Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कामसूत्र से पहले भी थे कामशास्त्र पर ग्रंथ...

Advertiesment
हमें फॉलो करें vatsyayana kamasutra kamashashtra
, बुधवार, 4 नवंबर 2015 (12:12 IST)
भारतीय संस्कृति में काम को हेय की दृष्टि से न देख कर जीवन के अभिन्न अंग के रूप में देखा गया है। काम को ‘दुर्गुण’ या ‘दुर्भाव’ न मानकर इन्‍हें चतुर्वर्ग अर्थ, काम, मोक्ष, धर्म में स्‍थान दिया गया है। प्राचीन शास्‍त्रकारों ने जीवन के चार पुरुषार्थ बताए हैं- ‘धर्म’, ‘अर्थ’, ‘काम’ और ‘मोक्ष’। 'कामसूत्र’ का अधिकांश भाग स्‍त्री और पुरुषों के मनोविज्ञान से संबंधित है। जो काम आज के मनोवैज्ञानिक करते हैं वहीं कार्य सैंकड़ों वर्ष पूर्व महर्षि वात्स्यायन ने कर दिया था।
 
परंतु प्राचीन साहित्‍य में कामशास्‍त्र पर बहुत-सी पुस्‍तकें उपलब्‍ध हैं। इनमें अनंगरंग, कंदर्प, चूड़ामणि, कुट्टिनीमत, नागर सर्वस्‍व, पंचसायक, रतिकेलि कुतूहल, रतिमंजरी, रहिरहस्‍य, रतिरत्‍न प्रदीपिका, स्‍मरदीपिका, श्रृंगारमंजरी आदि प्रमुख हैं। पूर्ववर्ती आचार्यों के रूप में नंदी, औद्दालकि, श्‍वेतकेतु, बाभ्रव्‍य, दत्तक, चारायण, सुवर्णनाभ, घोटकमुख, गोनर्दीय, गोणिकापुत्र और कुचुमार का उल्‍लेख मिलता है। प्राचीन ग्रंथों के पूर्ण अध्ययन से पर्याप्‍त प्रमाण हैं कि कामशास्‍त्र पर विद्वानों, विचारकों और ऋषियों का ध्‍यान बहुत पहले से ही जा चुका था। 
 
अगले पन्ने पर, किसने किया अंग्रेजी में अनुवाद...
 

इसके अलावा भी करीब प्रसिद्ध भाषाविद् सर रिचर्ड एफ़ बर्टन ब्रिटेन में इसका अंग्रेज़ी अनुवाद करवाया। अरब का विख्यात कामशास्त्र पर आधारित ‘सुगन्धित बाग’ भी इस ग्रन्थ से प्रेरित है। इसी प्रकार से राजस्थान की दुर्लभ यौन चित्रकारी के अतिरिक्‍त खजुराहो, कोणार्क आदि की शिल्पकला भी कामसूत्र से ही प्रेरित है।
 
रीतिकालीन कवियों ने भी अपने काव्यों से कामसूत्र को आधार बना कर लिखा है। गीत-गोविन्द के रचयिता जयदेव ने अपनी रचना ‘रतिमंजरी’ में कामसूत्र का सार-संक्षेप प्रस्तुत किया है। 
 
उल्लेखनीय है कि संसार की लगभग हर भाषा में इस ग्रन्थ का अनुवाद हो चुका है। इसके अनेक भाष्य और संस्करण भी प्रकाशित हो चुके हैं परंतु इस ग्रन्थ के 'जयमंगला भाष्य' को ही प्रमाणिक माना गया है।    

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi