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भगवान श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम

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पश्‍चिमी जगत के शोधकर्ता आजकल भगवान श्रीकृष्ण को एलियन घोषित करने में लगे हैं। वे उन्हें अवतारी या मानव मानने को तैयार नहीं है। कारण सीधा-सा है कि श्रीकृष्ण समूचे पश्‍चिमी धर्म के लिए चुनौती है।

इससे पहले उन्होंने श्रीकृष्ण को वेदव्यास द्वारा लिखे गए महाभारत नामक काव्य उपन्यास का काल्पनिक या  मिथकीय पात्र घोषित करने का प्रयास किया था। उन्हीं का अनुसरण करते हुए हमारे यहां भी कुछ धार्मिक संगठन और कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी भी ऐसा ही दुष्प्रचार करते हैं। खैर...।
 
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हम बताना चाहते हैं कि श्रीकृष्ण एक साधरण मानव थे, लेकिन वे अपनी यौगिक साधना और क्षमता से असाधारण मानव बन गए थे। उनमें दिव्य शक्तियां थीं और उन पर परमेश्वर की कृपा थी। उनको परशुराम ने सुदर्शन चक्र दिया था और उनकी कई देवी और देवताओं ने सहायता की थी।

उन्होंने अन्याय के खिलाफ काम किया और धर्म तथा राज्य को एक नई व्यवस्था दी। महाभारत युद्ध के पश्‍चात्य वे 35 वर्षों तक जिंदा रहे और द्वारिका में अपनी आठ पत्नियों के साथ सुख पूर्वक जीवन व्यतीत किया। यहां प्रस्तुत है उनकी प्रत्येक पत्नी से उत्पन्न हुए 80 संतानों के नाम। हालांकि संतानें तो उनकी और भी थीं।
 
1.रुक्मिणी : प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू।
2.सत्यभामा : भानु, सुभानु, स्वरभानु, प्रभानु, भानुमान, चंद्रभानु, वृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु और प्रतिभानु।
3.जाम्बवंती : साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु।
4.सत्या : वीर, चन्द्र, अश्वसेन, चित्रगु, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु और कुन्ति।
5.कालिंदी : श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास और सोमक।
6.लक्ष्मणा : प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊर्ध्वग, महाशक्ति, सह, ओज और अपराजित।
7.मित्रविन्दा : वृक, हर्ष, अनिल, गृध्र, वर्धन, अन्नाद, महांस, पावन, वह्नि और क्षुधि।
8.भद्रा : संग्रामजित, वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक।

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