सनातन धर्म ने हर एक हरकत को नियम में बांधा है और हर एक नियम को धर्म में। ये नियम ऐसे हैं जिससे आप किसी भी प्रकार का बंधन महसूस नहीं करेंगे, बल्कि ये नियम आपको सफल और निरोगी ही बनाएँगे। नियम से जीना ही धर्म है।
भोजन के नियम : * भोजन की थाली को पाट पर रखकर भोजन किसी कुश के आसन पर सुखासन में (आल्की-पाल्की मारकर) बैठकर ही करना चाहिए।
* कांसे के पात्र में भोजन करना निषिद्ध है।
* भोजन करते वक्त मौन रहने से लाभ मिलता है।
* भोजन भोजन कक्ष में ही करना चाहिए।
* भोजन करते वक्त मुख दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।
* जल का गिलास हमेशा दाईं ओर रखना चाहिए।
* भोजन अँगूठे सहित चारों अँगुलियों के मेल से करना चाहिए।
* परिवार के सभी सदस्यों को साथ मिल-बैठकर ही भोजन करना चाहिए।
* भोजन का समय निर्धारित होना चाहिए।
* दो वक्त का भोजन करने वाले के लिए जरूरी है कि वे समय के पाबंद रहें।
* संध्या काल के अस्त के पश्चात भोजन और जल का त्याग कर दिया जाता है।
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