Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कैसा है 'आत्मा' का रंग?

हमें फॉलो करें कैसा है 'आत्मा' का रंग?
FILE
दुनिया का शायद ही कोई व्यक्ति जानता होगा की आत्मा का रंग क्या है। क्या सचमुच ही आत्मा का भी रंग होता है? कहते हैं कि आत्मा का कोई रंग नहीं होता वह तो पानी की तरह रंगहीन है। लेकिन नहीं जनाब 'आत्मा' का भी रंग होता है। यह हम नहीं कह रहे यह शोध और शास्त्र कहते हैं कि आत्मा का भी रंग होता है!

रंगों का विज्ञान : आत्मा के रंग को जानने से पहले रंगों के बारे में जानते चलें तो शायद विश्वास हो कि हां आत्मा का का भी रंग होता है। यह दुनिया रंग-बिरंगी या कहें कि सतरंगी है। सतरंगी अर्थात सात रंगों वाली।

लेकिन रंग तो मूलत: पांच ही होते हैं- कला, सफेद, लाल, नीला और पीला। काले और सफेद को रंग मानना हमारी मजबूरी है जबकि यह कोई रंग नहीं है। इस तरह तीन ही प्रमुख रंग बच जाते हैं- लाल, पीला और नीला। आपने आग जलते हुए देखी होगी- उसमें यह तीन ही रंग दिखाई देते हैं। हालांकि विज्ञान पीले की जगह हरे रंग को मान्यता देता है।

जब कोई रंग बहुत फेड हो जाता है तो वह सफेद हो जाता है और जब कोई रंग बहुत डार्क हो जाता है तो वह काला पड़ जाता है। लाल रंग में अगर पीला मिला दिया जाए, तो वह केसरिया रंग बनता है। नीले में पीला मिल जाए, तब हरा रंग बन जाता है। इसी तरह से नीला और लाल मिलकर जामुनी बन जाते हैं। आगे चलकर इन्हीं प्रमुख रंगों से हजारों रंगो की उत्पत्ति हुई।

सात चक्र के रंग : शास्त्र अनुसार हमारे शरीर में स्थित है सात प्रकार के चक्र। यह सातों चक्र हमारे सात प्रकार के शरीर से जुड़े हुए हैं। सात शरीर में से प्रमुख है तीन शरीर- भौतिक, सूक्ष्म और कारण। भौतिक शरीर लाल रक्त से सना है जिसमें लाल रंग की अधिकता है। सूक्ष्म शरीर सूर्य के पीले प्रकाश की तरह है और कारण शरीर नीला रंग लिए हुए है।

चक्रों के नाम : मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्रार। मूलाधार चक्र हमारे भौतिक शरीर के गुप्तांग, स्वाधिष्ठान चक्र उससे कुछ ऊपर, मणिपुर चक्र नाभि स्थान में, अनाहत हृदय में, विशुद्धि चक्र कंठ में, आज्ञा चक्र दोनों भौंओ के बीच जिसे भृकुटी कहा जाता है और सहस्रार चक्र हमारे सिर के चोटी वाले स्थान पर स्थित होता है। प्रत्येक चक्र का अपना रंग है।

कुछ ज्ञानीजन मानते हैं कि नीला रंग आज्ञा चक्र का एवं आत्मा का रंग है। नीले रंग के प्रकाश के रूप में आत्मा ही दिखाई पड़ती है और पीले रंग का प्रकाश आत्मा की उपस्थिति को सूचित करता है।

नीले रंग की अधिकता : संपूर्ण जगत में नीले रंग की अधिकता है। धरती पर 75 प्रतिशत फैले जल के कारण नीले रंग का प्रकाश ही फैला हुआ है तभी तो हमें आसमान नीला दिखाई देता है। कहना चाहिए ‍कि कुछ-कुछ आसमानी है आत्मा।

ध्यान के द्वारा आत्मा का अनुभव किया जा सकता है। शुरुआत में ध्यान करने वालों को ध्यान के दौरान कुछ एक जैसे एवं कुछ अलग प्रकार के अनुभव होते हैं। पहले भौहों के बीच आज्ञा चक्र में ध्यान लगने पर अंधेरा दिखाई देने लगता है। अंधेरे में कहीं नीला और फिर कहीं पीला रंग दिखाई देने लगता है।

यह गोलाकार में दिखाई देने वाले रंग हमारे द्वारा देखे गए दृश्य जगत का रिफ्‍लेक्शन भी हो सकते हैं और हमारे शरीर और मन की हलचल से निर्मित ऊर्जा भी। गोले के भीतर गोले चलते रहते हैं जो कुछ देर दिखाई देने के बाद अदृश्य हो जाते हैं और उसकी जगह वैसा ही दूसरा बड़ा गोला दिखाई देने लगता है। यह क्रम चलता रहता है।

जब नीला रंग आपको अच्छे से दिखाई देने लगे तब समझे की आप स्वयं के करीब पहुंच गए हैं।
- anirudh joshi (shatayu)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi