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आज के शुभ मुहूर्त

(संकष्टी चतुर्थी)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण तृतीया
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00
  • व्रत/मुहूर्त-वैशाखी संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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यदि आप इन 6 बातों से नहीं डरते हैं तो जिंदगीभर पछताएंगे...

हमें फॉलो करें यदि आप इन 6 बातों से नहीं डरते हैं तो जिंदगीभर पछताएंगे...

अनिरुद्ध जोशी

हमारे मन में किसी भी प्रकार का भय, संदेह, संकोच और अन्य विकार तब नहीं रहता है जबकि हम कुछ खास बातों से डरते हैं या कि हम उन बातों पर विश्वास करते हैं। क्या है वह खास बातें यह जानना जरूरी है। हमारे जीवन में सफलता और दृढ़ता तभी आती है जबकि हम इन बातों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं।
 
अधिकतर लोग इन बातों का पालन नहीं करते हैं और उन्हें हल्के में लेते हैं। हालांकि इससे उनके जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क तो धीरे धीरे ही पड़ता है जो दिखाई नहीं देता। कभी कभी व्यक्ति बुढ़ापे में जाकर पछताता है तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके जीवन में बहुत कुछ फर्क पड़ गया है लेकि‍न फिर भी वे यह नहीं समझ पाते हैं कि आखिर मेरे जीवन मेरे बस में क्यों नहीं है। तो आओ जानते हैं कि हमें किन बातों से जरूर डरना या उनका सम्मान करना या उनका पालन करना ही चाहिए।
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ईश्वर से या अपने ईष्टदेव से डरना जरूरी : आपको किसी भी प्रकार के पीर-फकीर, साधु-संत, जिन्न या भूत-प्रेत से डरने की जरूरत नहीं, लेकिन यदि आप ईश्वर या अपने ईष्टदेव से नहीं डरते हैं या किसी भी प्रकार का कर्म करते वक्त उनके बारे में नहीं सोचते हैं कि वे देख या सुन रहे हैं तो निश्चित ही आपको उन्हें छोड़कर सभी से डरना होगा।
 
वेद, गीता और पुराणों में कहा गया है कि व्यक्ति को ब्रह्म के प्रति ही जिम्मेदार और जवाबदेह होना चाहिए। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो देवों को पूजता है, वो देवताओं को और जो राक्षसों को पूजता है, वह राक्षसों को प्राप्त होता है। लेकिन जो ईश्वर की आराधना करता है, वह प्राणी सभी तरह के भय से मुक्त होकर जन्म-मरण के चक्र से छुट जाता है। योग में ईश्वर प्राणिधान का महत्व बताया गया है।
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झूठ बोलने से डरें : आप किसी भी प्रकार का झूठ बोलें लेकिन आप इसे बोलने के बाद यदि पछताते नहीं हैं या इस पर विचार नहीं करते हैं तो निश्चित ही आपका भविष्य धीरे-धीरे झूठ पर आधारित ही होगा। झूठ बोलने का क्या असर होता है यह संभवत: आपको दिखाई नहीं देता है लेकिन इसके परिणाम आपके जीवन को प्रभावित करते रहते हैं। 
 
यदि आप दु:ख में किसी भी मंदिर या अन्य कहीं जाते हैं तो वहां स्थित शक्ति आपके अतीत को देखकर समझ जाती है कि आप कैसे हैं और आपके साथ क्या बर्ताव किया जाना चाहिए। आप खुद को धोखा दे सकते हैं लेकिन देवी-देवता या ईश्वर को नहीं। झूठ बोलने वाले का बस वही साथी होता है, जो खुद भी झूठ बोलता है और जो उसके साथ रहता है।
 
हिन्दू धर्म और योग में सत्य के महत्व को बताया गया है। कहते भी हैं कि सत्य की सभी जगह पर जीत होती है, क्योंकि सत्य बोलने वाले के साथ ईश्वर या उसका ईष्टदेव होता है। सत्य बोल गत्य है।
 
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कुलद्रोही : यदि आप कुलद्रोही हैं तो आपको निश्चित ही डरने की जरूरत है। कौन होता है कुलद्रोही? वह जो कुल धर्म और कुल परंपरा को नहीं मानता, वह जो माता-पिता का सम्मान नहीं करता, वह जो श्राद्धकर्म नहीं करता और वह जो अपने माता-पिता को छोड़कर अलग जिंदगी जी रहा है, वह जिसके मन में कुल देवता और कुल देवी का कोई भान नहीं है।
 
भारत में लंबे काल से एक कुल परंपरा चली आ रही है। उस कुल परंपरा को तोड़कर कुछ लोगों ने अपना धर्म भी बदल लिया है तो कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो कुल देवी या देवता जैसी बातों में विश्वास नहीं रखते हैं। लेकिन वे यह नहीं जानते हैं कि कुल देवी या कुल देवता का मतलब क्या होता है? हमारे पूर्वजों ने एक ऐसी जगह पर कुल देव या देवता की स्थापना की, जहां से हमारे पूर्वज जुड़े रहे हैं अर्थात वह स्थान कुल स्थान होता है। उस स्थान से हजारों वर्षों से हमारे ही कुल खानदान के लाखों लोग जुड़े हुए हैं। यह स्थान आपके पूर्वजों के पूरे इतिहास को बयां करता है। वहां जाकर नमन करने से आपके कुल खानदान के सभी जिंदा और मृत लोग वहीं आपको दिखाई दे सकते हैं। उनके आशीर्वाद से आपका जीवन बदल सकता है। कुल का देवता या देवी आपके कुल के सभी लोगों को जानता है। जो भी वहां जाता है वह अपने कुल से जुड़कर लाभ पाता है।
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बुराई से डरना जरूरी : हालांकि यह बहुत आम बात है कि व्यक्ति को बुराई से डरना चाहिए लेकिन कोई भी व्यक्ति इस बात की गंभीरता को नहीं समझता है। वर्तमान में शराब पीने का प्रचलन, लिव-इन-रिलेशन में रहने का प्रचलन, कामुकता का प्रचलन, मंदिर नहीं जाने का प्रचलन और जो भोजन नहीं करना चाहिए उसे भी करने का प्रचलन बढ़ा है। निश्‍चित ही यह हमारे समाज के पतन का कारण है और इसके दुष्परिणाम भी निकलने प्रारंभ हो चुके हैं।
 
आपको कुछ दिन, महीनों यह अच्छा लग सकता है लेकिन अंतत: आपको पछताना ही पड़ेगा और सबसे बड़ी बात तो यह कि बाकी की जिंदगी सिर्फ काटने जैसी ही होगी। नई जिंदगी शुरू भी कर लेंगे तो उसमें खुशी, आनंद और ईश्वर के समक्ष खड़े होने की ताकत नहीं होगी। आपका अपना कोई नहीं होगा और न ही आप सुकून से मर सकेंगे। असल जिंदगी तो मरने के बाद ही शुरू होगी तब आपके पास नैतिकता, पुण्य और सचाई का बल नहीं होगा। बलहीन आत्मा नीचे के लोकों में ही जन्म लेकर दु:ख भोगती रहती है। कहते हैं कि जिसके कर्म शुद्ध नहीं होते हैं, वह व्यक्ति विष्ठा के समान होता है।
 
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तलाक : किसी स्त्री या पुरुष से विवाह करके उसे तलाक दे देना हिन्दू धर्म में प्रचलन में नहीं है, क्योंकि इसे पाप माना जाता है। अग्नि के समक्ष 7 फेरे लेते वक्त यदि आपने फेरे के वचन नहीं सुने हैं तो एक बार फिर से पढ़ लें। विवाह करने के पहले 50 बार सोच लें। आकर्षण, सेक्स, प्यार या धन शक्ति के प्रभाव में आकर विवाह न करें।
 
विवाह एक सामाजिक बंधन या समाज की रचना का आधार नहीं है। विवाह आपके एक परिवार होने और बच्चों के भविष्य को बनाने के लिए एक आत्मीय बंधन होता है। आपको आपकी संतति को आगे ही नहीं बढ़ाना है बल्कि उनके लिए एक आदर्श भी प्रस्तुत करना होता है। विवाह आपके आध्यात्मिक पथ का भी एक साधन है।
 
आपके तलाक लेने से कई लोगों की जिंदगी खराब हो जाती है। दोनों ही परिवारों के लोग मानसिक प्रताड़ना से गुजरते हैं। यदि बच्चे हैं तो उनकी जिंदगी को खराब करने के आप ही दोषी होते हैं। निश्‍चित ही इसकी सजा आपको न्यायालय नहीं देता है लेकिन ऊपर एक बड़ा न्यायालय है, जहां किसी भी प्रकार का मुकदमा नहीं चलता, बस सजा ही मिलती है। जिंदगीभर सजा भुगतने के बाद आपको मरने के बाद भी सजा भुगतना होती है। यदि आप इसे नहीं मानते हैं तो एक बार शास्त्र उठाकर पढ़ लें।
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भोगवादी प्रवृत्ति से डरें : भोग और संभोग में ही लिप्त रहकर अपनी सेहत और नैतिकता का ध्यान नहीं रखना भी आपको भारी पडेगा। भोजन में नियम नहीं जानना और कसरत नहीं करना आपके लिए घातक सिद्ध होने वाला है। हो सकता है कि वक्त के पहले ही आपकी तोंद निकल गई हो और बाल पक गए हों। वक्त के पहले ही आप थकने लगे हों और चेहरे की चमक चली गई हो। लेकिन आपको इन सबसे क्या फर्क पड़ता है। क्योंकि आप एक गैर जिम्मेदार व्यक्ति हैं। सिर्फ रुपयों से ही घर चलाना चाहते हैं।
 
 
फर्क तो तब पड़ेगा जब आप अस्पताल में होंगे और आपके आसपास आपका परिवार खड़ा होगा। आप वक्त के पहले ही मर जाएंगे और आपका परिवार दर-बदर हो जाएगा। हो सकता है कि आप ढेर सारे रुपयों का इंतजाम करके गए हों लेकिन आपकी जगह रुपये नहीं ले सकते हैं। संकट काल में आपको रुपया नहीं बचा पाया तो आपके परिवार को कौन, कैसे बचाएगा? पत्नी अकेली, बच्चे अकेले ही जिंदगी गुजारेंगे लेकिन उनकी जिंदगी में आप नहीं होंगे। आपका नहीं होना उन्हें कितना दुख देगा ये तो उन्हीं से पूछें।

यदि आप सच में ही अपनी सेहत और परिवार को लेकर गंभीर हैं तो हिन्दू नियम अनुसार ही आज से ही भोजन के नियम और योग के आसन को पढ़ना शुरू कर दें।
 

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