Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- वैशाख कृष्ण प्रतिपदा
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त- कच्छापवतार, सत्य सांईं महा.दि.
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

आध्यात्मिक जगत में कौनसा मार्ग सर्वोच्च है?

हमें फॉलो करें आध्यात्मिक जगत में कौनसा मार्ग सर्वोच्च है?

अनिरुद्ध जोशी

, बुधवार, 20 मई 2020 (15:05 IST)
अध्यात्म की तलाश किसे रहती है? भारत में कई विदेशी अथ्याम की तलाश में आते हैं और यहीं रम जाते हैं। कुंभ में करोड़ों लोग तमाशा देखने, मनोकामनापूर्ति हेतु या पाप धोने के लिए जुटते हैं लेकिन कुछ हजार लोग ही अध्यात्म की तलाश में साधुओं के शिविर में भटकते रहते हैं। आओ जानते हैं कि किस होती है अध्यात्म की तलाश और क्या है सर्वोच्च मार्ग।
 
1. जिसके मन में वैराग्य का भाव जागृत हो गया है अर्थात जिसे यह गहरे में बोध हो गया है कि यह शरीर तो नश्वर है एक दिन खत्म हो जाएगा फिर मेरा अस्तित्व है कि नहीं? क्या मैं इस जन्म के पहले भी था या मरने के बाद भी रहूंगा?
 
2. जो यह जानना चाहता है कि सत्य क्या है? आत्मा क्या है? परमात्मा क्या है? मोक्ष क्या है? ब्राह्मांड कैसे जन्मा? 
उक्त सभी के उत्तर जानना का उत्सुक है तो वह भी अध्यात्म की तलाश करता है। ऐसे व्यक्ति की तलाश करता है जो इन सभी के उत्तर जानता है।
 
3. अध्यात्म की तलाश करने वाले कई लोग होते हैं जिसमें से कुछ तो उत्सुक, कुछ जिज्ञासु और बहुत कम ही मुमुक्षु होते हैं। मुमुक्षु अर्थात जिसमें मोक्ष की इच्छा प्रबल है। मुमुक्षु ही सही आध्यात्मिक व्यक्ति होता है। ऐसे ही व्यक्ति के समक्ष मार्ग चयन की चुनौति रहती है। बाकी तो पुन: अपने सांसारिक जीवन में लौट जाते हैं।
 
सर्वोत्तम मार्ग :
भारत में हमारे ऋषि मुनियों ने सत्य तक या मोक्ष तक पहुंचने के कई मार्ग बताए हैं। वेद, उपनिषद, गीता और योग में उक्त सभी मार्गों का वर्णन मिलेगा। उक्त के आधार पर ही सभी धर्मों में भिन्न भिन्न मार्गो का वर्णन मिलेगा। भगवान शिव ने 12 तरह के मार्गों का वर्णन किया है।
 
उपनिषदों में तत्व ज्ञान के मार्ग का विषद विवेचन किया गया है। इसी के आधार पर गीता में भक्ति मार्ग, ज्ञान मार्ग, कर्म मार्ग और योग के मार्ग का सविस्तार वर्णन मिलता है। पतं‍जलि योग सूत्र में आष्टांग योग के मार्ग का महत्व है जिसे राजयोग कहते हैं। भगवान महावीर ने पंचमहाव्रत और भगवान बुद्ध ने आष्टांगिक मार्ग का वर्णन किया है। सभी को पढ़ने और समझने के बाद हमें 7 मार्गों का पता चलता है।
 
1. संध्यावंदन का मार्ग : 8 प्रहर की संधि में प्रात: मध्य और संध्या काल की संध्यावंदन महत्वपूर्ण होती है। इसे त्रिकाल संध्या कहते हैं। संध्यावंदन ईश्वर या स्वयं से जुड़ने का वैदिक तरीका है। इसे दूसरे धर्मों में भिन्न रूप से किया जाता है। 
 
2. भक्ति मार्ग : भक्ति भी मुक्ति का एक मार्ग है। भक्ति भी कई प्रकार ही होती है। इसमें श्रवण, भजन-कीर्तन, नाम जप-स्मरण, मंत्र जप, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, पूजा-आरती, प्रार्थना आदि शामिल हैं।
 
3. योग मार्ग : योग अर्थात मोक्ष के मार्ग की सीढ़ियां। पहली सीढ़ी यम, दूसरी नियम, तीसरी आसन मुद्रा, चौथी प्राणायाम क्रिया, पांचवीं प्रत्याहार, छठी धारणा, सातवीं ध्यान और आठवीं अंतिम सीढ़ी समाधि अर्थात मोक्ष। इसी योग को पूर्व में भगवान महावीर और बुद्ध ने अपने अपने तरीके से अपनाया और समझाया। इस योग का वर्णन हमें उपनिषदों में मिलता है। 
 
4. ध्यान मार्ग : ध्यान का अर्थ शरीर और मन की तन्द्रा को तोड़कर होशपूर्ण हो जाना। ध्यान कई प्रकार से किया जाता है। इसका उद्देश्य साक्षीभाव में स्थित होकर मोक्ष को प्राप्त करना होता है। ध्यान जैसे-जैसे गहराता है, व्यक्ति साक्षीभाव में स्थित होने लगता है। इसी ही गीता में स्थितप्रज्ञ कहा गया है।
 
5. तंत्र : मोक्ष प्राप्ति का तांत्रिक मार्ग भी है। इसका अर्थ है कि किसी वस्तु को बलपूर्वक हासिल करना। तंत्र भोग से मोक्ष की ओर गमन है। इस मार्ग में कई तरह की साधनाओं का उल्लेख मिलता है। तंत्र मार्ग को वाममार्ग भी कहते हैं। तंत्र को गलत अर्थों में नहीं लेना चाहिए।
 
6. ज्ञान : साक्षीभाव द्वारा विशुद्ध आत्मा का ज्ञान प्राप्त करना ही ज्ञान मार्ग है। ईश्वर, ब्रह्मांड, जीवन, आत्मा, जन्म और मरण आदि के प्रश्नों से उपजे मानसिक द्वंद्व को एक तरफ रखकर निर्विचार को ही महत्व देंगे, तो साक्षीभाव उत्पन्न होगा। वेद, उपनिषद और गीता के श्लोकों का अर्थ समझे बगैर यह संभव नहीं। तार्किक बुद्धि ही विवेकी होने की क्षमता रखती है। विवेकी ही अंतरज्ञानी बन जाता है। ज्ञान योग मन और बुद्धि का क्रमविकास कर अतिक्रमण कर जाता है।
 
7. कर्म और आचरण : कर्मों में कुशलता लाना सहज योग है। भगवान श्रीकृष्ण ने 20 आचरणों का वर्णन किया है जिसका पालन करके कोई भी मनुष्य जीवन में पूर्ण सुख और जीवन के बाद मोक्ष प्राप्त कर सकता है। 20 आचरणों को पढ़ने के लिए गीता पढ़ें। भाग्यवादी नहीं कर्मवादी बनें।
 
ये है 20 आचरण : 1.अमानित्वं: अर्थात नम्रता, 2.अदम्भितम: अर्थात श्रेष्ठता का अभिमान न रखना, 3.अहिंसा: अर्थात किसी जीव को पीड़ा न देना, 4.क्षान्ति: अर्थात क्षमाभाव, 5.आर्जव: अर्थात मन, वाणी एवं व्यव्हार में सरलता, 6.आचार्योपासना: अर्थात सच्चे गुरु अथवा आचार्य का आदर एवं निस्वार्थ सेवा, 7.शौच: अर्थात आतंरिक एवं बाह्य शुद्धता, 8.स्थैर्य: अर्थात धर्म के मार्ग में सदा स्थिर रहना, 9.आत्मविनिग्रह: अर्थात इन्द्रियों वश में करके अंतःकरण कों शुद्ध करना, 10. वैराग्य इन्द्रियार्थ: अर्थात लोक परलोक के सम्पूर्ण भोगों में आसक्ति न रखना, 11.अहंकारहीनता: झूठे भौतिक उपलब्धियों का अहंकार न रखना, 12. दुःखदोषानुदर्शनम्‌: अर्थात जन्म, मृत्यु, जरा और रोग आदि में दुःख में दोषारोपण न करना, 13. असक्ति: अर्थात सभी मनुष्यों से समान भाव रखना, 14.अनभिष्वङ्गश: अर्थात सांसारिक रिश्तों एवं पदार्थों से मोह न रखना, 15.सम चितः अर्थात सुख-दुःख, लाभ-हानि में समान भाव रखना, 16.अव्यभिचारिणी भक्ति : अर्थात परमात्मा में अटूट भक्ति रखना एवं सभी जीवों में ब्रम्ह के दर्शन करना, 17. विविक्तदेशसेवित्वम: अर्थात देश के प्रति समर्पण एवं त्याग का भाव रखना, 18. अरतिर्जनसंसदि: अर्थात निरर्थक वार्तालाप अथवा विषयों में लिप्त न होना, 19.अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं : अर्थात आध्यात्मिक ज्ञान के लिए हमेश प्रयत्नशील रहना, 20.आत्मतत्व: अर्थात आत्मा का ज्ञान होना, यह जानना की शरीर के अंदर स्थित मैं आत्मा हूं शरीर नहीं।
 
प्रत्येक व्यक्ति के अनुसार उपरोक्त मार्ग में सर्वोत्तम भिन्न भिन्न हो सकता है। ज्ञानी के लिए ज्ञान मार्ग और भक्त के लिए भक्ति मार्ग। लेकिन सभी मार्ग व्यक्ति को साक्षीत्व की ओर ले जाकर ही मोक्ष प्राप्त करवाते हैं।  अत: जो व्यक्ति शरीर और मन से मोक्ष की ओर जाने की शुरुआत करना चाहता है उसके लिए योग उत्तम है और जो मानसिक रूप से परिपक्व है उसके लिए ध्यान का मार्ग ही सर्वोत्तम ही है। योग सभी मार्गों में उत्तम राजपथ है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Jupiter : गुरु ग्रह हो गए हैं वक्री, किस राशि को दे रहे हैं तकलीफ