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क्या सैनिकों की कमी से जूझ रहा है रूस? युद्ध नहीं, चाहता है शांति?

हमें फॉलो करें क्या सैनिकों की कमी से जूझ रहा है रूस? युद्ध नहीं, चाहता है शांति?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 22 नवंबर 2024 (19:04 IST)
लंदन। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Puti) शायद यह सोच रहे होंगे कि डोनाल्ड ट्रंप (donald trump) अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीतकर सत्ता पर थोड़ा पहले आसीन होते तो उनके लिए बेहतर होता। ऐसा होने पर पुतिन संभवत: एक समझौते को स्वीकार कर लेते जिसके तहत रूस को यूक्रेन का (लगभग अमेरिकी राज्य वर्जीनिया के आकार का) वह महत्वपूर्ण क्षेत्र हासिल हो जाता, जहां रूसी बलों ने बढ़त हासिल की थी जबकि यूक्रेन तटस्थ रहकर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) या यूरोपीय संघ में शामिल होने की किसी भी योजना को फिलहाल के लिए त्याग देता।ALSO READ: यूक्रेन: बर्बादी के साए में युद्ध के 1,000 दिन, ‘यह समय शान्ति का है’
 
उत्तर कोरिया के सैनिक रूस की तरफ से युद्ध लड़ रहे : इस समय यूक्रेन और रूस दोनों युद्ध से थक चुके हैं। रूसी सेना यूक्रेन के दोनेत्स्क क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ी है, लेकिन रूस युद्ध के लिए सैनिकों की भर्ती को लेकर संघर्ष कर रहा है। हाल में हुए एक खुलासे से इस बात को बल मिला है कि उत्तर कोरिया के सैनिक रूस की तरफ से युद्ध लड़ रहे हैं।
 
रूस ने युद्ध तेज कर दिया है। यूक्रेन से खबरें मिल रही हैं कि रूस ने युद्ध में पहली बार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है। ऐसे में यह स्पष्ट होता जा रहा है कि इस समय शांति समझौता करना रूस और यूक्रेन दोनों के हित में होगा।ALSO READ: ट्रंप ने रूस एवं यूक्रेन युद्ध समाप्त करने का संकल्प दोहराया, एशिया में भी लाएंगे शांति
 
रूस के लगभग 1,15,000 से 1,60,000 सैनिक मारे गए  : पश्चिमी देशों के आकलन के अनुसार युद्ध में रूस के लगभग 1,15,000 से 1,60,000 सैनिक मारे गए हैं। इनमें से 90 प्रतिशत सैनिक युद्ध की शुरुआत में मारे गए थे जबकि 5,00,000 अन्य सैनिक घायल हुए हैं। इन नुकसानों की भरपाई के लिए रूस हर महीने 20,000 नए सैनिकों की भर्ती कर रहा है।
 
रूस में शांतिकाल के दौरान भी सैनिकों की भर्ती आसान नहीं रही है। नए सैनिकों को अक्सर पुराने सैनिकों की ओर से उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। इसलिए कई रूसी युवा सेना में भर्ती होने से कतराते हैं। रूसी सेना में 17वीं शताब्दी के अंत से नए सैनिकों के उत्पीड़न का चलन रहा है।
 
सोवियत संघ के विघटन के बाद रूसी मीडिया ने सेना में भयावह स्थितियों को उजागर करते हुए बताया था कि सैनिकों को खराब चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं और वे गंभीर कुपोषण से पीड़ित होते हैं। कई रूसियों को यह भी याद होगा कि 1990 के दशक के मध्य में चेचन्या में युद्ध लड़ने के लिए भेजे गए खराब तरीके से प्रशिक्षित सैनिकों के साथ कैसा व्यवहार किया गया था?ALSO READ: गांधीजी और यूक्रेन से लेकर पश्चिम तक जारी संघर्षों को लेकर क्या बोले UN महासचिव एंटोनियो गुतारेस
 
ऐसा प्रतीत होता है कि रूस सरकार औसत रूसी सैनिक की सुरक्षा और भलाई के बारे में चिंतित नहीं रही है। सेना को गरीबों और वंचितों को फंसाने के लिए एक जाल के रूप में भी देखा जाता है। रूसी सैनिकों की शहादत को नजरअंदाज कर दिया जाता है और कभी-कभी शवों की पहचान तक नहीं की जाती।
 
राजधानी मॉस्को से सैनिकों की भर्ती कम ही होती है : अधिकांश नए सैनिक बश्कोर्तोस्तान, चेचन्या, साखा गणराज्य (याकुत्ज़िया) और दागिस्तान जैसे सुदूर पूर्वी गणराज्यों से भर्ती किए जाते हैं। कुल मिलाकर रूसी राजधानी मॉस्को से सैनिकों की भर्ती कम ही होती है, लेकिन मॉस्को के युवा भी सरकार की सख्ती का सामना कर रहे हैं। सैकड़ों-हजारों रूसी देश छोड़कर भाग गए हैं जिससे सरकार को सैनिकों की भर्ती के लिए एक सख्त मसौदा कानून पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
 
इस साल 1 नवंबर को नया कानून लागू होने के बाद 'ड्राफ्ट नोटिस' डाक के बजाय अब ऑनलाइन भेजे जाते हैं। यह नोटिस रूसी व्यक्ति के डिजिटल मेलबॉक्स में पहुंचने के बाद उसके देश छोड़ने पर तुरंत रोक लग जाती है और यदि वह छोड़ने का प्रयास करता है तो उसे कठोर दंड का सामना करना पड़ सकता है।
 
सबकुछ आजमाने के बाद भी रूस के पास सैनिकों की कमी होती जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने नए सैनिकों को आकर्षित करने के लिए वेतन में वृद्धि की है जिसकी वजह से सेना में भर्ती होना असैन्य नौकरियों की तुलना में अधिक आकर्षक हो गया है। उत्तर कोरियाई सेना की मदद लेना एक समाधान हो सकता है, लेकिन उत्तर कोरियाई सैनिकों के पास युद्ध का कोई अनुभव नहीं है। उत्तर कोरियाई सैनिक दूसरी तरह की सैन्य रणनीति का उपयोग करते है।(भाषा/ (द कन्वरसेशन)
 
Edited By : Ravindra Gupta

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