Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

करें धर्म के ये 11 काम, जिंदगी में मिलेगा आराम

हमें फॉलो करें करें धर्म के ये 11 काम, जिंदगी में मिलेगा आराम

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

हिन्दू धर्म में आचरण के सख्त नियम हैं जिनका उसके अनुयायी को प्रतिदिन जीवन में पालन करना चाहिए। यह सनातन हिन्दू धर्म का नैतिक अनुशासन है। इसका पालन करने वाला जीवन में हमेशा सुखी और शक्तिशाली बना रहता है। यम और नियम को आचरण संहिता में शामिल किया गया है लेकिन इसके अलावा भी आचरण के अन्य 11 नियम हैं। यहां हम आचरण के अलावा आचरण से हटकर भी कुछ बातों का उल्लेख करेंगे।


 
कहते हैं‍ कि जब जिंदगी में व्यक्ति संकटों से घिर जाता है तभी उसे भगवान की ज्यादा याद आती है। कई बार वह देवी और देवताओं की खूब प्रार्थना करता है फिर भी उसके संकट समाप्त नहीं होते। फिर वह किसी ज्योतिष, गुरु या बाबाओं के चक्कर लगाने लगता है, लेकिन वह छोटी-सी बात भी नहीं जानता है कि आखिर समस्या का समाधान क्यों नहीं हो रहा। वह इसलिए कि व्यक्ति जीना चाहता है अपने तरीके से। पाश्‍चात्य जीवनशैली के चलते व्यक्ति का उससे उसका धर्म छूट गया है। कोई बात नहीं, आप मात्र ये 11 छोटे से धार्मिक कार्य करें और निश्चिंत हो जाएं।
 
अगले पन्ने पर पहला धार्मिक कार्य...
 
 
 
webdunia


 


कपूर जलाना : प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कपूर जरूर जलाएं। हिन्दू धर्म में संध्यावंदन, आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेने की परंपरा है। पूजन, आरती आदि धार्मिक कार्यों में कर्पूर का विशेष महत्व बताया गया है। रात्रि में सोने से पूर्व कर्पूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है।
 
कर्पूरगौरम करुणावतारम संसारसारं भुजगेंद्रहारम।
सदावसंतम हृदयारविन्दे भवम भवानी सहितं नमामि।।
 
अर्थात : कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्ण वाले, करुणा के साक्षात अवतार, इस असार संसार के एकमात्र सार, गले में भुजंग की माला डाले, भगवान शंकर जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय कमलों में सदा सर्वदा बसे रहते हैं... हम उन देवाधिदेव की वंदना करते हैं। 
 
अगले पन्ने पर दूसरा धार्मिक कार्य...
 
 
webdunia

 


हनुमान चालीसा पढ़ना : प्रतिदिन संध्यावंदन के साथ हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए। संध्यावंदन घर में या मंदिर में सुबह-शाम की जाती है। पवित्र भावना और शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है, जो हमें हर तरह की जानी-अनजानी होनी-अनहोनी से बचाती है।
 
मंदिर, दरगाह, बाबा, ज्योतिष, गुरु, देवी-देवता आदि सभी जगहों पर भटकने के बाद भी कोई शांति और सुख नहीं मिलता और संकटों का जरा भी समाधान नहीं होता है। साथ ही मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा हो तो सिर्फ हनुमान की भक्ति ही बचा सकती है। शास्त्रों के अनुसार कलयुग में हनुमानजी की भक्ति को सबसे जरूरी, प्रथम और उत्तम बताया गया है लेकिन अधिकतर जनता भटकी हुई है। भटके हुओं को राह पर लाना भी पुण्य है।
 
जप- जब दिमाग या मन में असंख्य विचारों की भरमार होने लगती है, तब जप से इस भरमार को भगाया जा सकता है। अपने किसी ईष्ट का नाम या प्रभु स्मरण करना ही जप है। यही प्रार्थना भी है और यही ध्यान भी है।
 
अगले पन्ने पर तीसरा धार्मिक कार्य...
 

 
webdunia


 
व्रत रखना : वैसे कर्तव्य तो 10 हैं, लेकिन हिन्दू धर्म के 5 प्रमुख कर्तव्यों में शामिल है व्रत। व्रत को उपवास भी कह सकते हैं। सप्ताह में एक बार व्रत जरूर रखें। उस दिन किसी भी प्रकार का अन्न न खाएं। भूखे नहीं रह सकते हैं तो सिर्फ फलाहार ही लें और सुबह नींबू और धनिये का रस पीएं।
 
वर्ष में एक बार श्रावण माह में कठिन व्रतों का पालन करना चाहिए। श्रावण माह चतुर्मास का पहला माह होता है। इसमें के प्रत्येक दिन व्रत रखना जरूरी है। इससे जहां आपकी सेहत में सुधार होगा वहीं ईश्वर कृपा भी बनी रहेगी। जिस तरह मुसलमानों में रमजान माह में रोजा रहता है उसी तरह श्रावण माह में व्रत रहता है।
 
व्रत का अर्थ सिर्फ भोजन पर प्रतिबंध ही नहीं : अतिभोजन, मांस एवं नशीली पदार्थों का सेवन नहीं करना ही व्रत नहीं होता बल्कि अवैध यौन संबंध, जुए आदि बुरे कार्यों से बचकर रहना, विवाह संस्कार का पालन करना, धार्मिक परंपरा के प्रति निष्ठा भी व्रत में शामिल है। इनका गंभीरता से पालन करना चाहिए अन्यथा एक दिन सारी आध्यात्मिक या सांसारिक कमाई पानी में बह जाती है।
 
इसका लाभ- व्रत से नैतिक बल मिलता है तो आत्मविश्वास तथा दृढ़ता बढ़ती है। जीवन में सफलता अर्जित करने के लिए व्रतवान बनना जरूरी है। व्रत से जहां शरीर स्वस्थ बना रहता है, वहीं मन और बुद्धि भी शक्तिशाली बनते हैं। सबसे उत्तम लाभ यह कि आप देवी और देवताओं की नजरों में अच्छे बन जाते हैं।
 
अगले पन्ने पर चौथा धार्मिक कार्य...
 
 
 
webdunia


 


प्राणियों को भोजन : वृक्ष, चींटी, पक्षी, गाय, कुत्ता, कौवा, अशक्त मानव आदि प्राणियों के अन्न-जल की व्यवस्था करें। प्रत्येक हिन्दू घर में जब भोजन बनता है तो पहली रोटी गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए होती है। इसे वेदों के पंचयज्ञ में से एक वैश्वदेव यज्ञ कर्म कहा गया है। यह सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। पंचयज्ञ इस प्रकार हैं- (1) ब्रह्मयज्ञ, (2) देवयज्ञ, (3) पितृयज्ञ, (4) वैश्वदेव यज्ञ और (5) अतिथि यज्ञ।
 
भोजन करने के पूर्व अग्नि को उसका कुछ भाग अर्पित किया जाता है जिसे अग्निहोत्र कर्म कहते हैं। प्रत्येक हिन्दू को भोजन करते वक्त थाली में से 3 ग्रास (कोल) निकालकर अलग रखना होता है। यह 3 कोल ब्रह्मा, विष्णु और महेश के लिए या मन कथन के अनुसार गाय, कौए और कुत्ते के लिए भी रखा जा सकता है।
 
अगले पन्ने पर पांचवां धार्मिक कार्य...
 
 
webdunia

 


प्रति गुरुवार को मंदिर जाएं : शिव के मंदिर में सोमवार, विष्णु के मंदिर में रविवार, हनुमान के मंदिर में मंगलवार, शनि के मंदिर में शनिवार और दुर्गा के मंदिर में बुधवार और काली व लक्ष्मी के मंदिर में शुक्रवार को जाने का उल्लेख मिलता है। गुरुवार को गुरुओं का वार माना गया है। हालांकि गुरुवार का महत्व इसलिए नहीं है कि वह गुरुओं का वार है। दरअसल, रविवार की दिशा पूर्व है किंतु गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान में ही सभी देवताओं का स्थान माना गया है।
 
हिन्दू धर्म में रविवार और गुरुवार को पवित्र और सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस दिन मंदिर जाने का महत्व अधिक है। दोनों में गुरुवार को प्रथम माना गया है। प्रतिदिन मंदिर जाने से सकारात्मक भावना का विकास होगा और यह आपके मन और मस्तिष्क के लिए जरूरी है। यह भावना कई तरह के संकटों से बचा लेती है। गुरुवार के महत्व को जानने के लिए उपरोक्त लिंक पर जरूर क्लिक कर पढ़ें।
 
अगले पन्ने पर छठा धार्मिक कार्य...
 
 
 
webdunia

 


शास्त्रोक्त समय का रखें ध्यान : पूर्णिमा और अमावस्या : मान्यता अनुसार कुछ खास दिनों में कुछ खास कार्य करने से बचना चाहिए। खास कार्य ही नहीं करना चाहिए बल्कि अपने व्यवहार को भी संयमित रखना चाहिए। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि प्रतिपदा, ग्यारस, तेरस, चौदस, पूर्णिमा, अमावस्या, चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण उक्त 8 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है, क्योंकि इन दिनों में देव और असुर सक्रिय रहते हैं।
 
इसके अलावा सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के बाद भी सतर्क रहने की जरूरत है। सूर्यास्त के बाद दिन अस्त तक के काल को महाकाल का समय कहा जाता है। सूर्योदय के पहले के काल को देवकाल कहा जाता है। उक्त काल में कभी भी नकारात्मक बोलना या सोचना नहीं चाहिए अन्यथा वैसे ही घटित होने लगता है।
 
अगले पन्ने पर सातवां धार्मिक कार्य...
 
 
 
webdunia


 


श्राद्ध कर्म करना : श्राद्धपक्ष में शास्त्रानुसार श्राद्धकर्म करना चाहिए जिससे आपके पूर्वज या पितरों को शांति मिलती है। उनके प्रति आपके अच्छे भाव के चलते वे आपको भरपूर आशीर्वाद देकर आपके जीवन के संकट को दूर कर देते हैं। इस कर्म को वेदों के पंच यंत्र में से एक पितृयज्ञ कहा गया है। पंच यंत्र-  इस प्रकार हैं- (1) ब्रह्मयज्ञ, (2) देवयज्ञ, (3) पितृयज्ञ, (4) वैश्वदेव यज्ञ और (5) अतिथि यज्ञ।
भाद्रपद की पूर्णिमा एवं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष कहलाता है। इस पक्ष में मृत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष में पितरों की मरण-तिथि को ही उनका श्राद्ध किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या को कुल के उन लोगों का श्राद्ध किया जाता हैं जिन्हें हम नहीं जानते हैं।
 
अगले पन्ने पर आठवां धार्मिक कार्य...
 
 
 
webdunia

 


सदा सत्य बोलना- अधिकतर लोग बेवजह ही झूठ बोलते रहते हैं। वे मनमानी बहस करते हैं। शास्त्र का ज्ञान नहीं, फिर भी झूठी बातें करते रहते हैं। राजनीति का ज्ञान नहीं, फिर भी मगगढ़ंत बहस करते रहते हैं। ऐसी हजारों बातें हैं जिस पर वे झूठ बोलते रहते हैं। कभी-कभी इम्प्रेशन जमाने के लिए भी खुद के बारे में और दूसरों के बारे में भ्रम की स्थिति निर्मित कर देते हैं। ऐसे लोग धर्म की नजर में सबसे बुरे होते हैं। वे अपने घर, परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए खतरा होते हैं।
 
मन, वचन और कर्म से सत्यनिष्ठ रहना, दिए हुए वचनों को निभाना, प्रियजनों से कोई गुप्त बात नहीं रखना यह सत्य पर कायम रहने की शर्त है। हिन्दू धर्म के यम और नियम में से यम का दूसरा नियम है सत्य पर कायम रहना। 
 
इसका लाभ- सदा सत्य बोलने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता कायम रहती है। सत्य बोलने से व्यक्ति को आत्मिक बल प्राप्त होता है जिससे आत्मविश्वास भी बढ़ता है। सत्य बोलने से व्यक्ति देवी और देवताओं की नजरों में ऊंचा उठ जाता है। ऐसे कई लोग हैं, जो पूजा-पाठ या प्रार्थना तो बहुत करते हैं लेकिन दिनभर झूठ बोलते और धोखा देते रहते हैं।
 
अगले पन्ने पर नौवां धार्मिक कार्य...
 
 
 
webdunia


 


रक्षासूत्र बांधकर रखें : 'मौली' का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर'। इसे रक्षासूत्र भी कहते हैं। मौली का तात्पर्य सिर से भी है। मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। मौली के भी प्रकार हैं। शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान है इसीलिए उन्हें चन्द्रमौली भी कहा जाता है। 
 
जब मौली पुरानी हो जाए तो इसे तोड़कर नई बांध लें। मौली हमेशा एक ही रखें। ऐसे नहीं कि एक के बाद एक भिन्न-भिन्न अवसरों पर बांधकर कलाई में ढेर सारी मौली इकट्ठी कर लें। यह बंधन नहीं बनना चाहिए, यह रक्षासूत्र बनना चाहिए। इसे हमेशा ताजातरीन रखें। 
 
अगले पन्ने पर दसवां धार्मिक कार्य...

 
webdunia


 
 
वास्तु अनुसार हो आपका घर : जीवन में आ रहे उतार-चढ़ाव का संबंध कई बार स्थान और घर के कारण में होता है। घर अच्छा है तो संभवत: आसपास का सामाजिक माहौल या प्राकृतिक वातावरण अच्‍छा नहीं होगा? फिर भी यदि घर अच्‍छा है तो बहुत हद तक सब कुछ अच्छा हो जाता है।
एक आदर्श हिन्दू घर या भारतीय घर कैसा होना चाहिए? यह जानना जरूरी है। आजकल आबादी के बढ़ते या पश्चिम के अनुसरण के चलते लोगों ने फ्लैट में रहना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर कोई भी वास्तुशास्त्र का पालन नहीं करता है। इसके कारण व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा का शिकार होकर अवसाद या गृहकलह में उलझ जाता है।
 
अगले पन्ने पर ग्यारहवां धार्मिक कार्य...
 
 
 
webdunia

 


चरणामृत और पंचामृत : मंदिर में जब भी कोई जाता है तो पंडितजी उसे चरणामृत या पंचामृत देते हैं। लगभग सभी लोगों ने दोनों ही पीया होगा। लेकिन बहुत कम ही लोग इसकी महिमा और इसके बनने की प्रक्रिया को नहीं जानते होंगे।
 
चरणामृत का अर्थ होता है भगवान के चरणों का अमृत और पंचामृत का अर्थ 5 अमृत यानी 5 पवित्र वस्तुओं से बना। दोनों को ही पीने से व्यक्ति के भीतर जहां सकारात्मक भावों की उत्पत्ति होती है वहीं यह सेहत से जुड़ा मामला भी है।

(समाप्त) 
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi