दुनिया में कृष्ण भक्ति का सबसे बड़ा आंदोलन और संगठन है इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन। इनका सबसे बड़ा मंत्र है 'हरे रामा-हरे रामा, राम-राम हरे हरे, हरे कृष्ण-हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे'। दुनियाभार में यह मंत्र जपते-गाते हुए कई देशी और विदेशी लोग आपको न्यूयॉर्क, लंदन, बर्लिन, मास्को, मथुरा, वृंदावन की सड़कों पर मिल जाएंगे।
आप यूट्यूब पर iscon video hare krishna लिखें और आप देखेंगे कि किस तरह छोटे से समूह से प्रारंभ हुआ यह जप एक बहुत ही सुंदर और बड़ा आंदोलन बन चुका है। सचमुच जग में सुंदर है दो ही नाम चाहे कृष्ण कहो या राम। इस्कॉन के अनुयायी विश्व में गीता और हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं।
1.किसने और कब शुरु किया इस्कॉन?
इस आंदोलन की शुरुआत श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने की थी। स्वामी प्रभुपादजी ने ही इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन की स्थापना 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की थी। स्वामी प्रभुपादजी का जन्म 1 सितम्बर 1896 को कोलकाता में हुआ। 55 बरस की उम्र में संन्यास लेकर पूरे विश्व में स्वामी जी ने हरे रामा हरे कृष्णा का प्रचार किया। 14 नवम्बर 1977 को वृंदावन में 81 वर्ष की उम्र में उन्होंने देह छोड़ दी।
2.इस्कॉन के मंदिर : वृंदावन में ही इस्कॉन का सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर है जहां पर विश्वभर में इस्कॉन से जुड़े लोग एकत्रित होते हैं और कृष्ण जम्मोत्सव मनाते हैं। लाखों ऐसे विदेशी लोग हैं जिन्होंने हिन्दू धर्म अपनाकर खुद को भाग्यशाली समझा और असल में यही वे लोग हैं जिन्होंने श्रीकृष्ण और हिन्दू धर्म को अच्छे से समझा है और वे इसकी कद्र भी कहते हैं।
आप दुनिया के किसी भी इस्कॉन मंदिर में जाएं इन सभी मंदिरों की खासियत यह है कि इनकी बनावट से लेकर आंतरिक संरचना तक को एक समान रखने का प्रयास किया गया है। यहां की आरती, भोजन और भोजन का समय भी तय होता है। मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को बड़ी खूबसूरती सजाया जाता है और वहां पर प्रभुपाद की एक मूर्ति भी होती है। वर्तमान में संपूर्ण विश्व में लगभग 400 से अधिक मंदिर है। इस्कॉन ने पश्चिमी देशों में अनेक भव्य मंदिर और विद्यालय बनवाए हैं। बेंगलुरु का इस्कॉन मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा इस्कान मंदिर हैं जिसे 1997 में हरे कृष्ण हिल पर बनाया गया था।
3.इस्कॉन पर विवाद : न्यूयॉर्क से शुरू हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल यमुना जल्द ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी। कई देश हरे रामा-हरे कृष्णा के निर्मल और पावन भजन से गुंजायमान होने लगे। पूरी दुनिया में इस आंदोनल के अधिक अनुयायी होते जाने के कारण निश्चित ही दूसरे धर्मों की नजरों में यह आंदोलन खटने भी लगा जिसके चलते इस्कॉन के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन भी हुए और बाद में उन्हें कई आरोपों का सामना भी करना पड़ा। उन पर ड्रग्स बेचने और लेना का आरोप भी लगा।
ऐसा नहीं है कि इस्कॉन को अमेरिका और योरप में ही विरोध प्रदर्शन और आरोपों का का सामना करना पड़ा हो। यहां भारत में भी कई हिन्दू भी उनके खिलाफ हैं। उनका मानना है कि ये लोग हमारे बच्चों का ब्रेन वॉश कर उन्हें भी संन्यासी बना देते हैं जबकि जांच करने पर यह सारे आरोप निराधार पाए गए। दूसरी ओर द्वारिका और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस्कॉन मंदिरों पर भी आरोप लगाए थे। उन्होंने इस्कॉन मंदिरों को अमेरिका की साजिश बताया और कहा था कि करोड़ों रुपए का चढ़वा ये लोग हर साल विदेश भेज देते हैं।
4.इस्कॉन के नियम :
यहां के अनुयायी चार चीजों को धर्म मानते हैं- दया, तपस्या, सत्य, मन की शुद्धता। इसके अलावा मुख्यत: चार नियमों का पालन करते हैं:-
1.उन्हें तामसिक भोजन त्यागना होगा (तामसिक भोजन के तहत उन्हें प्याज, लहसुन, माiस, मदिरा आदि से दूर रहना होगा)।
2.अनैतिक आचरण से दूर रहना (इसके तहत जुआ, पब, वेश्यालय जैसी जगहों पर जाने की पाबंदी है)
3.एक घंटा शास्त्राध्ययन (इसमें गीता और भारतीय धर्म-इतिहास से जुड़े शास्त्रों का अध्ययन करना होता है)
4.हरे कृष्णा-हरे कृष्णा नाम की 16 बार माला करना होगी।
5.कृष्णाटेरियन : इस्कॉन के लोगों अपने खुद का भोजन निर्मित किया है जिसे वे कृष्णाटेरियन कहते हैं। यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है जो इस्कॉन मंदिरों में मामूली से शुल्क के साथ मिलता है। लेकिन इस पर आरोप लगने के कारण उन्होंने अब मंदिरों में भोजन प्रसादी की व्यवस्था बंद करने की घोषणा की है। यह बहुत हैरानी वाली बात है कि हिन्दू धर्म के प्रचारकों को हिन्दुओं से ही ज्यादा खतरा है।