Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

प्राचीन भारत के ऐसे 10 वैज्ञानिक जिनकी खोज को करेंगे आप सलाम

हमें फॉलो करें bhrigu rishi kon the
मार्क ट्वेन ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा करने और भारतीय इहिहास और तथ्यों को जानके के बाद कहा था कि इस धरती पर वह सब कुछ खोजा जा चुका और अविष्‍कृत हो चुका है जो मानव कर सकता है। आधुनिक विज्ञान प्राचीन भारत के विज्ञान से अभी भी कई गुना पीछे है। आओ जानते हैं प्राचीन भारत के 10 महान वैज्ञानिक और उनकी खोज- 
 
महर्षि अगस्त्य (3000 ई.पू.) : बिजली के अविष्कारक, आकाश में उड़ने वले गुब्बारे और विमान तकनीक के जनक। कलारीपयट्टू के जनक।
 
बौधायन (800 ईसापूर्व) : प्रमेय, रेखागणित, ज्यामिति और त्रिकोणमिति के जनक। बौधायान से ही प्रेरित होकर पाइथागोरस ने अपना प्रमेय सिद्धांत रचा।
 
ऋषि कणाद (600 ईसा पूर्व) : परमाणु, गुरुत्वाकर्षण और गति के सिद्धांत के जनक। इन्होंने सबसे पहले बताया कि अणु की शूक्ष्मतम ईकाई क्या है और किस तरह यह संपूर्ण जगत परमाणुओं की ही संवरचना है।
 
ऋषि भारद्वाज (600 ईसा पूर्व) : विमान तकनीक के जनक। विमान तकनीक के बारे में भारद्धाज से पहले से ही भारत इस तकनीक से परिचित था, परंतु जिस तरह पातंजलि ने योग को एक व्यवस्थीत रूप देकर एक नया आयाम दिया उसी तरह ऋषि भारद्वाज ने प्राचीन विमान तकनीक को परिष्कृत, क्रमबद्ध और लिपिबद्ध किया था।
webdunia
आचार्य चरक (300-200 ईसापूर्व) : आयुर्वेदाचार्य और त्वचा चिकित्सा के जनक। इन्होंने वनस्पति विज्ञान को जन्म दिया और देश दुनिया की लाखों जड़ी बूटियों के बारे में बताया। इन्हीं के कार्यों को बागभट्ट जी ने 8वीं सदी में आगे बढ़ाया था। यूनानी चिकित्सा भी आयुर्वेद से ही प्रेरित है।
 
महर्षि सुश्रुत (400 पूर्व) : सर्जरी के आविष्कारक, प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह की जटिल शल्य चिकित्सा के सिद्धांत प्रतिपादित किए।
 
नागार्जुन (दूसरी शताब्दी) : रसायनशास्त्री और चिकित्सक नागार्जुन द्रव्य, रसायन शास्त्र और धातु विज्ञान के जनक हैं। इन्होंने ही सोना बनाने की प्राचीन विद्या को सही साबित कर दिया था। 
 
वराहमीहिर (499-587 ईस्वी) : खगोलशास्त्री जिन्होंने बताया कि अयनांश का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर है। वैधशालाओं का निर्माण कराया और सौर, चन्द्र, वर्षीय और पाक्षिक नामक कैलेंडर विकसित किया।
 
आर्यभट्ट (475 ईस्वी) : सिद्ध किया कि धरती गोल है, सूर्य का चक्कर लगाती। धरती सहित सभी ग्रहों का मान, परिधि और व्यास बताया। सूर्य से दूरी को बताया। साथ ही दशमलव प्रणाली विकसित की। उन्होंने ही गणित में शून्य का प्रयोग सबसे पहले प्रारंभ किया था।
 
भास्कराचार्य (1114-1179 ईस्वी) : गुरुत्वाकर्षण, चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण की सटीक जानकारी दी। इन्होंने वराहमीहिर और आर्यभट्ट के कार्य को आगे बढ़ाया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रविवार, 2 अप्रैल 2023 : क्या कहती है आज आपकी राशि, पढ़ें 12 राशियों के दैनिक राशिफल