पारस मणि का जिक्र पौराणिक ग्रंथों और लोककथाओं में मिलता है। मणि के संबंध में इसके हजारों किस्से-कहानियां समाज में प्रचलित हैं। कई लोग यह दावा भी करते हैं कि हमने पारस मणि देखी है। पारस मणि की प्रसिद्धि और लोगों में इसके होने को लेकर इतना विश्वास है कि भारत में कई ऐसे स्थान हैं, जो 'पारस' के नाम से जाने जाते हैं। कुछ लोगों के आज भी पारस नाम होते हैं।
पारस मणि एक प्रकार का सफेद चमकता हुआ पत्थर होता है। ज्ञात हो कि अश्वत्थामा के पास एक ऐसी मणि थी जिसके बल पर वह शक्तिशाली बन गया था। मणियां कई प्रकार की होती हैं, जैसे स्यमंतक मणि, नीलमणि, चन्द्रकांत मणि, शेष मणि, कौस्तुभ मणि, पारस मणि, लाल मणि आदि। इन्हीं में से एक पारस मणि के बारे में मान्यता है कि इसे लोहे की किसी भी वस्तु से छुआ देने से वह वस्तु सोने की बन जाती है। अब सवाल यह उठता है कि यह मणि मिलती कहां है?
शास्त्रों की कहानियां बताती हैं कि हिमालय के जंगलों में बड़ी आसानी से पारस मणि मिल जाती है, बस कोई व्यक्ति उनकी पहचान करना जानता हो। कहानियों के अंदर जिक्र आता है कि कई संत पारस मणि खोजकर लाते थे और अपने भक्तों को दे देते थे। यह मणि हिमालय के आस-पास ही पाई जाती है। हिमालय के साधु-संत ही जानते हैं कि पारस मणि को कैसे ढूंढा जाए?
ऐसी मान्यता है कि कौवों को इस मणि की पहचान होती है। किंवदंती है कि पारस मणि की तलाश के लिए कौवे के पैरों में लोहे के छल्ले डाल देते हैं। कौआ जब पारस मणि के पास जाकर उसे अपने पैरों से छूता या वह उस पर बैठ जाता है तो ये छल्ले सोने में बदल जाते हैं। बस फिर वे लोग उस कौवे के पीछे लग जाते थे।
पत्थर के लिए देखें वीडियो
ऐसा भी कहा जाता है कि प्राचीन भारतीय रसायानाचार्य नागार्जुन ने पारे को सोने में बदलने की तरकीब विकसित की थी। उन्होंने ही पारस मणि बनाई थी। पारस मणि पत्थर है या रासायनिक रचना? इसे लेकर भी अलग-अलग राय है। हालांकि झारखंड के गिरिडीह इलाके के पारसनाथ जंगल में आज भी लोग पारस मणि की खोज करते रहते हैं।
तो यह थी पारस मणि के बारे में रोचक जानकारी। ऐसी ही रोचक जानकारी के लिए देखते रहिए वेबदुनिया।