शक्ति ही तय करती है आपका भविष्य। शक्ति से ही हर तरह की सफलता हासिल की जा सकती है। लेकिन जरूरी यह भी है कि शक्ति का घमंड या अहंकार नहीं करना चाहिए अन्यथा वही शक्ति आपको नष्ट भी कर देती है। हिन्दू शास्त्रों में शक्ति के ऐसे चार प्रकार बताए गए हैं, जो हर मनुष्य को सुखी, शांत और सफल बना सकते हैं।
यह चार शक्तियां निम्न है:-
शारीरिक बल : कहावत है कि पहले सुख निरोगी काया और दूसरा सुख जेब में हो माया। अत: शक्ति संचय करने के लिए सबसे जरूरी है निरोगी रहकल शरीर को बलवान बनाना। यदि शरीर कमजोर है तो आप जीवन में किसी भी प्रकार के सुख नहीं ले पाएंगे। सफल जीवन के लिए शक्तिशाली शरीर की जरूरत भी होती है। इसीलिए उत्तम भोजन के साथ ही उचित योग या कसरत करें। शरीर को अनुशासन में लाएं। इसके लिए हनुमानजी की उपासना भी करें।
धन बल : दूसरा सुख जेब में माया। माया अर्थात धन। जीवन में अर्थ के बगैर सब व्यर्थ है। धन होने से तन और मन भी बलवान बनते हैं। मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास उसके होने से ही बढ़ जाते हैं। धन और ऐश्वर्य के देवी लक्ष्मी की उपासना करें।
ज्ञान बल : शरीरिक और धन बल के साथ बुद्धि या ज्ञान का बल भी होना जरूरी है अन्यथा आप भटक जाएंगे। क्योंकि बुद्धि की ताकत ही शरीर और धन बल को काबू में रखती है। बुद्धि के अभाव में शरीर से बलवान और धनवान व्यक्ति भी दुर्बल हो जाता है। जैसे आपके पास धनुष और बाण तो है लेकिन आंखें नहीं या उन्हें चलाने का ज्ञान नहीं तो क्या करेंगे? बुद्धि के देवता गणेशजी की उपासना करना चाहिए।
देव बल : उस एक परमेश्वर या ईश्वर के अलावा देवताओं की नजरों में ऊंचा उठना जरूरी है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे सभी अच्छे या बुरे कर्मों को कोई देख रहा है। यदि आपके मन में उन देखने वालों का डर है तो उससे आपमें शक्ति, ऊर्जा, एकाग्रता और आत्मविश्वास का संचार होगा। साथ ही जीवन में आने वाले संकटों से आप बच जाएंगे। क्योंकि देह बल, धन बल, ज्ञान बल ये भी बल आपदाओं के आगे काम नहीं आते हैं। कई लोग सडक दुर्घटना में मारे जाते हैं या अस्पताल में गंभीर रोग से लड़ते हुए अपनी जीवन लीला समाप्त कर देते हैं।