बांस प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भरपूर वृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी भी प्रकार के तूफानी मौसम का सामना करने का सामर्थ्य रखने के प्रतीक हैं। यह पौधा अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। हालांकि बांसों की रगड़ से कभी-कभी आग लग जाती है तो सारे बांस अपनी ही आग में जल जाया करते थे जिससे बांसों की पहले से ही कमी हो जाती थी। ऐसे में बांसों को बचाना और भी जरूरी हो जाता है। आजकल तो अगरबत्तियों में भी बांस का उपयोग किया जाता है।
वर्तमान में लोगों के मन में यह धारणा प्रचलित होने लगी है कि अगरबत्ती को जलाना सही नहीं है। इसको जलाने से वंश नष्ट हो जाता है। हालांकि इस धारणा के पीछे कारण यह है कि अगरबंत्ती में बांस का इस्तेमाल किया जाता है और बांस के बारे में प्राचीनकाल से ही यह विश्वास मन में बैठा हुआ है कि बांस जलाने से वंश नष्ट हो जाता है। आजो जानते हैं आखिर इसका क्या कारण है।
पहला कारण : भारतीय सनातन परंपराओं में बांस का जलाना निषिद्ध है। कहा जाता है की यदि बांस की लकड़ी से चूल्हा जलाया गया तो वंश नष्ट होने से कोई रोक नहीं सकता। यह भी हो सकता है कि प्राचीनकाल से ही बांस की उपयोगिता रही है। इससे जहां घर बनते थे वहीं इससे टोकरियां, बिछात और बांसुरियां भी बनाई जाती थीं। बांस मनुष्य जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी माने गए हैं। लोग इनका उपयोग जलाने की लकड़ी की तरह नहीं करें, शायद इसीलिए यह अफवाह फैलाई गई कि बांस जलाने से वंश नष्ट होता है।
दूसरा कारण : वैज्ञानिकों अनुसार बांस को जलाने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। बांस को जलाना घातक होता है। संभवत: इसी लिए बांस जलाने का निषेध किया गया होगा। अगरबत्ती का प्रादुर्भाव एवं प्रयोग कब और कैसे प्रारम्भ हुआ यह शोध का विषय हो सकता है लेकिन इसके जलने से और इसका धुआं एवं गंध श्वास के साथ शरीर में जाने के कारण इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव सिद्ध हो चुका है।
अगरबत्ती बांस की सींक के केमिकल पदार्थो का लेप करके बनाई जाती है। इसमें नकली सेंट मिलाया जाता है। इसके जलने पर बांस भी जलता है और सेंट भी। बांस में लेड एवं भारी मेटल होता है। दोनों पदाथों के जलने से हानीकारक तत्व श्वास के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जो कि भारी नुकसान दायक होते हैं।
तीसरा कारण : ऐसी मान्यता भी है कि बांस जलाने से भाग्य का नाश हो जाता है। बांस का होना भाग्यवर्धक है लेकिन उसे जलाने से दुर्भाग्य घटित होता है। फेंगशुई में लंबी आयु के लिए बांस के पौधे बहुत शक्तिशाली प्रतीक माने जाते हैं। यह अच्छे भाग्य का भी संकेत देता है इसलिए आप बांस के पौधों का चित्र लगाकर उन्हें शक्तिशाली बना सकते हैं।
चौथा कारण : माना जाता है कि बांस जलाने से पितृदोष लगता है। अगरबत्ती बांस की बनी होती है अत: इसे जलाना शुभ नहीं होता। शास्त्रों में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता सब जगह धुप ही लिखा हुआ मिलता है। अगरबत्ती बांस और केमिकल से बनाई जाती है जिसका सेहत पर बुरा असर होता है।
पांच कारण : भगवान श्री कृष्ण हमेशा अपने पास बांस की बांसुरी रखते थे। भारतीय वास्तु विज्ञान में भी बांस को शुभ माना गया है। शादी, जनेऊ, मुण्डन आदि में बांस की पूजा एवं बांस से मण्डप बनाने के पीछे भी यही कारण है। अत: बांस को जलाना शुभ नहीं होता। ऐसा भी माना जाता है कि बांस का पौधा जहां होता है वहां बुरी आत्माएं नहीं आती हैं।