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हिन्दू धर्म के सात पवित्र शहर

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हिन्दू धर्म में तीर्थयात्रा और पर्यटन का बहुत महत्व है। व्यक्ति को सदा घूमते रहना चाहिए। घूमते रहने से अनुभव और ज्ञान बढ़ता है। सत्संग से मोक्ष का रास्ता खुलता है। यही सब सोचते हुए भारत में ऐसे सात नगर बसाए गए, जहां लोग आएं और ज्ञान तथा सत्संग का लाभ लें।

ये सात नगर बहुत सोच-विचार कर और भूगोल व खगोल का अध्ययन कर बसाए गए हैं। यही हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ है। इन सात महान नगरों को पुरियां कहते हैं। यहां प्रस्तुत है हिन्दू धर्म के सात पवित्र स्थलों का सं‍क्षिप्त परिचय।

अगले पन्ने पर पढ़ें पहला शहर...


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भारत के उत्तरप्रदेश में स्‍थित काशी नगर भगवान शंकर के त्रिशूल पर बसा है। काशी संसार की सबसे पुरानी नगरी है। यह नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित है। विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है।

पुराणों के अनुसार पहले यह भगवान विष्णु की पुरी थी। जहां श्रीहरि के आनंदाश्रु गिरे थे, वहां बिंदुसरोवर बन गया और प्रभु यहां बिंधुमाधव के नाम से प्रतिष्ठित हुए। महादेव को काशी इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इस पावन पुरी को विष्णुजी से अपने नित्य आवास के लिए मांग लिया। तब से काशी उनका निवास-स्थान बन गई। काशी में हिन्दुओं का पवित्र स्थान है 'काशी विश्वनाथ'।

भगवान बुद्ध और शंकराचार्य के अलावा रामानुज, वल्लभाचार्य, संत कबीर, गुरु नानक, तुलसीदास, चैतन्य महाप्रभु, रैदास आदि अनेक संत इस नगरी में आए। एक काल में यह हिन्दू धर्म का प्रमुख सत्संग और शास्त्रार्थ का स्थान बन गया था।

दो नदियों वरुणा और असि के मध्य बसा होने के कारण इसका नाम वाराणसी पड़ा। संस्कृत पढ़ने प्राचीनकाल से ही लोग वाराणसी आया करते थे। वाराणसी के घरानों की हिन्दुस्तानी संगीत में अपनी ही शैली है। सन् 1194 में शहाबुद्दीन गौरी ने इस नगर को लूटा और क्षति पहुंचाई। मुगलकाल में इसका नाम बदलकर मुहम्मदाबाद रखा गया। बाद में इसे अवध दरबार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रखा गया।

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उत्तरी तमिलनाडु के प्राचीन व मशहूर शहरों में से एक है- कांचीपुरम। कांचीपुरम को पूर्व में कांची और कांचीअम्पाठी भी कहा जाता था। यह चेन्नई से 45 मील की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। कांचीपुरम को भारत के सात पवित्र शहरों में से एक का दर्जा प्राप्त है।

इसे भी विष्णु की पुरी माना जाता है। यहां विष्णु के अनेक मंदिर हैं। कांची हरिहरात्मक पुरी है। इसके दो भाग शिवकांची और विष्णुकांची हैं। कांची को किसने और कब बसाया, यह कोई नहीं जानता। लेकिन मंदिरों की ऐतिहासिकता के आधार पर इतिहासकार इसे ईसा पूर्व से प्रारंभिक ईसा काल में बसाया गया मानते हैं।

कांची के दर्शनीय स्थल : कांचीपुरम के मशहूर मंदिरों में वरदराज पेरुमल मंदिर भगवान विष्णु के लिए, एकम्बरनाथर मंदिर भगवान शिव के पांच रूपों में से एक को समर्पित है। इसके अलावा कामाक्षी अम्मान मंदिर, कुमारकोट्टम, कच्छपेश्वर मंदिर, कैलाशनाथ मंदिर आदि भी मुख्य हैं। आज भी कांचीपुरम और उसके आसपास 126 शानदार मंदिर हैं। यहां प्राचीन जमाने में मंदिरों की संख्या करीब 1 हजार थी।

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उत्तररांचल प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है। हरि याने भगवान विष्णु। हरिद्वार नगरी को भगवान श्रीहरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यह भारतवर्ष के सात पवित्र स्थानों में से एक है।

हरिद्वार में हर की पौड़ी को ब्रह्मकुंड कहा जाता है। इसी विश्वप्रसिद्ध घाट पर कुंभ का मेला लगता है। हरिद्वार के पास ही बेहद खूबसूरत धार्मिक स्थल है ऋषिकेश।

हरिद्वार के दर्शनीय स्थल : ब्रह्मकुंड, हर की पौड़ी और मनसादेवी का मंदिर। इसके अलावा भगवान विष्णु, ब्रह्मा, शिव, गंगा, दुर्गा के खूबसूरत मंदिर हैं। इन मंदिरों में संगमरमर के पत्थरों पर सुंदर आकृतियां उकेरी गई हैं।

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मथुरा- जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। मथुरा यमुना नदी के तट पर बसा एक सुंदर शहर है। मथुरा जिला उत्तरप्रदेश की पश्चिमी सीमा पर स्थित है। मथुरा भारत का प्राचीन नगर है। यहां पर से 500 ईसा पूर्व के प्राचीन अवशेष मिले हैं जिससे इसकी प्राचीनता सिद्ध होती है। उस काल में शूरसेन देश की यह राजधानी हुआ करती थी।

पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है, जैसे शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि। उग्रसेन और कंस मथुरा के शासक थे जिस पर अंधकों के उत्तराधिकारी राज्य करते थे।

जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ पहले वह कारागार हुआ करता था। यहां पहला मंदिर 80-57 ईसा पूर्व बनाया गया था। इस संबंध में महाक्षत्रप सौदास के समय के एक शिलालेख से ज्ञात होता है कि किसी 'वसु' नामक व्यक्ति ने यह मंदिर बनाया था। इसके बहुत काल के बाद दूसरा मंदिर सन् 800 में विक्रमादित्य के काल में बनवाया गया था, जबकि बौद्ध और जैन धर्म उन्नति कर रहे थे।

इस भव्य मंदिर को सन् 1017-18 ई. में महमूद गजनवी ने तोड़ दिया था। बाद में इसे महाराजा विजयपाल देव के शासन में सन् 1150 ई. में जज्ज नामक किसी व्यक्ति ने बनवाया। यह मंदिर पहले की अपेक्षा और भी विशाल था जिसे 16वीं शताब्दी के आरंभ में सिकंदर लोदी ने नष्ट करवा डाला।

मथुरा के अन्य मंदिर : मथुरा में जन्मभूमि के बाद देखने के लिए और भी दर्शनीय स्थल हैं, जैसे विश्राम घाट की ओर जाने वाले रास्ते पर द्वारकाधीश का प्राचीन मंदिर, विश्राम घाट, पागल बाबा का मंदिर, इस्कॉन मंदिर, यमुना नदी के अन्य घाट, कंस का किला, योग माया का स्थान, बलदाऊजी का मंदिर, भक्त ध्रुव की तपोस्थली, रमण रेती आदि।

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द्वारका- गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित चार धामों में से एक धाम और सात पवित्र पुरियों में से एक पुरी है द्वारका। द्वारका दो है- गोमती द्वारका, बेट द्वारका। गोमती द्वारका धाम है, बेट द्वारका पुरी है। बेट द्वारका के लिए समुद्र मार्ग से जाना पड़ता है। द्वारका को श्रीकृष्ण ने बसाया था।

द्वारका का प्राचीन नाम कुशस्थली है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा रैवतक के समुद्र में कुश बिछाकर यज्ञ करने के कारण ही इस नगरी का नाम कुशस्थली हुआ था। यहां द्वारिकाधीश मंदिर का प्रसिद्ध मंदिर होने के साथ ही अनेक मंदिर और सुंदर, मनोरम और रमणीय स्थान है। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने यहां के बहुत से मंदिर तोड़ दिए हैं। यहां से समुद्र को निहारना अति सुखद है।

अगले पन्ने पर पढ़ें छठा शहर...


विक्रमादित्य की नगरी अ‍वंतिका। अवंतिका को उज्जैन भी कहा जाता है। दुनियाभर से यहां लोग महाभारत और गुप्तकाल में पढ़ने आते थे। उज्जैन मध्यप्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है, जो शिप्रा नदी के किनारे बसा है। यह एक अत्यंत प्राचीन शहर है।

यह विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी। इसे कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर 12 वर्ष पर सिंहस्थ कुंभ मेला लगता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल इस नगरी में स्थित है। दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि भी यहीं स्थित है। इसके अलावा उज्जैन में भर्तृहरि की गुफा सहित कई प्राचीन स्थान हैं।

600 ईसा पूर्व भारत में जो सोलह जनपद थे उनमें से अवंति जनपद भी एक था। मौर्य और गुप्त साम्राज्य के बाद यहां मराठों और मुगलों ने राज किया। उज्जैन मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर से 55 किमी पर है।

अंतिम पन्ने पर पढ़ें, सातवां और सर्वश्रेष्ठ शहर...


अयोध्या हिंदुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द ‘अ’ कार ब्रह्मा, ‘य’ कार विष्णु है तथा ‘ध’ कार रुद्र का स्वरूप है।

सरयू नदी के तट पर बसे इन नगर को रामायण अनुसरा 'मनु' ने बसाया था। यहां कई महान योद्धा, ऋषि-मुनि और अवतारी पुरुष हो चुके हैं। भगवान राम ने भी यहीं जन्म लिया था। जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। अयोध्या की गणना भारत की प्राचीन सप्तपुरियों में प्रथम स्थान पर की गई है। अयोध्या रघुवंशी राजाओं की बहुत पुरानी राजधानी थी।

अयोध्या के दर्शनीय स्थल : अयोध्या घाटों और मंदिरों की प्रसिद्ध नगरी है। सरयू नदी यहां से होकर बहती है। सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं। इनमें गुप्तद्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।

सातों प्राचीन शहरों में प्रत्येक हिन्दू को अपने जीवनकाल में अवश्य जाना चाहिए।

सप्त पुरी : अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका।

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