प्राचीनकाल में वेदों का अध्ययन होता था। उसमें भी शिक्षा, छंद, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष और कल्प। ये छह वेदांग होते हैं और जिसकी जिसमें रुचि होती थी वह उसका पठन करता था। इसमें भी ज्योतिष को वेदों का नेत्र माना गया है। ज्योतिष में ही पंचांग विद्या को जानना भी बहुत कठिन होता है। कहते हैं कि पंचांग के पठन और श्रवण से भी लाभ मिलता है।
वेदों और अन्य ग्रंथों में सूर्य, चंद्र, पृथ्वी और नक्षत्र सभी की स्थिति, दूरी और गति का वर्णन किया गया है। स्थिति, दूरी और गति के मान से ही पृथ्वी पर होने वाले दिन-रात और अन्य संधिकाल को विभाजित कर एक पूर्ण सटीक पंचांग बनाया गया है। पंचांग काल दिन को नामंकित करने की एक प्रणाली है। पंचांग के चक्र को खगोलकीय तत्वों से जोड़ा जाता है। बारह मास का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है।
पंचांग नाम पांच प्रमुख भागों से बने होने के कारण है, यह है- तिथि (Tithi), वार (Day), नक्षत्र (Nakshatra), योग (Yog) और (Karan) करण। इसकी गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। भिन्न-भिन्न रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है। एक साल में 12 महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में 15 दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में 27 नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं।
कहते हैं कि पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। प्राचीनकाल में इसे मुखाग्र रखने का प्रचलन था। क्योंकि इसी के आधार पर सबकुछ जाना जा सकता था।
1. शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। तिथि 30 होती है।
2. वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। वार का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। वार सात होते हैं।
3. नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। नक्षत्र का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। नक्षत्र 27 होते हैं।
4. योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है और उनसे वियोग नहीं होता है। योग (शुभ और अशुभ) का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। योग भी 27 होते हैं।
5. करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। करण का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। करण 11 होते हैं।