पुराणों में भारत में आज तक होने वाले सभी शासकों की वंशावली का उल्लेख मिलता है। पुराणकार पुराणों की भविष्यवाणियों का अलग-अलग अर्थ निकालते हैं। पुराणों के अलावा भारत के संबंध में वेदों में भी कुछ भविष्यवाणियां मिलती हैं। इसके अलावा नास्त्रेदमस ने भी भारत के संबंध में बहुत सारी भविष्यवाणियां की हैं।भविष्य वक्ताओं अनुसार कौन है भारत का मसीहा?भारत में पैदा होगा दुनिया का 'मुक्तिदाता'पुराणकार मानते हैं कि जैसे-जैसे कलयुग आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे भारत की गद्दी पर वेद विरोधी लोगों का शासन होने लगेगा। ये ऐसे लोग होंगे, जो जनता से झूठ बोलेंगे और अपने कुतर्कों द्वारा एक-दूसरे की आलोचना करेंगे और जिनका कोई धर्म नहीं होगा। ये सभी विधर्मी होंगे। ये सभी मिलकर भारत को तोड़ेंगे और अंतत: भारत को एक अराजक भूमि बनाकर छोड़ देंगे।अब सवाल यह उठता है कि क्या यह वही समय है जबकि भारतीय नेता झूठे वादे और खतरनाक इरादे के साथ सत्ता में आकर देश को लूटना ही नहीं चाहते बल्कि इसे तोड़ना भी चाहते हैं। इससे पहले नेहरू और जिन्ना ने मिलकर धर्म के नाम पर देश को तोड़ दिया था।
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वर्तमान में हम एक तरफ देखते हैं कांग्रेस को जिसने पिछले 10 साल के शासन में क्या देश के माहौल और अर्थव्यवस्था को चौपट करके रख दिया। दूसरी ओर हम देखते हैं अरविन्द केजरीवाल और उनकी खास बनती 'आप' को। क्या सचमुच अरविन्द केजरीवाल देश को बचाने आए हैं या ऐसा कहकर वे पीएम की कुर्सी पर बैठने आए हैं।अरविन्द केजरीवाल पाकिस्तान के एजेंटगुजरात मॉडल पर मीडिया सफेद झूठ बोल रहा है:क्या ऐसे व्यक्ति पर विश्वास किया जा सकता है जिसने अन्ना को धोखा दिया, दिल्ली को धोखा दिया और जो अब देश को धोखा देने के लिए कमर कस चुका है। क्या आपको नहीं लगता कि केजरीवाल निराशा में डूबे मासूम भारतीयों की भावनाओं पर चढ़कर देश के तख्त पर बैठना चाहते हैं? सदियों से यही तो होता आया है। तीसरी ओर नरेन्द्र मोदी हैं, जो देश को विकास के सपने दिखा रहे हैं लेकिन क्या सचमुच वे सच बोल रहे हैं? क्या उन्होंने गुजरात का विकास कर दिया? गरीबी मिटा दी?इस संदर्भ में और आलेख को शुरू करने के पहले भारत के संबंध में नास्त्रेदमस की एक भविष्यवाणी का जिक्र कर देते हैं जिसका आप ही मतलब निकाले... अगले पन्ने पर।
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'सागरों के नाम वाला धर्म, चांद पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा और उसे भयभीत कर देंगे, 'ए' तथा 'ए' से घायल दो लोग। (x-96)। यह भविष्यवाणी अभी तक अपूर्ण है। भविष्यवाणी से ऐसा लगता है कि भारत में धर्म के नाम पर कट्टरता पनपेगी। एक बार फिर से हिन्दू को मुसलमान से लड़ाया जाएगा।
आगे पढ़ें...'बाढ़ के बाद आएगा एक ऐसा साल जब दो मुखिया चुने जाएंगे। उनमें से पहला सत्ता छोड़ देगा। वह कलंक से बचने को ऐसा करेगा। परंतु दूसरे के सामने और कोई चारा ही नहीं होगा। पहले मुखिया को बनाने वाला घर भंग हो जाएगा।' (ix-4)
अभी भारत में चुनावी मौसम चल रहा अब देखना होगा कि भारत के संदर्भ में यह भविष्यवाणी किस तरह फिट बैठती है। यदि भाजपा और कांग्रेस का 272+ का सपना सच नहीं होता हैं तो देश में ऐसी सरकार बनेगी जिसका कोई भविष्य नहीं होगा। लेकिन हम अगले पन्नों पर बताएंगे आपको पुराणों और वेदों की भविष्यवाणी के अलावा कुछ और भी... अगले पन्ने पर जारी...
अगले पन्ने पर जब लुप्त हो जाएगी गंगा..
माना जाता है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे, बद्रीनाथ का मार्ग पूरी तरह बंद हो जाएगा। भविष्य में गंगा नदी पुन: स्वर्ग चली जाएगी फिर गंगा किनारे बसे तीर्थस्थलों का कोई महत्व नहीं रहेगा। वे नाममात्र के तीर्थस्थल होंगे।
केदार घाटी में दो पहाड़ हैं- नर और नारायण पर्वत। पुराणों के अनुसार गंगा स्वर्ग की नदी है और इस नदी को किसी भी प्रकार से प्रदूषित करने और इसके स्वाभाविक रूप से छेड़खानी करने का परिणाम होगा संपूर्ण जंबू खंड का विनाश और गंगा का पुन: स्वर्ग में चले जाना।
पुराणों में बद्री-केदारनाथ के रूठने का जिक्र मिलता है। पुराणों के अनुसार कलियुग के 5 हजार वर्ष बीत जाने के बाद पृथ्वी पर पाप का साम्राज्य होगा। कलियुग अपने चरम पर होगा, तब लोगों की आस्था लोभ, लालच और काम पर आधारित होगी। सच्चे भक्तों की कमी हो जाएगी। ढोंगी और पाखंडी भक्तों और साधुओं का बोलबाला होगा। ढोंगी संतजन धर्म की गलत व्याख्या कर समाज को दिशाहीन कर देंगे, तब इसका परिणाम यह होगा कि धरती पर मनुष्यों के पाप को धोने वाली गंगा स्वर्ग लौट जाएगी।
श्रीमद्भागवत पुराण में दर्ज भविष्यवाणी, अगले पन्ने पर...
यहां प्रस्तुत हैं श्रीमद्भागवत पुराण में दर्ज भविष्यवाणी के अंश।
'अपनी तुच्छ बुद्धि को ही शाश्वत समझकर कुछ मूर्ख ईश्वर की तथा धर्मग्रंथों की प्रामाणिकता मांगने का दुस्साहस करेंगे इसका अर्थ है कि उनके पाप जोर मार रहे हैं।'
'ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा त्यों-त्यों सौराष्ट्र, अवंति, अधीर, शूर, अर्बुद और मालव देश के ब्राह्मणगण संस्कारशून्य हो जाएंगे तथा राजा लोग भी शूद्रतुल्य हो जाएंगे।'
यहां शूद्र का मतलब उस आचरण से है, जो वेद विरुद्ध है। मांस, मदिरा और संभोगादि प्रवृत्ति में ही सदा रत रहने वाले राक्षसधर्मी को शूद्र कहा गया है। जो ब्रह्म को मानने वाले हैं वही ब्राह्मण हैं। आज की जनता ब्रह्म को छोड़कर सभी को पूजने लगी है। जब सभी वेदों को छोड़कर संस्कारशून्य हो जाएंगे, तब...
'सिंधुतट, चंद्रभाग का तटवर्ती प्रदेश, कौन्तीपुरी और कश्मीर मंडल पर प्राय: शूद्रों का संस्कार ब्रह्म तेज से हीन नाममात्र के द्विजों का और म्लेच्छों का राज होगा। सबके सब राजा (राजनेता) आचार-विचार में म्लेच्छप्राय होंगे। वे सब एक ही समय में भिन्न-भिन्न प्रांतों में राज करेंगे।'
प्राचीनकाल में 'म्लेच्छ' उसे कहते थे, जो हिन्दुकुश पर्वत के उस पार रहता था और जिसने घुसपैठ करके अफगानिस्तान के बहुत बड़े इलाके को अपने अधीन कर लिया था। आजकल लोग म्लेच्छ का अर्थ गलत निकालते हैं। इन लोगों का धर्म कुछ हो लेकिन ये जाति से सभी म्लेच्छ हैं।
आप जानते हैं कि सिन्धु के ज्यादातर तटवर्ती इलाके अब पाकिस्तान का हिस्सा बन गए हैं। कुछ कश्मीर में हैं, जहां नाममात्र के द्विज अर्थात ब्राह्मण हैं। इन सभी (म्लेच्छों) के बारे में पुराणों में लिखा है कि... 'ये सबके सब परले सिरे के झूठे, अधार्मिक और स्वल्प दान करने वाले होंगे। छोटी बातों को लेकर ही ये क्रोध के मारे आग-बबूला हो जाएंगे।'
अब आगे पढ़िए कश्मीर में ब्राह्मणों के साथ जो हुआ, 'ये दुष्ट लोग स्त्री, बच्चों, गौओं और ब्राह्मणों को मारने में भी नहीं हिचकेंगे। दूसरे की स्त्री और धन हथिया लेने में ये सदा उत्सुक रहेंगे। न तो इन्हें बढ़ते देर लगेगी और न घटते। इनकी शक्ति और आयु थोड़ी होगी। राजा के वेश में ये म्लेच्छ ही होंगे।'
'राजा के वेश में ये म्लेच्छ होंगे' का अर्थ है कि ऐसे लोग सत्ता में होंगे जिनका अपना कोई धर्म नहीं होगा। उनका धर्म सिर्फ सत्ता ही होगा।
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पूरे देश की यही हालत है अब राजा (राजनेता) न तो क्षत्रित्व धारण करने वाले रहे और न ही ब्राह्मणत्व। यह शब्द जाति सूचक नहीं है।
राजधर्म तो लगभग समाप्त ही हो गया है, तो ऐसी स्थिति में, 'वे लूट-खसोटकर अपनी प्रजा का खून चूसेंगे। जब ऐसा शासन होगा तो देश की प्रजा में भी वैसा ही स्वभाव, आचरण, भाषण की वृद्धि हो जाएगी। राजा लोग तो उनका शोषण करेंगे ही, आपस में वे भी एक-दूसरे को उत्पीड़ित करेंगे और अंतत: सबके सब नष्ट हो जाएंगे।' -भागवत पुराण (अध्याय 'कलयुग की वंशावली' से अंश)
भविष्योत्तर पुराण अनुसार ब्रह्माजी ने कहा- हे नारद! भयंकर कलियुग के आने पर मनुष्य का आचरण दुष्ट हो जाएगा और योगी भी दुष्ट चित्त वाले होंगे। संसार में परस्पर विरोध फैल जाएगा। द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) दुष्ट कर्म करने वाले होंगे और विशेषकर राजाओं में चरित्रहीनता आ जाएगी। देश-देश और गांव-गांव में कष्ट बढ़ जाएंगे। संतजन दुःखी होंगे। अपने धर्म को छोड़कर लोग दूसरे धर्म का आश्रय लेंगे। देवताओं का देवत्व भी नष्ट हो जाएगा और उनका आशीर्वाद भी नहीं रहेगा। मनुष्यों की बुद्धि धर्म से विपरीत हो जाएगी और पृथ्वी पर म्लेच्छों के राज्य का विस्तार हो जाएगा।
जब सब नष्ट हो जाएंगे राजनीतिज्ञ तब क्या होगा...? अगले पन्ने पर..
ब्रह्मवैवर्त पुराण में श्रीकृष्ण गंगा को बताते हैं कि कलियुग में एक स्वर्ण युग होगा। जिसकी शुरुआत कलियुग के 5 हजार वर्ष बाद होगी और यह सुनहरा युग अगले 10 हजार वर्ष तक चलेगा। यह भविष्यवाणी भारत के संदर्भ में नहीं, बल्कि संपूर्ण धरती के संदर्भ में है। कलयुग के 5 हजार वर्ष बीत चुके हैं और अब सभी ओर राजनीतिक शुद्धता और तकनीकी का युग शुरू हो चुका है। हर देश में क्रांति और आंदोलन हो रहे हैं। अब झूठ और फरेब ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा।
ईसा मसीह के 3114 वर्ष पूर्व कलियुग की शुरुआत हुई थी। आज इसके 5127 वर्ष बीत चुके हैं। 127 वर्ष पहले ही विश्व में औद्योगिक क्रांति के परिणाम निकलने शुरू हुए थे। निश्चित ही पिछले सौ-दो सौ वर्षों से संपूर्ण दुनिया में परिवर्तन का युग चल रहा है। मानव आज अंतरिक्ष में रहने लगा है और भविष्य में वह किसी अन्य ग्रह पर रहने भी लगेगा।
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भविष्य दीपिका ग्रंथ के अनुसार शाक शालिवाहन के 1600 वर्ष व्यतीत हो जाने पर (विक्रम संवत् 1738) संपूर्ण जीवों के उद्धार के लिए इस ब्रह्मांड में 'कल्कि' का आगमन होगा। (अध्याय 3)
पद्मावती और केन नदी के मध्य विंध्यांचल पर्वत के एक क्षेत्र में इन्द्रावती नामक परब्रह्म की आत्मा होगी। उनके अंदर परब्रह्म सच्चिदानंद विराजमान होकर पूर्ण ब्रह्म कहलाएंगे। वे प्राणियों का उद्धार करेंगे।
कल्कि पुराण हिन्दुओं के विभिन्न धार्मिक एवं पौराणिक ग्रंथों में से एक है। यह एक उपपुराण है। इस पुराण में भगवान विष्णु के 10वें तथा अंतिम अवतार की भविष्यवाणी की गई है और कहा गया है कि विष्णु का अगला अवतार (महा अवतार) 'कल्कि' अवतार होगा। इसके अनुसार 4,320वीं शती में कलियुग के अंत के समय में कल्कि अवतार लेंगे।