आपने आम का पेड़ देखा होगा। इस पेड़ की घनी और ठंडी छाव रहती है। पहले यह बहुतायत में पाया जाता था अब बहुत सी जगहों से देशी आप का पेड़ लुप्त होने लगा है। मालवा की धरती पर पहले पग पग पर आम का पेड़ हुआ करता था और खासियत यह थी कि हर पेड़ के आम का अलग ही स्वाद होता था। खैर, आओ जानते हैं हिन्दू धार्मिक कार्यों में आम के पत्ते, फल आदि का महत्व।
1. घर के मुख्य द्वार पर आम की पत्तियां लटकाने से घर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति के प्रवेश करने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है।
2. आप के पत्तों का उपयोग जल कलश में भी होता है। कलश के जल में आम के पत्ते रखकर उसके उपर नारियल रखा जाता है।
3. यज्ञ की वेदी को सजाने में भी आम के पत्ते का उपयोग होता है।
4. मंडप को सजाने के लिए भी आम के पत्तों का उपयोग होता है।
5. घर के पूजा स्थल या मंदिरों को सजाने में भी आम के पत्तों का उपयोग होता है।
6. तोरण, बांस के खंभे आदि में भी आम की पत्तियां लगाने की परंपरा है।
7. दीवारों पर आम के पत्तों की लड़ लगाकर मांगलिक उत्सव के माहौल को धार्मिक और वातावरण को शुद्ध किया जाता है।
8. आप के पत्ते से ही आरती या हवन के बाद जल छिड़का जाता है।
9. आम के पत्तों की पत्तल बनाकर उस पर भोजन भी किया जाता है।
10. वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार आम के पत्तों में डायबिटीज को दूर करने की क्षमता है। कैंसर और पाचन से संबंधित रोग में भी आम का पत्ता गुणकारी होता है। आम के रस से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं।
11. मांगलिक कार्यो में पंचफल का उपयोग किया जाता है जिसमें एक आम का फल भी होता है।
12. आम के पेड़ की लकड़ियों का उपयोग समिधा के रूप में वैदिक काल से ही किया जा रहा है। माना जाता है कि आम की लकड़ी, घी, हवन सामग्री आदि के हवन में प्रयोग से वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है।
13. घर में आम की लकड़ी का फर्नीचर कम ही रखना चाहिए। आम की जगह पनस, सुपारी, नान, साल, शीशम, अखरोट या सागौन की लकड़ी का उपयोग करना चाहिए।