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हिन्दू धर्म इसलिए है धर्म

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अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 23 अक्टूबर 2017 (12:17 IST)
हिन्दू धर्म दुनिया का प्रथम धर्म है। वेद इस धर्म के धर्मग्रंथ हैं। भगवान श्रीकृष्ण इस धर्म की परंपरा और ज्ञान के पुनर्स्थापक हैं। आदि शंकराचार्य और गुरु गोरखनाथ ने मध्यकाल में इस धर्म के बिखरे ज्ञान और समाज को पुन: स्थापित किया। दुनिया के सभी धर्मों और परंपराओं का जन्मदाता वेद ही है। वेद संसार की प्रथम पुस्तक है। इस पुस्तक से ही दुनिया की सभी पुस्तकों का जन्म होता है। वेदानुसार कोई भी प्रथम और कोई भी अंतिम नहीं हैं। सभी अनादि और अनंत है। भगवान वही होता है जिसने मोक्ष के परम शिखर को छू लिया। ईश्वर, परमेश्वर या ब्रह्म को भगवान, अवतारी या देवता नहीं कहते हैं।
 
धर्म का अर्थ
*धर्म का अर्थ पंथ, कर्तव्य, नियम, मत, संप्रदाय, कल्ट, रिलीजन, दीन, श्रद्धा, गुण, संस्कार, स्वभाव, फेथ, मजहब, जिहाद, क्रुसेड, युद्ध और व्यवस्था निकालना उचित नहीं।
 
धर्म एक रहस्य
*हिन्दुत्व के अनुसार धर्म एक रहस्य है, संवेदना है, संवाद है और आत्मा की खोज है। धर्म स्वयं की खोज का नाम है। धर्म है जन्म, मृत्यु और जीवन के चक्र को जानना। धर्म है ज्ञान को प्राप्त करना। हिन्दुओं ने धर्म को इसी रूप में परिभाषित किया है।
 
हिन्दुत्व की शिक्षा
*हिन्दुत्व में दी जा रही शिक्षा ही सही मायने में धार्मिक शिक्षा मानी जा सकती है, क्योंकि शास्त्रों में किसी दूसरे पंथ के खिलाफ किसी भी प्रकार के छद्म छंद नहीं है। हिन्दू धर्म की संपूर्ण शिक्षा का आधार है- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।
 
धर्मग्रंथों से ये सीखता है हिन्दू
*अपने धर्म को पढ़कर हिन्दू ये बातें सीखता है- मोक्ष, ब्रह्म, आत्मा, ब्रह्मांड, पूर्वजन्म, सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर-प्राणिधान, न्याय, प्रेम, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, रहस्य, आसन, प्राणायम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि अर्थात मोक्ष।
मोक्ष है धर्म का आधार
*हिन्दुओं का संपूर्ण धर्म, दर्शन, यम, नियम, मंदिर, आश्रम, अखाड़े, संस्कार, गुफा, पंथ आदि सभी मोक्ष के लिए ही रचे गए हैं। मोक्ष के कई मार्गों का प्राचीन ऋषि-मुनियों ने निर्माण किया है। मोक्ष को जैन धर्म में कैवल्य और बौद्ध धर्म में निर्वाण कहा जाता है।
 
दुनिया को हिन्दुओं की देन
*प्रायश्चित करना, दीक्षा देना, मुंडन संस्कार, परिक्रमा करना, बिना सिले सफेद वस्त्र पहनकर संध्या वंदन करना, पांच वक्त की प्रार्थना करना, तीर्थ करना, संध्योपासना, शौच और शुद्धि, जप-माला फेरना, व्रत रखना, दान-पुण्य करना, पाठ करना, श्राद्ध करना, सेवा करना, धर्म प्रचार, 16 संस्कार आदि ये सभी हिन्दू धर्म की दुनिया को देन है। प्रत्येक धर्म में यह नियम किसी न किसी रूप में मिल जाएंगे।
 
यही है सनातन पथ
*हिन्दू धर्म को जानने और समझने के लिए वेद, उपनिषद और गीता पढ़ना चाहिए। यही इस धर्म के धर्मग्रंथ हैं। वेदों का सार है उपनिषद, उपनिषदों का सार गीता है। इसके अलावा ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, कृष्ण, सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती, दुर्गा के अलावा स्वयाम्भुव मनु, 11 प्रजापति, स्वरोचिष, औत्तमी, तामस, रैवत, चाक्षुष और फिर वैवस्वत मनु, सप्तऋषि सहित ऋग्वेद की ऋचाओं को लिखने वाले लगभग 414 ऋषियों के जीवन के बारे में पढ़ना चाहिए।
 

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