Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जैसी मति वैसी गति, ऐसे बनेंगे असुत्ता योगी

हमें फॉलो करें जैसी मति वैसी गति, ऐसे बनेंगे असुत्ता योगी

अनिरुद्ध जोशी

तीन अवस्थाएं हैं- जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति। उक्त 3 तरह की अवस्थाओं के अलावा हमने और किसी प्रकार की अवस्था को नहीं जाना है। जगत 3 स्तरों वाला है- एक स्थूल जगत जिसकी अनुभूति जाग्रत अवस्था में होती है। दूसरा, सूक्ष्म जगत जिसका स्वप्न में अनुभव करते हैं तथा तीसरा, कारण जगत जिसकी अनुभूति सुषुप्ति में होती है।
 
 
उक्त तीनों अवस्थाओं में विचार और भाव निरंतर चलते रहते हैं। जो विचार धीरे-धीरे जाने-अनजाने दृढ़ होने लगते हैं वे धारणा का रूप धर लेते हैं। चित्त के लिए अभी कोई वैज्ञानिक शब्द नहीं है लेकिन मान लीजिए कि आपका मन ही आपके लिए जिन्न बन जाता है और वह आपके बस में नहीं है, तब आप क्या करेंगे? धारणा बन गए विचार ही आपके स्वप्न का हिस्सा बन जाते हैं। आप जानते ही हैं कि स्वप्न तो स्वप्न ही होते हैं उनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं फिर भी आप वहां उस काल्पनिक दुनिया में उपस्थित होते हैं।
 
 
इसी तरह बचपन में यदि यह सीखा है कि आत्मा मरने के बाद स्वर्ग या नर्क जाती है और आज भी आप यही मानते हैं तो आप निश्‍चित ही एक काल्पनिक स्वर्ग या नर्क में पहुंच जाएंगे। यदि आपके मन में यह धारणा बैठ गई है कि मरने के बाद व्यक्ति कब्र में ही लेटा रहता है तो आपके साथ वैसा ही होगा। हर धर्म आपको एक अलग धारणा से ग्रसित कर देता है। हालांकि यह तो एक उदाहरण भर है। धर्म आपके चित्त को एक जगह बांधने के लिए निरंतर कुछ पढ़ने या प्रार्थना करने के लिए कहता है।
 
 
वैज्ञानिकों ने आपके मस्तिष्क की सोच, कल्पना और आपके स्वप्न पर कई तरह के प्रयोग करके जाना है कि आप हजारों तरह की धारणाओं, भय, आशंकाओं आदि से ग्रसित रहते हैं, जो कि आपके जीवन के लिए जहर की तरह कार्य करते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि भय के कारण नकारात्मक विचार बहुत तेजी से मस्तिष्क में घर बना लेते हैं और फिर इनको निकालना बहुत ही मुश्किल होता है।
 
अत: वह व्यक्ति ही योगी, धार्मिक या अध्यात्मिक है जिसने उपरोक्त तीन तरह की गतियों को समझकर खुद को साक्षी भाव में स्थिति करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। जो व्यक्ति अपनी जाग्रत अवस्था में 10 से 12 बार भी साक्षी भाव में स्थित हो जाता है वह कुछ काल बाद स्वप्न का अतिक्रमण कर लेता है अर्थात वह अपने सपनों पर कब्जा कर लेता है। और जो ऐसा करने में सक्षम हो जाता है वह फिर अपनी सुषुप्ति में भी जागा हुआ रहता है। इसे ही गीता में स्थित प्रज्ञ योगी कहा गया है। योग में असुत्ता योगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

धार्मिक परंपरा के दो मार्ग, जानकर रह जाएंगे हैरान