भगवान भैरव का एक रूप है काल भैरव। शिव पुराण में भैरव को महादेव शंकर का पूर्ण रूप बताया गया है। भगवान शंकर के अवतारों में भैरव का अपना एक विशिष्ट महत्व है। ब्रह्मवैवत पुराण के प्रकृति खंडान्तर्गत दुर्गोपाख्यान में आठ पूज्य निर्दिष्ट हैं- महाभैरव, संहार भैरव, असितांग भैरव, रूरू भैरव, काल भैरव, क्रोध भैरव, ताम्रचूड भैरव, चंद्रचूड भैरव। इसमें से काल भैरव का एक नाम दंडपाणि और स्वस्वा भी है आओ जानते हैं कि उन्हें ऐसा क्यों कहा जाता है।
1. काल भैरव को दंडपाणि इसलिए कहते हैं क्योंकि उनके हाथों में दण्ड होता है। जिस तरह की पुलिस के हाथों में एक डंडा होता है। इसके अलवा वे त्रिशूल, डमरू और तलवार भी रखते हैं।
2. काल भैरव को स्वस्वा इसलिए कहते हैं क्योंकि उनके साथ एक कुत्ता होता है जिसे उनका वाहन भी माना गया है। यह कुत्ता काले रंग का होता है।
3. काल भैरव के साथ ही उनके काले कुत्ते की पूजा भी की जाती है और उसे भोग में कई चीजें दी जाती है।
4. कुत्ते को हिन्दू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है। कुत्ते को देखकर हर तरह की आत्माएं दूर भागने लगती हैं।
5. दरअसल कुत्ता एक ऐसा प्राणी है, जो भविष्य में होने वाली घटनाओं और ईथर माध्यम (सूक्ष्म जगत) की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है। कुत्ता कई किलोमीटर दूर तक की गंध सूंघ सकता है। कुत्ते को हिन्दू धर्म में एक रहस्यमय प्राणी माना गया है।