Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

यूक्रेन संकट पर PM मोदी की हाईलेवल मीटिंग, हालातों की समीक्षा

Advertiesment
हमें फॉलो करें Russia-Ukraine crisis
, शनिवार, 5 मार्च 2022 (22:40 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युद्ध प्रभावित यूक्रेन की स्थिति और वहां से भारतीय नागरिकों को निकालने के देश के प्रयासों पर चर्चा के लिए शनिवार शाम एक और हाईलेवल बैठक बुलाई। 
 
प्रधानमंत्री मोदी रविवार से ऐसी कई बैठकों की अध्यक्षता कर चुके हैं। केंद्र सरकार उन भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए प्रयासरत है जो यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां से निकलना चाहते हैं।
 
मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके कैबिनेट सहयोगी पीयूष गोयल के अलावा कई शीर्ष नौकरशाह शामिल हुए।
 
भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ शुरू किया है और इस कवायद के समन्वय के लिए चार केंद्रीय मंत्रियों को प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा है।
 
भारत ने शनिवार को कहा कि उसका मुख्य ध्यान यूक्रेन के पूर्वी शहर सूमी में फंसे लगभग 700 भारतीय छात्रों को निकालने पर है, जहां हवाई हमले हो रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेसवार्ता में कहा कि भारत अगले कुछ घंटों में खारकीव और पिसोचिन से अपने नागरिकों को निकालने की उम्मीद करता है। 
 
उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य ध्यान अब भारतीय छात्रों को सूमी से निकालने पर है। हम उन्हें निकालने के लिए कई विकल्प तलाश रहे हैं। रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला शुरू किया था।
webdunia

असमंजस में छात्र : यूक्रेन में जारी भीषण लड़ाई के बीच सूमी शहर से पैदल रूस सीमा की ओर रवाना होने का फैसला करने वाले कई भारतीय छात्र अनावश्यक खतरा न मोल लेने के विदेश मंत्रालय के अनुरोध के बाद अपनी यात्रा जारी रखने को लेकर 'असमंजस' में हैं।
 
भारत के अधिकारियों के लिए गोलाबारी से प्रभावित शहर से भारतीयों को निकालने में चुनौतियां पेश आ रही हैं। इसलिए छात्रों ने कहा है कि वे अब कड़ाके की ठंड, खान-पान के सामान में कमी और पीने के पानी के लिए बर्फ को पिघलाने जैसी मुश्किलों का सामना नहीं कर सकते।
 
लगभग 700 भारतीय छात्र अभी भी युद्ध प्रभावित क्षेत्र में फंसे हुए हैं। क्षेत्र में लगातार लड़ाई से उनकी निकासी बाधित हुई है। छात्रों ने कहा कि उनके पास भोजन और पानी की कमी हो गई है।
 
छात्रों ने सोशल मीडिया पर कई हताश करने वाले वीडियो डाले हैं, जिनमें कहा गया है कि उन्होंने यहां से 50 किलोमीटर दूर रूसी सीमा तक जाने का फैसला किया है। इन वीडियो के सामने आने के बाद नयी दिल्ली में हलचल तेज हो गई। छात्रों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारतीय अधिकारी उन्हें रूसी सीमा से अपने साथ ले जाएंगे।
 
ऐसे ही वीडियो में एक छात्र ने कहा कि 'हम डरे हुए हैं। हमने बहुत इंतजार किया है और हम अब और इंतजार नहीं कर सकते। हम अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। हम सीमा की ओर बढ़ रहे हैं। अगर हमें कुछ होता है, तो सारी जिम्मेदारी सरकार और भारतीय दूतावास पर होगी।

इस वीडियो में वह छात्र अपने साथियों से घिरा हुआ है, जिनके हाथों में भारतीय ध्वज हैं। एक अन्य वीडियो में, छात्रों को बाल्टियों में बर्फ भरते देखा जा सकता है क्योंकि उनके पास पीने का पानी खत्म हो रहा है।
 
इन वीडियो के मद्देनजर भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनसे आश्रयों के अंदर रहने और अनावश्यक जोखिम लेने से बचने का आग्रह किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि 'हम सूमी, यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के बारे में बहुत चिंतित हैं।

हमारे छात्रों के लिए एक सुरक्षित गलियारा बनाने के लिए तत्काल युद्धविराम के सिलसिले में कई माध्यमों से रूस और यूक्रेन सरकार पर काफी दबाव डाला जा रहा है। बयान के बाद छात्रों के समूह ने फिलहाल अपनी यात्रा रोक दी है।
 
सूमी राजकीय विश्वविद्यालय में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र मोहम्मद निजामुद्दीन अमन (21) ने कहा कि 'हमने उम्मीद छोड़ दी थी कि सरकार हमें बचाने आएगी, इसलिये हमने पहले ही अपनी यात्रा शुरू कर दी थी। लेकिन अब नई सलाह जारी होने के बाद हम भ्रमित हैं कि क्या हमें जोखिम लेना चाहिए। मैं बहुत डरा हुआ हूं। 
 
रूस और यूक्रेन ने आम नागरिकों को युद्ध से बचाने के लिए बृहस्पतिवार को मानवीय गलियारे बनाने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की थी। यूक्रेन में युद्ध अपने 10वें दिन में प्रवेश कर गया है और युद्ध प्रभावित शहरों से लोगों को निकालना मुश्किल बना हुआ है। इन इलाकों में फंसे छात्र सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर भारत सरकार से उन्हें निकालने की गुहार लगा रहे हैं।
 
युद्ध प्रभावित यूक्रेन से नागरिकों को निकालने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा शुरू किया है। हालांकि देश के पूर्वी हिस्से से निकासी चिंता का विषय बनी हुई है क्योंकि वहां भीषण हिंसा चल रही है। भारत यूक्रेन के पश्चिमी पड़ोसियों जैसे रोमानिया, हंगरी और पोलैंड से विशेष उड़ानों के माध्यम से अपने नागरिकों को निकाल रहा है क्योंकि रूसी सैन्य हमले के कारण 24 फरवरी से यूक्रेनी हवाई क्षेत्र बंद है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, एक पखवाड़े पहले जारी की गई एडवाइजरी के बाद से लगभग 17,000 भारतीय नागरिक यूक्रेन से निकल चुके हैं। रूस ने बुधवार को कहा था कि वह नई दिल्ली के अनुरोध के बाद यूक्रेन के खारकीव, सूमी और अन्य संघर्ष क्षेत्रों में फंसे भारतीय नागरिकों के सुरक्षित मार्ग के लिए रूसी क्षेत्र में 'मानवीय गलियारा' बनाने पर 'गहनता से' काम कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार यूक्रेन में 20 हजार भारतीय नागरिक रहते हैं। इनमें ज्यादातर मेडिकल के छात्र हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

यूपी में अंतिम चरण के चुनाव से पहले BJP की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस, जानिए क्‍या बोले गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा...