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महाभारत के ये तीन लोग जिन्होंने लिया था पुनर्जन्म

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अनिरुद्ध जोशी

भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण ग्रंथ 'महाभारत' रहस्यों से भरा पड़ा है। इसके हजारों नायकों की अलग ही रोचक कहानियां हैं। सभी एक से बढ़कर एक वीर थे। इस ग्रंथ को जितनी बार पढ़ा जाए, कम है। इस पर बड़े पैमाने पर शोध किए जाने की जरूरत है।

महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं- हे कुंतीनंदन! तेरे और मेरे कई जन्म हो चुके हैं। फर्क ये है कि मुझे मेरे सारे जन्मों की याद है, लेकिन तुझे नहीं। तुझे नहीं याद होने के कारण तेरे लिए यह संसार नया और तू फिर से आसक्ति पाले बैठा है। लेकिन हम यहां ऐसे ही 3 लोगों की बात कर रहे हैं जिन्हें अपने पूर्व जन्म की याद थी।

 

अगले पन्ने पर पहला व्यक्ति...

 


शांतनु : भीष्म पितामह के पिता का नाम शांतनु था। उनका पहला विवाह गंगा से हुआ था। पूर्व जन्म में शांतनु राजा महाभिष थे। उन्होंने बड़े-बड़े यज्ञ करके स्वर्ग प्राप्त किया। एक दिन बहुत से देवता और राजर्षि, जिसमें महाभिष भी थे, ब्रह्माजी की सेवा में उपस्थित थे। उसी समय वहां गंगा का आना हुआ और गंगा को देखकर राजा मोहित हो गए और एकटक उन्हें देखने लगे। तब ब्रह्माजी ने कहा कि महाभिष, तुम मृत्युलोक जाओ। जिस गंगा को तुम देख रहे हो, वह तुम्हारा अप्रिय करेगी और तुम जब उस पर क्रोध करोगे तब इस शाप से मुक्त हो जाओगे।

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भीष्म : हिन्दू धर्म में 33 प्रमुख देवता हैं। उनमें 8 वसु भी हैं। उन्हीं 8 वसुओं ने गंगा की कोख से जन्म लिया थे जिनको गंगा नदी में बहाती जा रही थी। लेकिन गंगा के 8वें पुत्र को राजा शांतनु ने नहीं बहाने दिया। इन आठों को गुरु वशिष्ठ ऋषि ने मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप दिया था। गंगा ने अपने सातों पुत्रों को जन्म लेते ही मनुष्य योनि से मुक्त कर दिया था, लेकिन 8वां पु‍त्र रह गया। यही 8वां पुत्र भीष्म कहलाया।

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विदुर : यमराज को ऋषि माण्डव्य ने श्राप दिया था जिसके चलते यमराज को मनुष्य योनि में जन्म लेना पड़ा। विदुर को यमराज का अवतार माना जाता है। ये धर्मशास्त्र और अर्थशास्त्र में निपुण थे। उन्होंने जीवनभर कुरुवंश के हित के लिए कार्य किया।

संकलन : शताय



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