Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

गरूड़ पुराण में मृत व्यक्ति को जिंदा करने का लिखा है ये मंत्र

Advertiesment
हमें फॉलो करें garuda purana

अनिरुद्ध जोशी

गरूड़ पुराण के बारे में सभी जानते होंगे। गरुड़ पुराण में स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य के अलावा भी बहुत कुछ है। उसमें ज्ञान, विज्ञान, नीति, नियम और धर्म की बाते हैं। गरुड़ पुराण में एक ओर जहां मौत का रहस्य है जो दूसरी ओर जीवन का रहस्य भी छिपा हुआ है।
 
 
गरूड़ पुराण पढ़ने के बाद पता चलता है कि उसमें संजीवनी विद्या का भी वर्णन मिलता है। संजीवनी विद्या वह है जिसके दम पर मृत व्यक्ति भी जिंदा हो जाता है। गुरु शुक्राचार्य के पास यह विद्या थी। इसी विद्या के दम पर उन्होंने कई मृत्य दैत्यों को फिर से जिंदा कर दिया था। शुक्राचार्य के पास दिव्य महामृत्युंजय मंत्र था जिसके प्रभाव से वह युद्ध में आहत सैनिकों को स्वस्थ कर देते थे और मृतकों को तुरंत पुनर्जीवित कर देते थे।
 
 
माना जाता है कि गरुढ़ पुराण में संजीवनी विद्या से संबंधित ऐसे-ऐसे मंत्र बताए गए हैं, जिससे मृत व्यक्ति भी जीवित हो सकता है। अगर इस मंत्र को सिद्ध करके, मृत व्यक्ति के कान में फूंका जाए, तो वह तुरंत उठ खड़ा होगा। लेकिन मंत्र सिद्धि के बाद, दशांश हवन और ब्राह्मण भोजन कराना जरूरी बताया गया है। 
 
यह है वो संजीवनी मंत्र - यक्षि ओम उं स्वाहा
 
भगवान विष्णु कहते हैं कि मृत्यु के बाद, आत्मा को तुरंत शरीर मिल जाता है। लेकिन कर्मों की गति के आधार पर, कभी-कभी देर से भी शरीर मिलता है। मृत्यु के बाद, आत्मा वायु शरीर धारण करती है। उसके बाद पिंडदान से आत्मा, शरीर में बंध जाती है। इसीलिए मृत्यु के बाद, पिंडदान करने से, आत्मा को भटकन से मुक्ति मिल जाती है।
 
 
उल्लेखनीय है कि महामृत्युंजय मंत्र भी इतना ही असरकारक है। यदि कोई व्यक्ति मरणासन है या डॉक्टर ने हाथ टेक दिए हैं तो महामृत्युंजय मंत्र यदि सिद्ध किया हुआ है तो निश्चित ही व्यक्ति की मृत्यु टल जाएगी। ऋषि मार्कंडेय ने महामृत्युंजय मंत्र के बल पर अपनी मृत्यु को टाल दिया था, यमराज को खाली हाथ वापस यमलोक जाना पड़ा था। लंकापति रावण भी महामृत्युंजय मंत्र का साधक था। इसी मंत्र के प्रभाव से उसने दस बार अपने नौ सिर काट कर उन्हें अर्पित कर दिए थे। 
 
 
'महामृत्युंजय मंत्र'
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
 
शिव पुराण में इस मंत्र का वर्णन मिलता है। ऋग्वेद की 7/59/12 एवं यजुर्वेद की ऋचा 1/60 में भी इस मंत्र की महिमा का उल्लेख मिलता है। शुक्राचार्य ने रक्तबीज नामक राक्षस को महामृत्युंजय सिद्धि प्रदान कर युद्धभूमि में रक्त की बूंद से संपूर्ण देह की उत्पत्ति कराई थी। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

11 से 18 जून 2018 : साप्ताहिक राशिफल