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हिन्दू धर्म के इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ाव

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अनिरुद्ध जोशी

विज्ञान कहता है कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति 60 करोड़ वर्ष पूर्व हुई एवं महाद्वीपों का सरकना 20 करोड़ वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ, जिससे पांच महाद्वीपों की उत्पत्ति हुई। स्तनधारी जीवों का विकास 14 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ। मानव का प्रकार (होमिनिड) 2.6 करोड़ वर्ष पूर्व आया, लेकिन आधुनिक मानव 2 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। पिछले पचास हजार (50,000) वर्षों में मानव समस्त विश्व में जाकर बस गया। विज्ञान कहता है कि मानव ने जो भी यह अभूतपूर्व प्रगति की है वह 200 से 400 पीढ़ियों के दौरान हुई है। उससे पूर्व मानव पशुओं के समान ही जीवन व्यतीत करता था।
हिन्दू धर्म में धरती के इतिहास की गाथा पांच कल्पों में बताई गई है। ये पांच कल्प है महत्, हिरण्य, ब्रह्म, पद्म और वराह। वर्तमान में चार कल्प बितने के बाद यह वराह कल्प चल रहा है। यदि हम युगों की बात करेंगे तो 6 मन्वंतर अपनी संध्याओं समेत निकल चुके, अब 7वां मन्वंतर काल चल रहा है जिसे वैवस्वत: मनु की संतानों का काल माना जाता है। 27वां चतुर्युगी (अर्थात चार युगों के 27 चक्र) बीत चुका है। और, वर्तमान में यह वराह काल 28वें चतुर्युगी का कृतयुग भी बीत चुका है और यह कलियुग चल रहा है।
 
यह कलियुग ब्रह्मा के द्वितीय परार्ध में वराह कल्प के श्‍वेतवराह नाम के कल्प में और वैवस्वत मनु के मन्वंतर में चल रहा है। इसके चार चरण में से प्रथम चरण ही चल रहा है। इसलिए इत‍ने युगों का इतिहास बताना हमारे बस की बात नहीं। लेकिन हम स्वायंभुव और वैवस्वत: मनु के मन्वंतर से ही हम हिन्दू धर्म की पुन: शुरुआत मानकर इसके इतिहास की गणना करते हैं। इतिहास में शिव, स्वायंभुव मनु, ययाति, वैवस्वत मनु, ऋषि कश्यप, राम और श्रीकृष्ण के जीवन और उनके कुल खानदान के बारे में विस्तार से जानना चाहिए। चार धाम सहित सप्तपुरी का इतिहास भी पढ़ें।
 
हिन्दू धर्म के इतिहास को शोधकर्ता लगभग 90 हजार वर्षों से कहीं ज्यादा का बताते हैं। 10 हजार वर्ष पहले भाषा का अविष्कार हुआ था। दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत को माना जाता है। प्राचीन काल में संस्कृत ब्राह्मी और देवनागरी लिपि में लिखी जाती थी। यहां प्रस्तुत है वराह कल्प के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पड़ाव।
 
1. ब्रह्म काल (सृष्टि के प्रारंभ से मनुष्य रचना तक)
* पंच कोषों वाली इस सृष्टि का न आदि है और न अंत।
* कालपुरुष से आदिपुरुष और आदिशक्ति का जन्म हुआ। वे ही त्रिदेवों को जन्म देने वाले हैं।
* आदिपुरुष को सदाशिव और आदिशक्ति को दुर्गा कहा गया।
 
2. ब्रह्मा काल (प्रजापति ब्रह्मा, विष्णु और शिव का काल)
* पंच कल्प महत, हिरण्यगर्भ, ब्रह्म, पद्म और वराह कल्प की कहानी।
* वराह कल्प में हुई नए सिरे से जीव सृष्टि और त्रिदेवों की उत्पत्ति।
* इसी काल में ब्रह्मा के 10 पुत्रों के कुल का विस्तार हुआ।
* इसी काल में नर-नारायण, दत्तात्रेय, कपिल आदि वराह, श्वेत वराह, नृसिंह, हररुद्र अन्धक और वामन अवतार हुआ।
* इसी काल में प्रसिद्ध देवासुर संग्राम हुआ।
* इसी काल में वेदों का ज्ञान अवतरित हुआ।
* इसी काल में त्रिपुरासुर, ताड़कासुर और महिषासुर का वध हुआ।
 
3. स्वायम्भुव मनु काल : (अनुमानित 9057 ईसा पूर्व से प्रारंभ)
* स्वायम्भुव मनु-सतरूपा के दो पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद थे।
* इन पुत्रों के कुल से ही धरती पर मानवों का विस्तार हुआ।
* उत्तानपाद के सुनीति से ध्रुव तथा सुरुचि से उत्तम नामक पुत्र उत्पन्न हुए।
* प्रियव्रत के बहिर्ष्मती से आग्नीध्र, यज्ञबाहु, मेधातिथि आदि 10 पुत्र हुए। आग्नीध्र संपूर्ण धरती के राजा थे। 
* प्रियव्रत की दूसरी पत्नी से उत्तम, तामस और रैवत ये 3 पुत्र उत्पन्न हुए, जो अपने नाम वाले मन्वंतरों के अधिपति हुए। इन्हीं के काल में यज्ञावतार हुआ।
* प्रियव्रत के कुल में ही प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभनाथ का जन्म हुआ।
* ऋषभनाथ के पुत्र भरत और बाहुबली थे। भरत के नाम पर ही भारतवर्ष का नामकरण हुआ।
 
4. वैवस्वत मनु काल : (6673 ईसा पूर्व से)
* इसी काल में कच्छप, मत्स्य और परशुराम अवतार हुए।
* वैवस्वत मनु के 10 पुत्र हुए। इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध।
* इक्ष्वाकु कुल में कई महान प्रतापी राजा, ऋषि, अरिहंत और भगवान राम हुए हैं।
* इसी काल में वशिष्ठ-विश्वामित्र की लड़ाई और राजा सुदास का दाशराज युद्ध हुआ।
* यही काल मेहरगढ़ (बलूचिस्तान) सभ्यता का काल भी है।
 
5. राम का काल : (5114 ईस्वी पूर्व से 3000 ईस्वी पूर्व के बीच) 
* भगवान श्रीराम का जन्म वैवस्वत मनु की 40वीं पीढ़ी में हुआ।
* प्रभु श्रीराम का युद्ध रावण, बाली और अन्य कई योद्धाओं से हुआ।
* हनुमान, सुग्रीव, विभीषण, जामवंत, नल, नील आदि सभी श्रीराम के साथ थे।
* इस काल में महर्षि वाल्मीकि, मातंग ऋषि, अत्रि, भारद्वाज आदि ऋषि हुए।
* रामायण में उस काल का इतिहास दर्ज है।
* इसी काल में पुरुवा ऋषि ने वेदों को पुनर्स्थापित कर 3 भागों में विभाजित किया।
 
6. कृष्ण का काल : (3112 ईस्वी पूर्व से 2000 ईस्वी पूर्व के बीच)
* श्रीकृष्ण के काल को महाभारत का काल कहा जाता है।
* इस काल में भारत 16 महाजनपदों में बंटा हुआ था।
* 16 जनपदों में छोटे बड़े-मिलाकर 200 उप-जनपद थे।
* लगभग 30 जनपदों ने महाभारत युद्ध में भाग लिया था।
* महाभारत में इस काल का इतिहास दर्ज है।
* इसी काल में ऋषि वेदव्यास ने वेदों को 4 भागों में विभाजित किया।
* यही काल सिंधु, सरस्वती, गंगा, ब्रह्मपुत्र और नर्मदा घाटी सभ्यता का काल भी है।
* सिंधु-सरस्वती सभ्यता के लगभग 1,000 नगरों का पता चला है।
* इसमें प्रमुख हैं- हड़प्पा, मोहन-जो-दड़ो, चन्हूदड़ों, लोथल, कालीबंगा, हिसार, बणावली आदि।
 
7. आर्य सभ्यता का काल : (1500-500 ईस्वी पूर्व के बीच)
* सिन्धु-सरस्वती घाटी की सभ्यता के पतन के बाद जो सभ्यता अस्तित्व में आई, उसे वैदिक युग कहा गया।
* वैदिक लोगों ने ही सनातन धर्म को फिर से संपूर्ण धरती पर कायम किया।
* इस काल का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
* वेदों को लिखित रूप में इसी काल में स्थापित किया गया था।
 
8. तीर्थंकर महावीर और बुद्ध का काल : (563 ईसा पूर्व से 600 ईस्वी तक)
* इस काल में वत्स राज्य पर उदयन और अवंति पर प्रद्योत का राज था। 
* इसी काल में मगध पर सम्राट बिम्बिसार राजगद्दी पर आसीन थे। 
* बाद में उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य ने अखंड भारत पर राज किया।
* इसी काल में शक, हूण, कुषाण और यवनों का आक्रमण हुआ।
* इसी काल में सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक ने संपूर्ण भारत पर राज किया।
* इसी काल में मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद गुप्त साम्राज्य का उदय हुआ।
* इस काल के अंतिम राजा सम्राट हर्षवर्धन और राजा भोज थे।
* इसके बाद भारत में इस्लामिक खलीफाओं की सेना ने घुसपैठ कर भारत का विध्वंस शुरू किया, जो अब तक जारी है...। मध्यकाल में मराठा, सिख, राजपूत, जाट, गुर्जर, पटेल और ‍दक्षिण के वर्मन आदि राजाओं ने इस्लामिक आक्रंताओं को रोकने का प्रयास किया। बाद में अंग्रेगों ने अखंड भारत के क्षेत्रों पर कब्जा कर इस अपना उपनिवेश बना लिया।


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