पूजा के समय पूजा करने और करवाने वाला एक विशेष आसन पर बैठता है। यह आसन सूती, रेशमी या ऊनी होता है और इसा रंग लाल, पीला या नारंगी होता है, लेकिन कहते हैं कि सबसे अच्छा आसन कुश का होता है। लकड़ी की चौकी या घासफूस की चाटाई का उपयोग भी कर सकते हैं। पूजा का आसन साफ़-सुथरा होना चाहिए। आखिर आसन बिछाकर ही क्यों पूजा की जाती है और जरूरी है आसन पर बैठकर पूजा करना।
1. आसन बिछाकर पूजा करने से देवी देवताओं के प्रति सम्मान प्रकट होता है और पूजा पूर्ण मानी जाती है।
2. आसन पर बैठकर अनुष्ठान करने से ज्ञान, सौभाग्य, शांति, धन और सिद्धि की प्राप्ति होती है।
3. आसन पर बैठकर पूजा करने से हमारे मन में भी अनुष्ठान या पूजा के प्रति गंभीरता आती है।
4. आसन पर बैठकर पूजा करने से हमारे मन में श्रद्धा, पवित्रता और धार्मिकता का भाव जन्मता है।
5. आसन पर बैठकर पूजा करने से शरीर आरामदायक स्थिति में रहता है। लंबे अनुष्ठान के लिए बैठते हैं तो आसन से शारीरिक आराम मिलता है।
6. आसन पर बैठकर पूजा करने से पूजा में ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
7. आसन पर बैठकर पूजा करने वाला व्यक्ति अनुष्ठान के दौरान शारीरिक और आध्यात्मिक स्वच्छता की स्थिति बनाए रखता है और पूजा में उसका मन भी लगा रहता है।
8. आसन पर बैठकर पूजा करने से व्यक्ति के मन में भारतीय संस्कृति और परंपरा से एक जुड़ाव महसूस होता है।
9. आसन पर बैठकर पूजा-अर्चना करने से पृथ्वी और आकाश की ऊर्जा के बीच संतुलन रहकर यह हमारे शरीर और मन को शांत करता है। इससे मन एकाग्र रहता है।
10. यह भी कहते हैं कि पृथ्वी में चुंबकीय बल है। जब कोई व्यक्ति मंत्रों के साथ पूजा करता है तो उसके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यदि उसने कोई आसन नहीं रखा है तो यह ऊर्जा पृथ्वी में समा जाती है और इसका उसको कोई लाभ नहीं मिलता है।