Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर क्यों है रोक, जानिए 5 कारण

हमें फॉलो करें सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर क्यों है रोक, जानिए 5 कारण

अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 14 नवंबर 2019 (11:03 IST)
भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है विश्‍व प्रसिद्ध सबरीमाला का मंदिर। यहां हर दिन लाखों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। करीब सैंकड़ों साल पुराने इस मंदिर में ये मान्यता पिछले काफी समय से चल रही थी कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए। इसके कुछ कारण बताए गए थे। आओ जानते हैं इस मंदिर के इतिहास और स्थिति के बारे में।
 
 
1.सबरीमाला में अयप्पा का मंदिर है जिनके पिता शिव और माता मोहिनी है। कहते हैं कि अयप्पा स्वामी परम ब्रह्मचारी एवं बैरागी हैं इसीलिए उनके मंदिर में जाने के लिए शुद्धि और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है।
 
2.दस से पचास वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर इसलिए प्रतिबंध है क्योंकि इस उम्र में महिलाओं को मासिक धर्म का चक्र रहता है। इसीलिए महिलाओं के प्रवेश पर रोक है।
 
 
3.यह मान्यता है कि मासिक धर्म के चलते महिलाएं लगातार 41 दिन का व्रत नहीं कर सकती हैं, इसलिए 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में आने की अनुमति नहीं है।

4.आख्यानों (पुरानी कथाओं) के अनुसार, अयप्पा अविवाहित हैं और वे अपने भक्तों की प्रार्थनाओं पर पूरा ध्यान देना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने तब तक अविवाहित रहने का फैसला किया है जब तक उनके पास कन्नी स्वामी (यानी वे भक्त जो पहली बार सबरीमाला आते हैं) आना बंद नहीं कर देते।"

5.पुराणों के अनुसार अयप्पा विष्णु और शिव के पुत्र हैं। अयप्पा में दोनों ही देवताओं का अंश है। जिसकी वजह से भक्तों के बीच उनका महत्व और बढ़ जाता है। ऐसे में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।
 
 
1500 साल से लगा है बैन, काले कपड़े पहनकर जाते हैं लोग : भगवान अयप्पा का यह सबरीमाला मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम से 175 किमी दूर पहाड़ियों पर बना हुआ है। यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। अयप्पा को बह्मचारी और तपस्वी माना जाता है, इसलिए पिछले 1500 साल से यहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी। इस मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 41 दिन का कठिन व्रत करना पड़ता है। आमतौर पर लोग काले कपड़े पहनकर मंदिर में नहीं जाते, लेकिन सबरीमाला में श्रद्धालु केवल काले या नीले कपड़े पहनकर ही दर्शन कर सकते हैं।
 
 
पांच महिला वकीलों ने लड़ी थी प्रवेश की लड़ाई : इस ‘शुद्धिकरण’ को भेदभाव मानते हुए 2006 में इंडियन यंग लॉयर एसोसिएशन की पांच महिला वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। याचिका दायर कर इन्होंने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध हटाने की मांग की और कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक छुआछूत का रूप है।
 
देश के इन मंदिरों में भी महिलाओं के प्रवेश पर रोक है:-
1.कार्तिकेय मंदिर, पिहोवा, हरियाणा
2.घटई देवी, सतारा, महाराष्ट्र
3.मावली माता मंदिर, धमतरी, छत्तीसगढ़
4.मंगल चांडी मंदिर, बोकारो, झारखंड
5.रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान
 
 
कैसे पहुंचें मंदिर?
*तिरुअनंतपुरम से सबरीमाला के पंपा तक बस या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है।
*पंपा से पैदल जंगल के रास्ते पांच किलोमीटर पैदल चलकर 1535 फीट ऊंची पहाड़ियों पर चढ़कर सबरिमला मंदिर में अय्यप्प के दर्शन प्राप्त होते हैं।
*रेल से आने वाले यात्रियों के लिए कोट्टयम या चेंगन्नूर रेलवे स्टेशन नज़दीक है। यहां से पंपा तक गाड़ियों से सफर किया जा सकता है।
*यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट तिरुअनंतपुरम है, जो सबरीमला से कुछ किलोमीटर दूर है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

केदारनाथ मंदिर के पीछे की शिला का रहस्य बरकरार, नाम पड़ा भीम शिला