Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- वैशाख कृष्ण प्रतिपदा
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त- कच्छापवतार, सत्य सांईं महा.दि.
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

हिन्दू धर्म सबसे खतरनाक धर्म है, 4 तरह के लोग इससे दूर रहें

हमें फॉलो करें हिन्दू धर्म सबसे खतरनाक धर्म है, 4 तरह के लोग इससे दूर रहें

अनिरुद्ध जोशी

हिन्दू धर्म के बारे में अधिकतर लोग क्या जानते हैं? प्राचीन धर्म, होली, दीपावली आदि त्योहार, कर्मकांड, पूजा, आरती, यज्ञ, शिव, राम, कृष्ण आदि भगवान और ढेर सारे संत बस यही जानते हैं? क्या यह हिन्दू धर्म है? तो इसमें क्या खतरनाक बात है? दरअसल, हिन्दू धर्म मूर्तिपूजा, कर्मकांड और तीज-त्योहार नहीं है। यह तो इसका ऊपरी आवरण है। तब क्या है हिन्दू धर्म?
 
 
क्या खतरनाक है?
दुनिया में दो तरह के धर्म हैं। पहले वे जो विश्वास पर आधारित हैं अर्थात जो ईश्वर आदि पर विश्‍वास करना सिखाते हैं। मतलब आप आंख बंद करके सबकुछ मानते चले जाओ। आपको सवाल नहीं पूछना है और आपको संदेह भी व्यक्त नहीं करना है अन्यथा आपको नास्तिक समझा जाएगा और आपको धर्मविरोधी घोषित कर दिया जाएगा।
 
 
दूसरे वह जो कर्म पर आधारित हैं अर्थात जिनकी दृष्टि में कर्म ही महान होते हैं और जो ज्ञान की शुरुआत अविश्वास या संदेह से मानते हैं। हिन्दू धर्म दूसरे तरह का धर्म है, जो कहता है कि जो-जो अज्ञान है, उसे जान लेने से ज्ञान स्वत: ही प्रकट हो जाता है। इसलिए संदेह जरूर करो, सवाल जरूर पूछो।
 
 
हिन्दू धर्म का मार्ग अविश्वास से प्रारंभ होता है और वह जीते-जी मृत्यु को प्राप्त करने का रास्ता दिखाता है। जो मृत्यु को जाने बगैर मर गया सचमुच ही वह मर गया, लेकिन जिसने जान लिया कि मृत्यु एक झूठ है और उसकी मृत्यु ही नहीं होती है। जानने का मतलब यह कि जानना, मानना नहीं।
 
गुरु गोरखनाथ कहते हैं कि 'मरौ वे जोगी मरौ, मरौ मरन है मीठा। ...तिस मरणी मरौ, जिस मरणी गोरष मरि दीठा।' अर्थात गोरख कहते हैं- मैंने मरकर उसे देखा, तुम भी मर जाओ, तुम भी मिट जाओ। सीख लो मरने की यह कला। मिटोगे तो उसे पा सकोगे। जो मिटता है, वही पाता है। मरना बहुत ही मीठा और सुखदायी है। इससे कम में जिसने सौदा करना चाहा, वह सिर्फ अपने को धोखा दे रहा है। सचमुच ही वह जीवन और मृत्यु के चक्रीय दु:ख में फंसा रहेगा।
 
 
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- 'न कोई मरता है और न ही कोई मारता है, सभी निमित्त मात्र हैं। सभी प्राणी जन्म से पहले बिना शरीर के थे, मरने के उपरांत वे बिना शरीर वाले हो जाएंगे। यह तो बीच में ही शरीर वाले देखे जाते हैं, फिर इनका शोक क्यों करते हो।'
 
दरअसल, हिन्दू धर्म मूल रूप से मरना सिखाता है, क्योंकि मृत्यु के पार ही जीवन है इसीलिए यह खतरनाक धर्म है। यह अग्निपथ है। जो लोग यह समझते हैं कि पूजा-आरती, यज्ञ-कर्मकांड, व्रत-त्योहार आदि ही हिन्दू धर्म है, तो वह इस धर्म को 1 प्रतिशत भी नहीं जानते हैं। बहुत से लोग कहेंगे कि हिन्दू धर्म तो जीवन जीने की कला सिखाता है, मृत्यु की नहीं तो वे निश्चित ही सही हैं, क्योंकि जीवन जीने की शैली या कला उन लोगों के लिए है जिन्हें धर्म या संन्यास से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन जिन्हें धर्म के मार्ग पर चलना है, उन्हें अपने जीते-जी अपना श्राद्ध-कर्म करना होता है।
 
 
कौन-सा मार्ग है?
हिन्दू धर्म में मोक्ष अर्थात मृत्यु के पार जाने के मुख्यत: 4 मार्ग हैं-
 
1.कृष्ण का मार्ग- यह हंसता, गाता, प्रेम, युद्ध और नाचता हुआ उत्सव का मार्ग है। यदि आप में यह योग्यता नहीं है तो आप इससे दूर रहें।
 
2.राम का मार्ग- यह मार्ग सेवा, मर्यादा, सामाजिकता, प्रेम, बलिदान और संघर्ष का मार्ग है। यदि आप में यह योग्यता नहीं है, तो आप इससे दूर रहें।
 
 
3.शिव का मार्ग- यह मार्ग ज्ञान, ध्यान, बुद्धि, मृत्यु, योग और तंत्र का मार्ग है। यदि आप में यह योग्यता नहीं है तो आप इससे दूर रहें।
 
4.दुर्गा का मार्ग- यह मार्ग भक्ति योग, कठिन नियम और समर्पण का मार्ग है। यदि आप में यह योग्यता नहीं है तो आप इससे दूर रहें।
 
मृत्यु क्या है?
जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो वह जन्म लेते ही श्वासों को अंदर खींचता है और जब कोई व्यक्ति मरता है तो वह अपनी संपूर्ण श्वासों को बाहर छोड़ देता है। यदि वह फिर से अंदर श्वास नहीं ले पा रहा है तो समझो कि यह मर गया। मतलब यह कि श्वास अंदर लेना जीवन है और छोड़ना मृत्यु। मतलब यह कि व्यक्ति पल-प्रतिपल जी और मर रहा है और एक दिन यह पूरा होने वाला है फिर से नई शुरुआत के लिए।
 
 
मोक्ष क्या है?
श्‍वास लेने व छोड़ने और छोड़ने व लेने के बीच जो अंतराल रहता है, वही सत्य है। आमतौर पर व्यक्ति 1 मिनट में 15 से 20 बार श्‍वास लेता और छोड़ता है। प्रतिदिन निरंतर 10 मिनट का ध्यान करने वाला व्यक्ति 8 से 10 बार लेता और छोड़ता है। लेकिन जब यह ध्यान बढ़ता जाता है तो 3 से 5 के बीच निरंतर रहता है और अंत में स्थिर हो जाता है, फिर भी ऐसे व्यक्ति जिंदा रहते हैं। जब यह स्थिरता बढ़कर अपने चरम पर पहुंच जाती है, तब ऐसे व्यक्ति को ही गीता में भगवान श्रीकृष्‍ण ने स्थितप्रज्ञ कहा है। यही मोक्ष में प्रवेश करना है।
 
 
सचमुच ही हिन्दू धर्म को समझना बहुत कठिन है लेकिन सरल भी है। यदि आपने वेदों के सार उपनिषदों को और योग के ज्ञान को नहीं पढ़ा-समझा है तो निश्चत ही आप जीवनभर कभी भी हिन्दू धर्म को नहीं समझ पाएंगे। आपको यह जानना जरूरी है कि हिन्दू धर्म में कर्म, योग और ध्यान का ही महत्व है, बाकी सभी गौण है।
 
कॉपीराइट वेबदुनिया

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

समानता की पैरवी करता है पारसी नववर्ष, जानिए पारंपरिक तरीके से कैसे करें सेलीब्रेशन