Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भगवान श्री गणेश की 2 पत्नियां कौन हैं, जानिए कैसे हुआ विवाह

Advertiesment
हमें फॉलो करें भगवान श्री गणेश की 2 पत्नियां कौन हैं, जानिए कैसे हुआ विवाह

अनिरुद्ध जोशी

भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी के दिन भगवान गणेशजी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन गणपति की स्थापना करके गणेशोत्सव मनाया जाता है। प्रत्येक माह के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है। अमावस्या के बाद वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी और पूर्णिमा के बाद वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन गणेशजी की विशेष पूजा होती है। आओ जानते हैं प्रथम पूज्य देव गणेशजी की पत्नियों के बारे में संक्षिप्त में।
 
 
गणेशजी की पत्नियां : 
1. गणेशजी की ऋद्धि और सिद्धि नामक दो पत्नियां हैं, जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। 
 
2. सिद्धि से 'क्षेम' और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के 2 पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही 'शुभ-लाभ' कहा जाता है। संतोषी माता को गणेशजी की पुत्री कहा गया है।
 
3. गणेशजी के पोते आमोद और प्रमोद हैं जबकि तुष्टि और पुष्टि को गणेशजी की बहुएं कहा गया है।
 
 
4. गणेश विवाह चर्चा भी सभी पुराणों में रोचक तरीके से मिलती है। कहते हैं कि तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकराने से तुलसी के श्राप के कारण गणेशजी को रिद्धि और सिद्धि से विवाह करना पड़ा था। गणेशजी ने भी तुलसी को श्राप दे दिया था कि जा तेरा विवाह किसी असुर से होगा। तब तुलसी वृंदा के रूप में जन्मी और उनका विवाह जलंधर से हुआ।
 
5. यह भी कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने रिद्धि एवं सिद्धि को शिक्षा हेतु गणेशजी के पास भेजा था। गणेशजी के समक्ष जब भी कोई विवाह का प्रस्ताव आता तो रिद्धि एवं सिद्धि दोनों की गणेशजी और उनके मूषक का ध्यान भटका देती थीं क्योंकि वे दोनों ही उनके साथ विवाह करना चहती थी।
 
 
6. एक दिन गणेशजी सोच में पड़ गए कि सभी के विवाह हो गए मेरे विवाह में ही विघ्‍न क्यों? फिर जब उन्हें रिद्धि एवं सिद्धि की हरकत का पता चला तो वे उन्हें श्राप देने लगे तभी वहां पर ब्रह्मा आ पहुंचे और उन्होंने गणेशजी को ऐसा करने से रोका और रिद्धि एवं सिद्धि से विवाह करने की सलाह दी। तब गणेशजी मान गए। फिर गणेशजी का विवाह धूमधाम से हुआ।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

संकष्टी चतुर्थी : इस चतुर्थी की 4 पौराणिक कथाएं