कई लोगों की आदत होती है कि वे अपनी अंगुलियां या गर्दन की हड्डी को दिनभर चटकाते रहते हैं। मान्यता अनुसार इसे खोड़ले लक्षण कहते हैं। कहते हैं कि इससे जहां उम्र कम होती है। वहीं इससे दरिद्रता भी बढ़ती जाती है। अब यह कितना सही है यह तो हम नहीं जानते लेकिन है जरूर गलत।
वास्तव में कुछ लोग हर थोड़ी देर बाद जोर-जोर से अपनी अंगुलियां चटकाते रहते हैं। वास्तव में लंबे समय तक अंगुलियां चटकाने से आपको बुखार, जोड़ों में दर्द जैसी बीमारी हो सकती है। बुढ़ापे में अंगुलिया हिलने लगती है अर्थात उनकी किसी भी चींज को पकड़ने की शक्ति का पतन हो जाता है। आपने देखा होगा कुछ वृद्धजनों की गर्दन न चाहते हुए भी हिलती रहती है और वे चाय का कप पकड़ते हैं तो वह कप भी हिलता रहता है।
इसे हड्डी तोड़ना, चटकाना या कटकाना भी कहते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने वाले के हाथों से लक्ष्मी चली जाती है। अब लक्ष्मी जाती है या नहीं यह तो नहीं मालूम लेकिन कई लोगों को अपने शरीर के हर जगह की हड्डी चटकाने की आदत होती है जिसके चलते एक दिन सभी ज्वाइंट ढीले पड़ जाते हैं और बुढ़ापे में उसकी शक्ति कम हो जाती है। फिर हाथों की अंगुलियों से चाय का कप पकड़ने पर भी वह हिलेगा।
इस तरह से हड्डियों को या अंगुलियों को चटकाना काफी नुकसानदेह होता है। जो कि गठिया को जन्म देती है। एक अध्यन के अनुसार हमारी हड्डियां लिगामेंट से एक दूसरे से जुड़ी होती हैं जिसे जोड़ कहते हैं। इन जोड़ों के बीच एक द्रव होता है जो अंगुलियों के चटकने के दौरान कम हो जाता है। ये द्रव जोड़ों में ग्रीस के समान होता है। जो हड्डियों को आपस में रगड़ खाने से रोकता है। ऐसे में बार-बार अंगुलियों के चटकने से जोड़ों की पकड़ कमजोर हो जाती है। साथ ही हड्डियों के जोड़ पर मौजूद ऊतक भी नष्ट हो जाते हैं जिससे गठिया जैसे रोग हो जाते हैं।