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हनुमानजी की विशालकाय मूर्ति, विश्व में कहां-कहां?

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कलियुग में हनुमानजी और कालिका माता सबसे जाग्रत देव हैं। हनुमान को बल, बुद्धि, विद्या, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक माना जाता है। संकटकाल में हनुमानजी का ही स्मरण किया जाता है। वे संकटमोचन कहलाते हैं। दुनिया के सभी तरह के संकट उनका नाम लेने मात्र से ही मिट जाते हैं।

और देवता चित्त न धरई : जो व्यक्ति हनुमानजी को छोड़कर अन्य किसी को नहीं पूजता और भजता है, हनुमानजी उसकी सहायता तत्क्षण करते हैं। हनुमानजी के भक्त को किसी भी तरह का कष्ट नहीं होता और न ही वह किसी भी तरह की शक्ति से नहीं डरता है। हनुमानजी निर्भीक और बंधन मुक्त करने वाले महाबली हैं।

जकार्ता के हनुमान : इस मूर्ति को जकार्ता में दिर्गंतारा कहते हैं। बराक ओबामा की मां का अपने पहले पति से तभी तलाक हो गया था, जब वे सिर्फ 2 साल के थे। जब ओबामा 5 साल के हुए तो उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली। ओबामा के सौतेले पिता इंडोनेशिया के रहने वाले थे। अपने दूसरे पति के साथ रहने के लिए ओबामा की मां ने भी जकार्ता चले जाने का फैसला किया। जकार्ता एयरपोर्ट से निकलने के बाद ओबामा के पिता ने उन्हें रास्ते में एक बड़ी-सी मूर्ति दिखाकर कहा-



उधर सामने की तरफ देखो। सड़क के किनारे वो दस मंजिला ऊंची इमारत जितनी मूर्ति, जिसका शरीर तो इंसान जैसा है और चेहरा बंदरों जैसा। वो हनुमान हैं। भगवान हैं। वो बहुत बड़े योद्धा थे। सौ आदमियों जितनी ताकत थी उनमें। जब वो बुरी ताकतों से लड़ते थे तो कोई भी उन्हें हरा नहीं सकता था। ओबामा के मुताबिक उस वक्त वो हैरत से हनुमानजी की मूर्ति की तरफ देखते रहे। उस शक्तिशाली भगवान की मूर्ति ओबामा के जेहन में बस गई थी। उस दिन के बाद से ही भगवान हनुमान ओबामा के लिए हौसले, उम्मीद, शक्ति और हिम्मत का प्रतीक बन गए थे।

दुनियाभर में हनुमानजी की कई प्रतिमाएं हैं। भारत में भी हनुमानजी की असंख्य विशालकाय प्रतिमाएं हैं। ऊंची से ऊंची हनुमान प्रतिमा बनाने के तो हर 3 वर्षों में रिकॉर्ड टूट जाते हैं। कम से कम 101 फीट से शुरू होने वाली मूर्तियां तो देशभर में अब असंख्य हो चली हैं, लेकिन हम आपके लिए लाए हैं दुनियाभर की उन प्रमुख प्रतिमाओं की जानकारी, जो विशालतम हैं। सबसे पहले हम जानेंगे सबसे छोटी मूर्ति और अंत में विश्व की सबसे विशालकाय हनुमान मूर्ति के बारे में।

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1. रामतीर्थ मंदिर के हनुमान : यह विशालकाय मूर्ति पंजाब के अमृतसर के रामतीर्थ मंदिर में स्थापित है। इस मूर्ति की ऊंचाई 24.5 मीटर अर्थात 80 फीट है।

यह मूर्ति अमृतसर से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर रामतीर्थ मंदिर वाल्मीकि परिसर में स्थित है। माना जाता है कि यहां वाल्मीकिजी का आश्रम था, जहां सीताजी रुकी थीं और यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था। यहीं पर रामतीर्थ सरोवर भी है।

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2. त्रिनिदाद (टोबैगो) में हनुमानजी की मूर्ति की लंबाई 26 मीटर है।  त्रिनिदाद एवं टोबैगो में एक खंभे के ऊपर खड़ी भगवान हनुमाजी की इस विशालकाय मूर्ति का 7 फरवरी 2011 को अनावरण किया गया। भगवान हनुमान की यह मूर्ति 12 फीट लंबी और 24 फीट ऊंची है। यह मूर्ति उड़ती हुई अवस्था में एक खंभे के ऊपर रखी हुई है।
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इससे पहले करीब 10 साल पहले त्रिनिदाद के बीचोबीच कैरैपिचेइमा के दत्तात्रेय सेंटर में 85 फीट ऊंची हनुमान मूर्ति स्थापित की गई थी। हम इसी मूर्ति की बात कर रहे हैं।

त्रिनिदाद एवं टोबैगो में करीब 500 हिन्दू मंदिर हैं। यहां की 13 लाख लोगों की आबादी का 44 प्रतिशत हिस्सा भारतीय है। करीब 24 प्रतिशत लोग हिन्दू हैं। वर्ष 1845 से 1917 के बीच उत्तरप्रदेश और बिहार से करीब 1,48,000 भारतीय गन्ने के खेतों में काम करने के लिए यहां आए थे।

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3. डरबन के हनुमान : साउथ अफ्रीका के डरबन के श्री विष्णु मंदिर के परिसर में स्थित है विशालकाय हनुमान प्रतिमा। डरबन, जोहानसबर्ग और केपटाउन के बाद दक्षिण अफ्रीका में तीसरा सबसे बड़ा शहर है। यह शहर सागर किनारे बसा है।
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यह मूर्ति 13 मीटर ऊंची है, जो डरबन शहर के छतवर्थ क्षेत्र में स्थित है। इसकी स्थापना 2010 में हुई थी।

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4. छिंदवाड़ा के हनुमान : मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के सिमरियाकलां में हनुमानजी की प्रतिमा 101 फीट ऊंची है।
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5. महाराष्ट्र के नंदुरा में हनुमानजी की विशालकाय मूर्ति की लंबाई 32 मीटर है। हालांकि बताया जाता है कि यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मूर्ति है जिसकी लंबाई 105 फीट है। हनुमानजी की गदा ही 30 फीट लंबी है। उनका सीना लगभग 70 फीट चौड़ा है।
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नंदुरा महाराष्ट्र का एक छोटा-सा कस्बा है, जो बुलढाणा जिले में आता है। प्रसिद्ध तीर्थस्थान शेगांव से 50 किलोमीटर दूर है नंदुरा गांव। नंदुरा शेगांव से जलगांव की ओर जाते समय खामगांव से कुछ किलोमीटर आगे आता है। मूर्ति दर्शन हेतु गांव में अंदर जाने की आवश्यकता नहीं है। हाईवे पर ही सड़क किनारे मूर्ति स्थापित है। शेगांव में रेलवे स्टेशन है। मध्य रेल्वे का यह रेलवे स्टेशन मुंबई-कोलकाता रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है।

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6. करोलबाग के हनुमान : सबसे पहले हम आपको ले चलते हैं दिल्ली के करोलबाग में, जहां के हनुमानजी की मूर्ति के बारे में देशभर के लोग जानते हैं।

करोलबाग मेट्रो स्टेशन के पास बनी हनुमानजी की 108 फुट की यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वचालित प्रतिमा है। हनुमानजी की छाती में उनके हाथों के पीछे श्रीराम-सीता विराजमान हैं। बताया जाता है कि अरसे पहले एक संत नागबाबा सेवागिरिजी यहां आए थे। प्रभु श्रीराम के आदेशानुसार ही उन्होंने हनुमानजी की प्रतिमा और मंदिर का निर्माण 1994 से आरंभ करवाया, जो लगातार 13 वर्षों तक चलता रहा और 2 अप्रैल 2007 को संपन्न हुआ। मंगलवार व शनिवार को प्रातः 8.15 बजे और सायं 8.15 बजे इसी मूर्ति को देखने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ता है।

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7. हिमाचल के शिमला में हनुमानजी की विशालकाय मूर्ति है जिसकी ऊंचाई 33 मीटर है। इसे एशिया की सबसे ऊंची मूर्ति माना जाता है जिसकी ऊंचाई 108 फुट है। शिमला के जाखू मंदिर में इस मूर्ति की स्थापना की गई। यह मूर्ति 2,296 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
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साढ़े 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थापित यह मूर्ति अपने आप में एक इतिहास है। मूर्ति की स्थापना नवंबर 2010 में एचसी नंदा न्यास की तरफ से की गई है। मूर्ति के लोकार्पण के समय अभिषेक बच्चन और उनकी बहन श्वेता बच्चन नंदा भी शामिल हुए थे।

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8. वीरा अभया अंजनया हनुमान स्वामी : हनुमानजी की सबसे विशालकाय मूर्ति आंध्रप्रदेश में है जिसे वीरा अभया अंजनया हनुमान स्वामी कहा जाता है। इसकी ऊंचाई 41 मीटर है। यह मूर्ति 135 फीट ऊंची है।
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आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के पास परितला में इस मूर्ति की स्थापना 2003 में की गई थी। यह मूर्ति ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में स्थापित क्राइस्ट की मूर्ति से भी बड़ी है।

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9. आंध्रप्रदेश की सबसे बड़ी हनुमान मूर्ति अभी निर्माणाधीन है। इस मूर्ति का आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के नरसन्नापेटा मंडल में निर्माण चल रहा है। इस वर्ष (2015) के अंत तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

इस मूर्ति की हाइट 175 फुट से भी ऊंची रहेगी। इससे भी बड़ी प्रतिमा का राजस्थान में निर्माण चल रहा है। वर्ष 2014 में ही राजस्थान के सिरोही जिले के माधव विश्वविद्यालय परिसर में 221 फीट की हनुमान प्रतिमा का भूमिपूजन किया गया।

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10. ग्वालियर हनुमान : भारत की पहली सबसे बड़ी हनुमान गालव ऋषि की भूमि (ग्वालियर) में आकार ले रही है। इसे इंदौर के पितृ पर्वत पर स्थापित किया जाएगा। इस मूर्ति का वजन 90 टन और ऊंचाई 128 फुट है।

128 फुट ऊंची इस प्रतिमा का निर्माण सोना, चांदी, प्लेटिनम, पारा, एंटीमनी, जस्ता, सीसा और रांगा अर्थात अष्टधातु से किया जा रहा है जिसे अभिषेक की दृष्टि से सर्वोत्तम माना जाता है।

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