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जानिए, वर्ष 2013 की टॉप टेन धार्मिक घटनाएं

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हमें फॉलो करें वर्ष 2013 धार्मिक घटनाक्रम
धर्म लोगों को नैतिक बने रहने का पाठ सिखाता रहा है। देश-दुनिया के संत भी लोगों को अच्छे कर्म करने और धर्म के मार्ग पर चलने का रास्ता दिखाते रहते हैं। लेकिन वर्ष 2013 में दुनियाभर के पादरियों, संतों और बाबाओं के कुकृत्य अखबारों की सुर्खियां बने रहे।
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दूसरी ओर जहां पाकिस्तान, बांग्लादेश, बर्मा और श्रीलंका में धर्म के नाम पर अल्पसंख्‍यकों पर जुल्म बढ़े, वहीं भरत में दंगों का सृजन किया गया। आओ डालते हैं धर्म और संप्रदाय से जुड़ी प्रमुख 10 घटनाओं पर एक नजर...

अगले पन्ने पर कुंभ का स्नान और मौत का तांडव...


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* कुंभ मेला 2013 इलाहाबाद : साल 2013 की शुरुआत अच्छी रही। वर्ष 2013 की शुरुआत 144 वर्षों में एक बार पड़ने वाले अति शुभ ग्रह-गोचर संयोग में महाकुंभ के भव्य आयोजन से हुई। इलाहाबाद के प्रयाग में 14 जनवरी से 10 मार्च तक चले विश्व के इस सदी के सबसे बड़े मेले में लगभग 10 करोड़ श्रद्वालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगाकर पुण्य कमाया।

धार्मिक स्थलों पर हुईं प्रमुख घटनाएं

लेकिन एक अच्छी शुरुआत के साथ ही कुंभ में 11 फरवरी को एक दुखद घटना घटी। इलाहाबाद में रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 36 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो गई जबकि 30 लोग घायल हुए। चश्मदीदों के मुताबिक करीब 6.30 बजे पैसेंजर ट्रेन की घोषणा हुई, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग प्लेटफॉर्म नंबर 6 की ओर भागे। सीढ़ी पर भारी भीड़ जमा हो गई। इस दौरान भगदड़ मचने से 36 लोगों की मौत हुई। इस घटना से कुंभ में मातम छा गया और अखिलेश सरकार पर बदइंतजामी का आरोप लगा।

अगले पन्ने पर पादरियों का यौन शोषण और पोप फ्रांसिस की सराहना...


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* चर्च, यौन शोषण और पोप फ्रांसिस : चर्चों में पादरियों द्वारा हो रहे बच्चों और ननों के यौन शोषण के मामले से दुखी पोप फ्रांसिस ने अप्रैल में 'निर्णायक कार्रवाई' की घोषणा की। नए पोप फ्रांसिस ने चर्च की छवि को बदलने का प्रयास किया।

पोप ने यौन शोषण एवं अन्य स्कैंडलों के दाग धोने का कार्य किया जिसके चलते उन्हें हाल ही में टाइम पत्रिका ने 'पर्सन ऑफ द ईयर' के खिताब से नवाजा है। इस वर्ष वेटिकन और कैथोलिक चर्च के लिए पोप फ्रांसिस ईश्वरीय तोहफा बन गए हैं। उनसे पहले चर्च यौन शोषण और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों में घिरा था।

अगले पन्ने पर, केदारनाथ में मौत का तांडव...


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* उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा : केदारनाथ और बद्रीधाम में 16 जून को आई भीषण प्राकृतिक आपदा भारत की सबसे बड़ी त्रासदी थी। इस आपदा के चलते 5 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 1 हजार से ज्यादा लोग आज भी लापता हैं।

शिव का त्रिशूल 'डोला', केदारनाथ में 'तांडव'

लोगों का मानना है कि इस आपदा ने 20 हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया। इस आपदा ने बहुतों को अनाथ कर दिया, बहुतों को विधवा बना दिया, तो कुछ का तो वंश ही मिट गया। कई गांव के गांव जलप्रलय में डूब गए। बचाव कार्य में लगे सेना के जवानों में से कुछ जवानों को भी अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा।

कुछ लोगों का मानना था कि केंद्र और राज्य सरकार से कई बार अनुरोध करने के बाद भी यहां के किनारे स्थित कालिका माता के प्राचीन मंदिर को जिस दिन हटाया गया, ठीक उसी दिन रात को अचानक बाढ़ आ गई।

अगले पन्ने पर बौद्ध और मुस्लिम सांप्रदायिक दंगा...


* म्यांमार में बौद्ध-मुस्लिम तनाव : बांग्लादेश से आकर बर्मा के नॉर्थ-ईस्ट राज्य राखिन में बसे बंगाली रोहिंग्या मुसलमानों का बर्मा के बौद्ध लोगों के बीच यूं तो तनाव लगभग 4 दशक पुराना है, लेकिन जबसे बांग्लादेश में कट्टरपंथ बढ़ा वहां भी इसकी चिंगारी फैली जिसके चलते बौद्ध भिक्षु भड़क गए और फिर शुरू हुआ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का दौर जिसके चलते 2013 में बार-बार दंगे हुए।

इन दंगों में 100 से ज्यादा मुस्लिम मारे गए और दुनिया का ध्‍यान इस ओर गया। म्यांमार के कट्टरपंथी भिक्षु विरथु का नाम इन दंगों में प्रमुखता से लिया जाने लगा। इन दंगों के कारण दुनियाभर के बौद्ध और बौद्ध मंदिर आतंकवादियों के निशाने पर आ गए।

अगले पन्ने पर, बोधगया के महाबोधि मंदिर पर ब्लास्ट...


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* बोधगया ब्लास्ट : 7 जुलाई को बिहार के बोधगया के महाबोधि मंदिर और उसके आसपास सिलसिलेवार 10 बम धमाके हुए जिसमें प्राचीन बोधि वृक्ष और मंदिर की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई। हालांकि इसमें किसी की मौत नहीं हुई लेकिन कई भिक्षु घायल हो गए जिनमें से 2 की हालत गंभीर थी।

बोधगया का विश्वप्रसिद्ध महाबोधि मंदिर दुनियाभर के बौद्धों की आस्था का केंद्र है। यहां जापान, चीन, म्यांमार, थाईलैंड, श्रीलंका, कोरिया आदि बौद्ध राष्ट्रों के भिक्षुओं के स्थायी शिविर और ध्यान केंद्र चलते हैं।

अगले पन्ने पर... पाकिस्तानी चर्च पर हमला, मुश्‍किल में हिन्दू...


* मुश्किल में पाकिस्तान के अल्पसंख्‍यक : सितंबर में पाकिस्तान के अशांत खबर पख्तूनख्वा प्रांत में रविवार की प्रार्थना के लिए भारी संख्या में जुटे श्रद्धालुओं को निशाना बनाते हुए एक ऐतिहासिक गिरिजाघर पर किए गए दोहरे आत्मघाती हमले में महिलाओं और बच्चों समेत 78 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।

यह घटना पाकिस्तानी अल्पसंख्‍यकों पर की गई इस वर्ष की सबसे बड़ी घटना थी। हालांकि पाकिस्तान में हिन्दू, सिख, बौद्ध, ईसाइयों के साथ ही अहमदिया और शिया मुसलमानों पर अत्याचार होते ही रहते हैं जिस ओर कोई ध्यान नहीं देता।

आए दिन यह खबर आती रहती है कि पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर तोड़ा, हिन्दुओं की लड़कियों का अपहरण कर उन्हें जबरन निकाल किया। एक गांव के हिन्दुओं का जबरन धर्मांतरण किया आदि-आदि। इस बारे में खुद पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बहन अजरा फजल ने पाक संसद में यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यहां हिन्दू लड़कियों को मुसलमानों से शादी करने के लिए विवश किया जाता है। उनके परिवारों का जबरन धर्मांतरण किया जाता है या उनकी हत्या कर दी जाती है।

अगले पन्ने पर किश्तवाड़ में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित दंगे...


* किश्तवाड़ दंगा : यूं तो 1989 के बाद से ही जम्मू और कश्मीर में सिख, बौद्ध, हिन्दू और शियाओं को निशाना बनाया जाता रहा है लेकिन उमर अब्दुल्ला के शासनकाल में पहली बार दंगा हुआ।

पाकिस्तानी कट्टरपंथियों द्वारा सोची-समझी साजिश के तहत किश्तवाड़ में 9 अगस्त, शुक्रवार को ईद की नमाज के बाद दंगा किया गया। सैकड़ों हिन्दुओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया और कइयों को मौत के घाट उतार दिया गया। मौत के आंकड़े भी छुपाए गए। जांच अब तक जारी है।

संतों के कारण हिन्दू धर्म की बदनामी...




* संतों के कारण धर्म की हानि : अपने उटपटांग बयानों के चलते विवाद में रहे कथित संत आसाराम बापू को बलात्कार कांड में 30 सितंबर की रात करीब 12 बजे इंदौर आश्रम से गिरफ्तार किया गया। उनके बेटे नारायण साईं पर भी सूरत की दो बहनों के साथ बलात्कार का आरोप था जिसके चलते उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। इन कथित संतों के कारण संत समाज को जहां बहुत शर्मिंदगी झेलनी पड़ी वहीं देश-दुनिया में हिन्दू धर्म की बदनामी हुई।

दोनों बाप-बेटों पर आरोप है कि धर्म की आड़ में उन्होंने आश्रम की कई लड़कियों का यौन उत्‍पीड़न किया और उनकी जिंदगी तबाह कर डाली। इसके अलावा उन्होंने करोड़ों रुपए की संपत्ति बनाई। आसाराम और नारायण साईं का मामला जगजाहिर हो चुका है। दोनों ही धर्म की आड़ में पाखंड फैलाकर कई तरह के काले कारनामों को अंजाम देते थे। दोनों का मामला फिलहाल कोर्ट में है।

दो और संत हैं जिनके कारण हिन्दू धर्म बदनाम हुआ और हो रहा है। एक हैं निर्मलजीत सिंह उर्फ नरुला ऊर्फ निर्मल बाबा, जो लोगों को मनगढ़ंत उपाय बताते रहते हैं जिनका धर्म से कोई संबंध नहीं। दूसरी ओर भारी-भरकम साड़ी और मेकअप से सजी-धजी राधे मां खुद को देवी का अवतार मानती हैं और लाखों लोग इस कथित देवी के चरणों में झुकते हैं।

हिन्दू धर्म की प्रतिष्ठा पर दाग तो तब लगा, जब इस कथित मां को हिन्दू धर्माचार्यों के जूना अखाड़े ने महामंडलेश्वर पद से नवाजा। राधे मां उर्फ कुलविंदर कौर उर्फ पप्पू लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए तांत्रिक क्रियाएं भी करती थीं।

हालांकि संत समाज के लिए एक अच्छी खबर यह है कि कांची मठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को पुडुचेरी की एक अदालत ने 2004 के चर्चित शंकररमण कत्ल मामले में बरी कर दिया। जयेन्द्र सरस्वती और विजयेन्द्र समेत इस मामले में कुल 23 आरोपी थे।

अगले पन्ने पर मुजफ्फरनगर दंगा क्यों और किसने भड़काया...


मुजफ्फरनगर दंगा : उत्तरप्रदेश में राजनीति के चलते जातिवाद अपने परवान पर रहता है। बरेली हो या मथुरा और काशी, जहां छुटपुट दंगे हुए लेकिन मुजफ्फरनगर का दंगा खासा चर्चा में रहा। किसी ने भी इस दंगे के सच तक पहुंचने का प्रयास नहीं किया।

दरअसल, एक ही जाट समाज के दो गुटों में यह दंगा हुए जिनकी पंचायत भी एक ही थी। हालांकि इस समाज के धर्म अलग-अलग थे फिर भी दोनों हिल-मिलकर रहते थे। यह बात न तो तबलीगियों को पसंद आई और न राजनीतिक पार्टियों को। बस, दोनों ही समाजों के बीच खाई पैदा करने की शुरुआत हुई और एक चिंगारी आग बन गई।

मार्च से 31 अक्टूबर के बीच ही प्रदेश के विभिन्न भागों में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं तो सामान्य रहीं, लेकिन सितंबर महीने की 7 तारीख को मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों ने पूरे समाज को झकझोरकर रख दिया।

आज भी कई हिन्दू और मुसलमान शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। मुजफ्फरनगर दंगों में कम से कम 54 लोग मारे गए। भाजपा के 2 विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा सहित कई मुस्लिम कट्टरपंथी भी गिरफ्तार हुए।

खजाने की खोज से हुई जगहंसाई...


खजाने की खोज : स्वयंभू संत शोभन सरकार को सपने में एक सोने का खजाना दिखा और केंद्र व उत्तरप्रदेश सरकार के सभी आला अफसर पहुंच गए। संत की शरण में ताबड़तोड़ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 18 अक्टूबर को किले में खुदाई का काम शुरू किया।

नरेन्द्र मोदी ट्वीट कर रहे थे कि जग में हमारी हंसाई हो रही है तो संत शोभन सरकार और उनकी शरण में औंधी गिरी भारत सरकार ने भी उन्हें फटकार लगाई थी। लेकिन जब सोना नहीं मिला तो संत के साथ सभी संतों और भारत की बदनामी नहीं हुई? शोभन से प्रभावित केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत से यह पूछा जाना चाहिए था।

सपने में दिखे सोने की खोज में शुरू हुई खुदाई पर मीडिया के सवाल, संशय और कौतूहलभरी निगाहों के सामने संत शोभन सरकार के शिष्य स्वामी ओमजी के अतिविश्वासी दावों के बीच खुदाई का काम जारी रहा मगर सोना तो दूर, उल्लेख करने लायक भी कोई चीज नहीं मिली। महीनेभर बाद खुदाई बंद कर दी गई और हजार टन सोना हासिल करने का सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया।

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