जानिए यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव का क्या है इतिहास
खारकीव यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। जबकि कीव सबसे बड़ा शहर है, जब रूस कीव पर कब्जा नहीं कर सका तो उसने खारकीव को निशाना बनाया। अब खारकीव पर कब्जे के लिए रूस ने अपनी लगभग पूरी ताकत झौंक दी है।
आखिर ऐसा क्या है खारकीव में जो रूस उस पर कब्जा करना चाहता है। क्या है खारकीव का इतिहास और उसका महत्व और यूक्रेन के लिए क्यों इतना अहम है खारकीव।
रूस और यूक्रेन के बीच की जंग अब दिन पर दिन तेज और खतरनाक होते जा रही है। रूस की सेना ने अब खारकीव शहर पर हमला बोल दिया है।
आइये जानते हैं खारकीव के कुछ इतिहास के बारे में
खारकीव शहर की स्थापना 1654 में हुई थी। साल 1820 में यूक्रेनियन राष्ट्रीय आंदोलन का खारकीव केंद्र बना था। वहीं, साल 1920 से लेकर 1934 में सोवियत रिपब्लिक ऑफ यूक्रेन की राजधानी बनाया गया था ये शहर।
साल 1932 में यूक्रेन में आए महान अकाल का असर भी खारकीव पर देखने को मिला था। इस दौरान बड़ी संख्या में भूखमरी के चलते लोगों की मौत हुई थी। जानकारों के मुताबिक, ये एक मानव निर्मित आपदा थी जो सोवियत कृषि और पुनर्वितरण नितियों के चलते पैदा हुई थी।
दूसरे विश्वयुद्ध में थी अहम भूमिका
खारकीव शहर ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई है। खारकीव सोवियत संघ और जर्मन सेना के बीच जंग का केंद्र बना था।
साल 1941 के दिसंबर महीने से लेकर जनवरी 1952 तक इस शहर में नाजी जर्मनी ने हजारों यहूदियों को मौत के घाट उतारा था।
क्यों पुतिन के निशाने पर है खारकीव?
दरअसल, खारकीव में बड़ी संख्या में रूस समर्थक लोग रहते हैं। पहचान, बोली और रहन-सहन के मामले में खारकीव यूक्रेन का इकलौता शहर है जो रूस से मेल खाता है।
खारकीव रूस की सीमा से ज्यादा दूर भी नहीं है। जानकार बताते हैं, रूस समर्थकों की बड़ी संख्या होने के चलते खारकीव को कब्जे में ले आसान साबित होगा जिसके लिए रूस हमला कर रहा है।
– दूसरा कारण ये है कि यह रूस के बॉर्डर से 40 किलोमीटर है, ऐसे में खारकीव पर हमला करना ज्यादा आसान है, इस वजह से भी खारकीव पर ज्यादा हमले किए जा रहे हैं।
– एक कारण ये है कि रूस किसी एक बड़े क्षेत्र को अपने अधिकार में लेकर आगे बढ़ना चाहता है और वो स्थान खारकीव माना जा रहा है। माना जा रहा है कि खारकीव पर अधिकार जमाने के बाद कीव की राह थोड़ी आसान हो सकती है, इसलिए रूस एक गेटवे बनाने के लिए खारकीव को निशाना बना रही है।
– एक कारण ये भी है कि रूसी सेना को खारकीव को अधिकार में लेना आसान लग रहा है, क्योंकि यह पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा है। जहां बड़ी संख्या में रसियन के पक्ष में जाने वाले लोग हैं, ऐसे में रूसी सेना को वहां की जनता का भी साथ मिल सकता है और इसे अधिकार में जल्दी लिया जा सकता है।
– स्वतंत्र यूक्रेन के लिए होने वाले पहले विद्रोह को उस समय की सोवियत सेनाओं ने खारकीव से ही कुचला था। ये पहला विद्रोह कीव में हुआ था। इसके बाद साल 1920 से 1934 तक यूक्रेनी सोवियत गणराज्य की राजधानी खारकीव रहा। इसलिए रूस के लिए खारकीव का एक ऐतिहासिक महत्व भी है।