Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जुरासिक पार्क के जीवों से भी कहीं ज्यादा अद्भुत है हिन्दू पुराणों के ये 10 जीव

हमें फॉलो करें जुरासिक पार्क के जीवों से भी कहीं ज्यादा अद्भुत है हिन्दू पुराणों के ये 10 जीव

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 4 अक्टूबर 2021 (06:11 IST)
हिन्दू वेद और पुराणों में प्राचीन या आदिम काल के ऐसे जीव-जंतुओं का उल्लेख है जिनके बारे में जानकर आप चकित रह जाएंगे। आपने ऐसे प्राणी किसी जुरासिक फिल्म में या हॉलीवुड की साइंस फिक्शन या फ़ैन्टसी फिल्मों भी नहीं देखें होंगे। आओ जानते हैं ऐसे ही 10 रोमांचक और अद्भुत जीवों के बारे में।

 
1. मकर : आपने मगर या मगरमच्छ का नाम सुना होगा यह जीव उससे थोड़ा भिन्न है इसे मकर कहते हैं। संस्कृत में मकर का अर्थ समुद्र का दानव या ड्रेगन कहते हैं। कुछ शोधों से पता चलता है कि प्राचीनकाल में यह अजीब प्राणी बहुत ही प्रसिद्ध था, लेकिन वर्तमान में इसे पौराणिक माना जाता है। चित्रों में इस विलक्षण मगर का सिर तो मगर की तरह है लेकिन उसके सिर पर बकरी के सींगों जैसे सींग हैं, मृग और सांप जैसा शरीर, मछली या मोर जैसी पूंछ और पैंथर जैसे पैर दर्शाए गए हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि एकमात्र वरुण ही इस मकर को नियंत्रित कर सकते हैं ‍जिन्हें डर नहीं है। कुछ अंग्रेजी अनुवादक गीता का अनुवाद करते समय इस पौराणिक मकर को शार्क लिखते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। 

 
2. तिमिलिंगा : वैदिक साहित्य में अक्सर तिमिंगिला और मकर का साथ-साथ जिक्र होता है। तिमिंगिला को एक राक्षसी शार्क के रूप में दर्शाया गया है। महाभारत के अनुसार तिमिंगिला और मकर गहरे समुद्र में रहते हैं। श्रीमद भग्वदगीता अनुसार भूखे और प्यासे मकर और तिमिंलिगा ने एक समय मर्केन्डेय ऋषि पर हमला कर दिया था। (12.9.16)‍। एक जगह पर श्रीकृष्ण कहते हैं, 'शुद्धता में मैं हवा हूं, शस्त्रधारियों में मैं राम हूं। तैराकों के बीच में मकर हूं और नदियों में मैं गंगा हूं।'- (31-10)...महाभारत में गहरे समुद्र के भीतर अन्य जीवों के साथ तिमिंगिला और मकर के होने का उल्लेख मिलता है। (महाभारत वनपर्व-168.3)।

webdunia
6ठी शताब्दी ईसा पूर्व के आयुर्वेदिक ग्रंथ सुश्रुत संहिता में भयंकर जलीय जीवन की प्रजातियों के बीच तिमिंलिगा और मकरा के संबंध को दर्शाया गया है। सुश्रुत संहिता के अनुसार तिमि, तिमिंलिगा, कुलिसा, पकामत्स्य, निरुलारु, नंदीवारलका, मकरा, गार्गराका, चंद्रका, महामिना और राजीवा आदि ने समुद्री मछली के परिवार का गठन किया है। -(सुश्रुत संहिता-अध्याय-45)

 
वैदिक साहित्य अनुसार जानवर की शक्ल में आक्रमक जलीय राक्षस जो गहरे समुद्र में रहता है जो मगरमच्छ की तरह दिखाई देता है लेकिन जिसका शरीर मछली की तरह और पूंछ किसी मोर की तरह तथा पंजे तेंदुएं की तरह नजर आते हैं। परंपरागत रूप से मकर को एक जलीय प्राणी माना गया है और कुछ पारंपरिक कथाओं में इसे मगरमच्छ से जोड़ा गया है, जबकि कुछ अन्य कथाओं मे इसे एक सूंस (डॉल्फिन) माना गया है। कुछ स्थानों पर इसका चित्रण एक ऐसे जीव के रूप में किया गया है जिसका शरीर तो मीन का है किंतु सिर एक हाथी की तरह है।..वैज्ञानिकों अनुसार 1500 ईसा पूर्व तक यह जलचर जानवर धरती पर रहता था। भारत, कंबोडिया और वियतनाम के समुद्र में यह पाया जाता था। पूर्व एशिया की नदियों में भी यह पाया जाता था। यह दरअसल यह एक बड़े गिरगिट की तरह होता था। हाल ही पुरातात्विक खोज अनुसार 2003-2008 के बीच हुई खुदाई में इंग्लैंड के डोर्सेट में इससे संबंधित कुछ जीवाश्म पाए गए हैं जो लगभग 155 मीलियन पुराने हैं।

 
3. गरूड़ : भगवान विष्णु का वाहन है गरूड़। गरूड़ एक शक्तिशाली, चमत्कारिक और रहस्यमयी पक्षी था। प्रजापति कश्यप की पत्नी विनता के दो पुत्र हुए- गरूड़ और अरुण। गरूड़जी विष्णु की शरण में चले गए और अरुणजी सूर्य के सारथी हुए। सम्पाती और जटायु इन्हीं अरुण के पुत्र थे। पुराणों में गरूड़ की शक्ति और महिमा का वर्णन मिलता है। काकभुशुण्डिजी नामक एक कौवे ने गरूड़ की शंका दूर की थी कि श्रीराम भगवान है या नहीं।

 
4. उच्चैःश्रवा घोड़ा : घोड़े तो कई हुए लेकिन श्वेत रंग का उच्चैःश्रवा घोड़ा सबसे तेज और उड़ने वाला घोड़ा माना जाता था। अब इसकी कोई भी प्रजाति धरती पर नहीं बची। यह इंद्र के पास था। उच्चै:श्रवा का पोषण अमृत से होता है। यह अश्वों का राजा है। उच्चै:श्रवा के कई अर्थ हैं, जैसे जिसका यश ऊंचा हो, जिसके कान ऊंचे हों अथवा जो ऊंचा सुनता हो। समुद्र मंथन के दौरान निकले उच्चै:श्रवा घोड़े को दैत्यराज बलि ने ले रख लिया था।

 
5. ऐरावत हाथी : सामान्य हाथी से भिन्य यह हाथी ऐरावत सफेद हाथियों का राजा था। 'इरा' का अर्थ जल है अत: 'इरावत' (समुद्र) से उत्पन्न हाथी को 'ऐरावत' नाम दिया गया है। हालांकि इरावती का पुत्र होने के कारण ही उनको 'ऐरावत' कहा गया है। इसकी खासियत यह थी कि यह चार दांत वाला था। 4 दांतों वाला सफेद हाथी मिलना अब मुश्किल है। यह हाथी देवताओं और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के दौरान निकली 14 मूल्यवान वस्तुओं में से एक था। मंथन से प्राप्त रत्नों के बंटवारे के समय ऐरावत को इन्द्र को दे दिया गया था। एक बार युधिष्ठिर अकेले वन में भ्रमण पर थे तो उन्होंने एक जगह पर देखा कि किसी हाथी की दो सूंड है। इसका जिक्र उन्होंने श्रीकृष्ण से किया था।

 
6. शेषनाग : नाग और सर्प में भेद है। नाग के मुख्‍यत: दो फन (मुख) प्राय: आज भी देखे जा सकते हैं परंतु सहस्त्र फन वाला शेषनाग कभी रहा होगा इस पर शोध किए जाने की जरूरत है। शेषनाग सारी सृष्टि के विनाश के पश्चात भी बचे रहते हैं इसीलिए इनका नाम 'शेष' हैं। शेषनाग के हजार मस्तक हैं और वे स्वर्ण पर्वत पर रहते हैं। वे नील वस्त्र धारण करते हैं। वे विष्णु के लिए शैय्या बनकर उनके साथ क्षीरसागर में भी रहते हैं। लक्ष्मण और बलराम को शेषनाग का ही अवतार माना जाता है। विष्णु की तरह शेषनाग के भी कई अवतार हैं। पुराणों में इन्हें सहस्रशीर्ष या 1000 फन वाला कहा गया है। इन शेषनाग के भाई वासुकी हैं जो भगवान शंकर के गले में विराजमान हैं। वासुकी को सर्पों का राजा कहा गया है। समुद्र मंथन के दौरान वासुकी को ही मथने की डोर बनाया गया था।
webdunia

 
7. मत्स्य कन्या : मत्स्य कन्या अर्थात जलपरी। भारतीय रामायण के थाई व कम्बोडियाई संस्करणों में रावण की बेटी सुवर्णमछा (सोने की जलपरी) का उल्लेख किया गया है। वह हनुमान का लंका तक सेतु बनाने का प्रयास विफल करने की कोशिश करती है, पर अंततः उनसे प्यार करने लगती है। भारतीय दंतकथाओं में भगवान विष्णु के मत्स्यावतार का उल्लेख है जिसके शरीर का ऊपरी भाग मानव व निचला भाग मछली का है। इसी तरह चीन, अरब और ग्रीक की लोककथाओं में भी जलपरियों के सैकड़ों किस्से पढ़ने को मिलते हैं।

 
8. नवगुंजर : यह बहुत ही अजीब तरह का प्राणी था। कहते हैं कि यह नौ पशुओं से मिलकर बना था इसलिए इसे नवगुंजर कहा जाता था। इसका सिर मुर्गे का, तीन पैर में से एक हाथ, एक बाघ और एक हिरण या घोड़े का था। ऊंट जैसी कुबड़ और मोर जैसी गर्दन लिए ये जानवर शेर जैसी कमर और सर्प जैसी पूंछ का था। हालांकि इसका होना एक कल्पना ही है। किवदंतियों अनुसार कहते हैं कि श्रीकृष्ण ऐसा रूप धारण करके अर्जुन से मिलने वन में गए थे। अर्जुन इसे देखकर मारने ही वाले थे कि उनके मन में खयाल आया कि ऐसा प्राणी जीवित कैसे रह सकता है तब उन्होंने इसे कृष्ण की लीला समझकर उन्हें प्राणाम किया था।

 
8. कामधेनु : विष के बाद मथे जाते हुए समुद्र के चारों ओर बड़े जोर की आवाज उत्पन्न हुई। कामधेनु गाय की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन से हुई थी। यह एक चमत्कारी गाय होती थी जिसके दर्शन मात्र से ही सभी तरह के दु:ख-दर्द दूर हो जाते थे। दैवीय शक्तियों से संपन्न यह गाय जिसके भी पास होती थी उससे चमत्कारिक लाभ मिलता था। इस गाय का दूध अमृत के समान माना जाता था। श्रीराम के पूर्व परशुराम के समकालीन ऋषि वशिष्ठ के पास कामधेनु गाय थी।

 
यह कामधेनु गाय सबसे पहले वरुणदेव के पास थी। कश्यप ने वरुण से कामधेनु मांगी थी, लेकिन बाद में लौटाई नहीं। अत: वरुण के शाप से वे अगले जन्म में ग्वाले हुए। यह कामधेनु गाय अंत में ऋषि वशिष्ठ के पास थी। कामधेनु के लिए गुरु वशिष्ठ से विश्वामित्र सहित कई अन्य राजाओं ने कई बार युद्ध किया, लेकिन उन्होंने कामधेनु गाय को किसी को भी नहीं दिया। गाय के इस झगड़े में गुरु वशिष्ठ के 100 पुत्र मारे गए थे। अंत में यह गाय ऋषि परशुराम ने ले ली थी।
webdunia

 
9. नंदी : भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक है नंदी। कहते हैं कि नंदी कश्यप और कामधेनु की संतान है। यह भी कहते हैं कि शिव की घोर तपस्या के बाद शिलाद ऋषि ने नंदी को पुत्र रूप में पाया था। नंदी भुवना नदी पर शिव की तपस्या करने चले गए। कठोर तप के बाद शिवजी प्रकट हुए और कहा वरदान मांगों वत्स। तब नंदी के कहा कि मैं उम्रभर आपके सानिध्य में रहना चाहता हूं। नंदी के समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने नंदी को पहले अपने गले लगाया और उन्हें बैल का चेहरा देकर उन्हें अपने वाहन, अपना दोस्त, अपने गणों में सर्वोत्तम के रूप में स्वीकार कर लिया।

 
10. येति मानव : बिगफुट को पूरे विश्व में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। तिब्बत और नेपाल में इन्हें 'येती' का नाम दिया जाता है, तो ऑस्ट्रेलिया में 'योवी' के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे 'यति' कहते हैं। ज्यादा बालों वाले इंसान जंगलों में ही रहते थे। जंगल में भी वे वहां रहते थे, जहां कोई आता-जाता नहीं था। माना जाता था कि ज्यादा बालों वाले इंसानों में जादुई शक्तियां होती हैं। ज्यादा बालों वाले जीवों में बिगफुट का नाम सबसे ऊपर आता है। बिगफुट के बारे में आज भी रहस्य बरकरार है। अमेरिका, रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया और भारत में बिगफुट को देखे जाने के दावे किए गए हैं। भारत में इसे 'येति' या 'यति' कहते हैं, जो एक हिममानव है। आखिर उसे हिममानव क्यों कहा जाने लगा? क्योंकि हिमालय छुपने के लिए सबसे सुरक्षित जगह है। यति भारत के इतिहास और पौराणिक कथाओं का हिस्सा है। यति का उल्लेख ऋग्वेद और सामवेद में मिलता है।
webdunia
इसी तरह और भी कई हैं जैसे वानर मानव, रीछ मानव और सर्पमानव आदि। इसके अलावा गणेशजी का वाहन मूषक, नृसिंह और शरभ के बारे में भी पुराणों में पढ़ने को मिलता है जो कि बहुत ही अजीब किस्म के हैं। नृसिंह भगवान का क्रोध शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभावतार लिया था। यह बहुत ही विशालकाय जानवर था। शरभ मानव, चील और सिंह के शरीर वाला एक भयानक रूप वाला प्राणी था. शरभ के 8 पैर, दो पंख, चील की नाक, अग्नि, सांप, हिरण और अंकुश थामे चार भुजाएं और लंबी पूंछ थी। शिवमहापुराण की कथा के अनुसार इनके शरीर का आधा भाग सिंह का, तथा आधा भाग पक्षी का था। संस्कृत साहित्य के अनुसार वे दो पंख, चोंच, सहस्र भुजा, शीश पर जटा, मस्तक पर चंद्र से युक्त थे। वे शेर और हाथी से भी अधिक शक्तिशाली हैं। बाद के साहित्य में शरभ एक 8 पैर वाले हिरण के रूप में वर्णित है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पितरों के समान हैं ये 3 वृक्ष, 3 पक्षी, 3 पशु और 3 जलचर