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सुख-चैन से जीना चाहते हैं तो ये 9 बातें किसी को न बताएं वर्ना पछताएंगे

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अनिरुद्ध जोशी

बहुत से ऐसे लोग मिलते हैं, जो दूसरों से सबकुछ पूछ लेते हैं और जब दूसरे उनसे कुछ पूछने लगता है, तो वे गोलमाल-सा जवाब देकर निकल लेते हैं। हालांकि ऐसे भी लोग हैं, जो दूसरों की बातों में फायदे देखते हैं, तो उसे तुरंत जानता चाहते हैं किंतु जिन बातों से वे स्वयं लाभ कमाना चाहते हैं, उसे वे किसी को नहीं बताते हैं। ताली तो दोनों हाथों से ही बजती है।
 
 
लेकिन हम आपको यहां हिन्दू शास्त्रों के अनुसार 9 ऐसी बातें बताना चाहते हैं कि उन्हें आप दूसरों को कदापि न बताएं, वर्ना परेशानी में पड़ जाएंगे।
 
1. आपका धन : वर्तमान में धनवान होना ही सबसे बड़ी योग्यता बन गया है। इसी से व्यक्ति की इज्जत, ताकत और औकात का पता चलता है। आप भले ही कितने भी ज्ञानी हो लेकिन लोग धनवान को ही इज्जत देते हैं। लोगों का व्यवहार उसी से तय होता है। निश्‍चित ही आप यह जरूर बताएं कि मैं धनवान हूं लेकिन कितना धन और कहां है, यह परम मित्र को भी न बताएं। इसके उजागर होने पर लोगों के मन में लोभ उत्पन्न होता है और वे आपको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचा सकते हैं या कि आपसे घोर अपेक्षा रखने लगेंगे।
 
 
2. गृहछिद्र : गृहछिद्र का अर्थ होता है घर की फूट या कलह। आपके घर में किसी भी प्रकार का गृहकलह चल रहा हो या छोटा या बड़ा विवाद हो लेकिन यह विवाद यदि आपने किसी बाहरी व्यक्ति को बताया तो यह और बढ़ेगा, साथ ही आपके घर-परिवार की इज्जत भी चली जाएगी और फिर लोग आपका सम्मान करना छोड़ देंगे। घर या परिवार का आपसी कलह उजागर होना परिवार के साथ हर सदस्य के लिए व्यक्तिगत, व्यावहारिक और सामाजिक स्तर पर नुकसान का कारण बनता है।
 
 
3. मंत्र : आपको अपने गुरु और ईष्ट के साथ ही मंत्र को भी गुप्त रखना चाहिए तभी इनकी शक्तियों का आपको लाभ मिलेगा।
 
 
4. मैथुन : शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को मैथुन क्रिया की मर्यादा का पालन करना चाहिए। जिनका भंग होना या इसका उजागर होना चरित्रहनन या मजाक का कारण ही नहीं बनता है, बल्कि आपके परिवार का सम्मान भी सदा के लिए जाता रहता है।
 
 
5. दान : दान तीन प्रकार के होते हैं- उत्तम, मध्यम और निकृष्‍टतम। धर्म की उन्नति के रूप में सत्य विद्या के लिए जो देता है, वह उत्तम। कीर्ति या स्वार्थ के लिए जो देता है, तो वह मध्यम और जो वेश्‍यागमनादि, भांड, भाटे व पंडे को देता है, वह निकृष्‍टतम माना गया है जबकि जो व्यक्ति पुण्य के लिए दान देता है, वह गुप्त रखा जाना चाहिए। दान देकर बाद में उसका बखान करना अपयश का कारण बनता है।
 
 
6. मान-सम्मान : बहुत से लोगों की आदत होती है कि वे अहंकारवश या दूसरों को नीचा दिखाने हेतु अपनी मान-प्रतिष्ठा का बखान हर कहीं करते रहते हैं। ऐसा करते वाले लोग हंसी के पात्र भी बनते हैं, साथ ही धीरे-धीरे उनकी प्रतिष्ठा गिरती जाती है।
 
 
7. अपमान : आपका किसी ने अपमान किया है या कहीं भी अपमान हुआ है तो आप उसे हर किसी के समक्ष प्रकट न करें। अनेक मौकों पर अपमान को छुपा लेना या पचा लेना ही हितकारी होता है। बार-बार स्वयं के अपमान को उजागर करने से आप जिसे बता रहे हैं, वह भी आपका सम्मान करना छोड़ देगा। इससे आपका कष्ट और बढ़ जाएगा।
 
 
8. आयु : प्राचीनकाल में यह माना जाता था लेकिन वर्तमान में व्यावहारिक रूप से उम्र छुपाना मुश्किल ही है। फिर भी अनेक अवसरों पर उम्र छुपाकर आप हानि से बच सकते हैं। हालांकि बढ़ती उम्र का खयाल यदि आपके दिमाग पर हावी हुआ तो आप निराशा और कर्महीनता के गर्त में चले जाएंगे। इसलिए भी उम्र पर चर्चा न ही की जाए, तो अच्छा है। अपनी उम्र को अपने दिमाग या मन पर हावी न होने दें।
 
 
9. मन की बात : मन में बहुत-सी ऐसी बातें होती हैं जिनको जगजाहिर करने से आप अपने आसपास संकट खड़े कर सकते हैं। हो सकता है कि आपके मन में किसी बात को लेकर अवसाद हो, क्रोध हो या घृणा हो। मन में हजारों तरह के विचार उत्पन्न होते हैं, लेकिन बुद्धिमान मनुष्य उन्हीं विचारों को व्यक्त करता है, जो उसके हित में होते हैं।

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