर रोमांटिक खुराक भी होती है। तेज झूला झूलते समय, ऊँचाई से नदी में छँलाग लगाते हुए, चॉकलेट खाने या तेज मोटरसाइकल चलाते समय शरीर में एक विशेष प्रकार की उत्तेजना होती है। शोधकर्ता मानते हैं कि यह आनंद ऐसे ही रसायन के कारण होता है।

'पीईए' से एक अवयव न्यूरोकैमिकल डोपामाइन भी निकलता है। प्रेम-प्यार में इसकी क्या भूमिका हो सकती है हाल ही में इसका रोचक प्रयोग भी हुआ है। यह सभी जानते हैं कि चूहों के अंदर सूँघकर पता लगाने की असाधारण क्षमता होती है। तमाम रोगों के अलावा अपने साथी को प्रजनन के उपयुक्त होने न होने का पता भी चूहे सूँघकर लगा लेते हैं। एक प्रयोग में शोधकर्ता, चूहों के एक समूह में जिस किसी को भी डोपामाइन की अतिरिक्त मात्रा इंजेक्शन से दे दी जाती थी, मादा चुहिया उसे प्रजनन के लिए चुन लेती थी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो नर चूहे को मादा चुहिया द्वारा प्रजनन के लिए चुना जाना इस बात पर निर्भर करता था कि उसके अंदर डोपामाइन का अतिरिक्त रिसाव हो रहा है कि नहीं।

इसी डोपामाइन से ऑक्सीटोन नामक रसायन निकलता है। सनद रहे कि महिलाओं में बच्चा पैदा करने और बच्चों को दूध पिलाते समय इस रसायन का खासा दखल होता है। शोधकर्ता मानते हैं कि प्रेमियों के आपस में एक-दूसरे को बाँहों में भर लेने और चूमते समय निकलने वाले ये रसायन वास्तव में महिलाओं को मातृत्व की तैयारी करवा रहे होते हैं। इन रसायनों को पालन-पोषण करने वाला रसायन भी कहा जाता है।

इसी तरह शोधकर्ताओं ने प्यार करने वालों के दिल में धक्‌-धक्‌ होने का वैज्ञानिक कारण भी खोज निकाला है। जब युवा उसके पास पहुँचते हैं, जिसे वे दिलोजान से ज्यादा चाह रहे होते हैं तो उनका दिल ऐसे धड़कने लगता है जैसे वह उछलकर बाहर आ जाएगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस समय मस्तिष्क में नोरेपाइनफ्रीन नामक सरायन का स्राव हो रहा होता है। यही रसायन एड्रेरनालाइन हारमोनों को उत्तेजित कर देता है। इसके ही प्रभाव से जब प्रेमी अथवा प्रेमिका एक-दूसरे के पास पहुँचते हैं तो उनका दिल तेजी से धड़कने लगता है।

प्रेमियों के संसार में एक बिल्कुल अलग तरह का मस्तिष्क काम करता है। इस स्थिति को कहा जा सकता है कि ऐसे समय दिल, दिमाग पर हावी हो जाता है। इसके वैज्ञानिक प्रमाण भी मौजूद हैं। हम अपने सामान्य क्रियाकलापों के लिए दिमाग के 'कोरटेक्स' क्षेत्र का इस्तेमाल करते हैं जबकि भावनात्मक निर्णयों के लिए 'लिम्बिक तंत्र' जिम्मेदार होता है। सनद रहे कि जब हम रोमांस के समय मनुष्य के अंदर जिस पीईए रसायन के स्राव की बात करते हैं वस्तुतः ये सब रसायन लिम्बिक तंत्र में ही अपना असर दिखाते हैं।

यदि प्यार-मोहब्बत से थोड़ा बाहर जाकर बात करें तो योद्धाओं को जब बहादुरी दिखाने का समय आता है तो ऐसे ही कुछ अन्य तरह के रसायन ही मस्तिष्क के लिम्बिक तंत्र को अपनी पकड़ में ले लेते हैं। और सरल भाषा में कहा जाए तो भावनात्मक संबंधों के समय मनुष्य का लिम्बिक तंत्र वाला हिस्सा अचानक सक्रिय हो उठता है, जिसे हम अपनी भाषा में कह देते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से कहा जाए तो वहाँ दिल, दिमाग में नहीं बल्कि छाती में पसलियों के बीच कहीं पंप की तरह खून धौंकने में लगा होता है।

धीरे-धीरे दिमाग इन रसायनों का आदी हो जाता है या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कुछ सालों बाद नई मुलाकात की तरह प्रेमी-प्रेमिकाओं का दिल नहीं धड़कता। तब काम आता है आपके स्वभाव की गंभीरता, धीरज और विश्वास। जिनके पास यह नहीं होता वे शायद किसी शायर के बोलों को इस तरह गुनगुनाते घूमते हैं- 'ओ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले।'

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi