कई लोग ऐसे हैं जो शनि की साढ़े साती, काल सर्प दोष, मंगल दोष और पितृ दोष से डर जाते हैं। कुछ लोग तो चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण से भी डर जाते हैं। यहां यह जानना जरूरी है कि क्या उपरोक्त बाते शास्त्र सम्मत हैं? उनमें से कितनी बाते शास्त्र सम्मत हैं और कितनी नहीं। दरअसल, सनातन धर्म अनुसार व्यक्ति को उस एक ब्रह्म को छोड़कर किसी अन्य से डरने की जरूरत नहीं है।
दरअसल, सभी कुछ आपके कर्म और आपकी सोच से निर्मित होता है। हिन्दू शास्त्र वेद और गीता में उक्त बातों का कोई उल्लेख नहीं है। ज्योतिष के प्राचीन शास्त्रों में भी इसका कोई प्रमाण नहीं है कि शनि की साढ़े सारी लगती है या काल सर्प दोष होता है। इसलिए व्यर्थ की बातों से न डरे तो ही बेहतर है।
शनि की साढ़े साती, ढय्या या शनि के प्रकोप से डरने की जरूरत नहीं, क्योंकि यह नहीं होती। हां, शनि ग्रह का प्रभाव हमारे शरीर पर जरूर रहता है लेकिन वह कितने समय तक और कैसा रहता है यह जानना जरूरी है। यदि आपको फिर भी लगता है कि मुझ पर शनि का प्रकोप है तो अगले पन्ने पर जानिए अचूक उपाय और शर्तें हैं। उपाय न भी करें तो यदि शर्तों का पालन करते रहे तो एक झटके में सबसे एक साथ ही मुक्ति मिल जाएगी।
शनि अशुभ की निशानी :
शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षति ग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। नखून कमजोर हो जाते हैं। घर में अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह से नाश होता है। समयपूर्व दांत और आंख की कमजोरी हो जाती है।
शनि के उपाय :
1.छाया दान करें
2.प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें।
3.शराब पीते हो तो पीना छोड़ दें।
4.अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। उन्हें दान दें।
5.दांत साफ रखें।
6.जुआ सट्टा न खेंले, ब्याज का धंधा न करें।
7.झूठी गवाही से बचें।
8.पति या पत्नी के प्रति वफादार बनकर रहें।
9.नास्तिक और नास्तिकता के विचारों से दूर रहें।
10.हमेश सिर ढक कर ही मंदिर जाएं।
11.भैरव बाबा को शराब चढ़ाएं।
वैसे तो शास्त्र अनुसार काल सर्प दोष जैसा कोई दोष नहीं होता। यह कुछ वर्षों से फैलाया गया एक भ्रम मात्र है। इससे किसी भी प्रकार से डरने की जरूरत नहीं है। फिर भी आपको लगता है कि यह होता है, तो हम ऐसे अचूक उपाय बता रहे हैं कि आप इन्हें करके भयमुक्त हो जाएं।
कालसर्प दोष : राहु और केतु के कारण काल सर्प दोष होना बताया जाता है। कुछ ज्योतिष मानते हैं कि यह 12 तरह का होता है। लेकिन इसका कोई शास्त्र सम्मत प्रमाण नहीं मिलता। राहु और केतु छाया ग्रह है और खासकर यह हमारी धरती के दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव का धरती पर पड़ने वाला प्रभाव है। इसके पीछे के विज्ञान को समझना जरूरी है। खैर..
अशुभ की निशानी : जिसके उपर राहु का प्रकोप होता है ऐसा व्यक्ति कल्पना में ज्यादा रहता है। ऐसे व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज हो हो सकता है। राहु का खराब होना अर्थात दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। ऐसे व्यक्ति की तरक्की की शर्त नहीं।
उपाय :
1.अपने से बड़े और पूर्वजों के प्रति सम्मान रखें।
2.सिर पर चोटी रखने से पहले किसी जानकार से पूछें।
3. सरस्वती माता का ध्यान करें
4.ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें।
5.तंत्र मंत्र की विद्या से दूर रहें।
6.घर में सुबह शाम कर्पूर जलाएं।
7.कल्पना में जीना छोड़ दें। यथार्थवादी बनें।
8.आचरण को शुद्ध करें। कसरत करें।
9. जौ या अनाज को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं
10.कोयला को बहते पानी में बहाएं
11.मूली दान में देवें
12.भैरव महराजा को शराब चढ़ाएं।
केतु अशुभ की निशानी : पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह। रात में चमकना। मंदा केतु पैर, कान, रीढ़, घुटने, लिंग, किडनी और जोड़ के रोग पैदा कर सकता है। इसके अलावा घटना दुर्घटनाएं बढ़ जाती है।
केतु के उपाय :
1.कान छिदवाएं।
2.प्रतिदिन अपने खाने में से कुत्ते को हिस्सा दें।
3.मंदिर जाएं तो पूर्णत: झूकें। साष्टांग दंडवत।
4.काला-सफेद मिश्रित रंग का कंबल दान करें।
5.गणेशजी की आराधना करें।
अब यदि आपको लगता है कि आपको पितृदोष से है तो उससे भी बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है। अगले पन्ने पर अचूक उपाय बताए जा रहे हैं।
अशुभ की निशानी : ऐसा माना जाता है कि यदि किसी को पितृदोष है तो उसकी तरक्की रुकी रहती है। समय पर विवाह नहीं होता है। कई कार्यों में रोड़े आते रहते हैं। गृह कलह बढ़ जाती है। जीवन एक उत्सव की जगह संघर्ष हो जाता है। रुपया पैसा होते हुए भी शांति और सुकून नहीं मिलता है। शिक्षा में बाधा आती है, क्रोध आता रहता है, परिवार में बीमारी लगी रहती है, संतान नहीं होती है, आत्मबल में कमी रहती है आदि कई कारण या लक्षण बताए जाते हैं। पितृदोष का अर्थ है कि आपके पिता या पूर्वजों में जो भी दुर्गुण या रोग रहे हैं वह आपको भी हो सकते हैं।
जिस जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली आदि में मंगल ग्रह, लग्न से लग्न में (प्रथम), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी स्थित हो, तो उसे मांगलिक कहते हैं। लेकिन हमने उपर बताया कि मंगल कैसे खराब होता है। इस बात को समझना जरूरी है, तो ही उसका निदान हो सकता है।
उपाय:
1.मान्यता अनुसार जैसे कि 12 तरह के काल सर्प दोष होते हैं उसी तरह 9 तरह के पितृ दोष होते हैं। दरअसल, हमारा जीवन, हमारे पुरखों का दिया है। हमारे पूर्वजों का लहू, हमारी नसों में बहता है। हमें इसका कर्ज चुकाना चाहिए। इसका कर्ज चुकता है पुत्र और पुत्री के जन्म के बाद। यदि हमने अपने पिता को एक पोता और माता को एक पोती दे दिया तो आधा पितृदोष तो वहीं समाप्त।
2.दूसरा हमारे उपर हमारे माता पिता और पूर्वजों के अलावा हम पर स्वऋण (पूर्वजन्म का), बहन का ऋण, भाई का ऋण, पत्नी का ऋण, बेटी का ऋण आदि ऋण होते हैं। उक्त सभी का उपाय किया जा सकता है। पहली बात तो यह की सभी के प्रति विनम्र और सम्मानपूर्वक रहें।
4.प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए।
5.श्राद्ध पक्ष में बहुत श्रद्धा से श्राद्ध करना चाहिए।
6.कौए, चिढ़िया, कुत्ते और गाय को रोटी खिलाते रहना चाहिए।
7.पीपल या बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाते रहना चाहिए।
8.केसर का तिलक लगाते रहना चाहिए।
9.कुल कुटुंब के सभी लोगों से बराबर मात्रा में सिक्के लेकर उसे मंदिर में दान कर देना चाहिए।
10.प्रतिदिन सुबह और शाम को घर में कर्पूर जलाना चाहिए।
11.दक्षिणमुखी मकान में कदापी नहीं रहना चाहिए।
12.विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से पितृदोष चला जाता है।
13.एकादशी के व्रत रखना चाहिए कठोरता के साथ।
अब यदि आपको लगाता है कि आप मंगली है या आपको मंगल दोष हैं तो इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी अगले पन्ने पर।
मंगल दोष अशुभ लक्षण : मंगल का संबंध खून से होता है। खून खराब तो मंगल खराब। मंगल हमारा भाई भी है। भाई से संबंध खराब तो मंगल खराब। मंगल हमारा स्वभाव भी है। स्वभाव में क्रोध, स्वार्थ, चिढ़चिढ़ापन, शंका-शंका, अपराधिक प्रवृत्ति है तो समझो मंगल खराब। मंगल खराब होने से शरीर पर लाल रंगी फोड़े-फुंसी होने लगते हैं। गृहकलह में संपत्ति बिक जाती है। भाई से झगड़ा चलता रहता है। पत्नी या पति को व्यक्ति दबाकर रखने का प्रयास करता या करती है। परिवार को प्रति प्रेम भाव खत्म हो जाता है। ऐसा व्यक्ति तो निश्चित ही बर्बाद होगा ही।
बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है। भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है। बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं। पैदा होते ही उनकी मौत हो जाती है। एक आंख से दिखना बंद हो सकता है। शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है। यदि मंगल शुभ है तो हनुमानजी और अशुभ है तो जिन्न।
उपाय :
1.प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़े। प्रतिदिन हनुमान मंदिर जाएं।
2.मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सुरमा आंखों में डालना चाहिए।
3.गुड़ खाना चाहिए।
4.भाई और मित्रों से संबंध अच्छे रखना चाहिए।
5.क्रोध न करें।
6.मसूर की दाल का दान करें।
7.चंदन का तिलक माथे पर लगाएं।
8.मांस, मछली, मटन, चिकन आदि तो कतई न खाएं।
9.पेट साफ रखें, योगासन करें।
10.अपने चरित्र को उत्तम बनाए रखें।
11.बुरी संगत से दूर रहें।
12.परिवार के हर सदस्य से हर हाल में प्रेम भाव रखें।
अंत में जान लें पांच शर्तें :
1.प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें। हनुमानजी के अलावा किसी अन्य में ध्यान न धरें।
2.मांस, मदिरा, अंडा, तंबाखू और बुरी संगत को छोड़ दें।
3.चरित्र को उत्तम बनाएं, क्योंकि आप हनुमानजी की शरण में हैं।
4.घर, परिवार और अपने से बड़ों को सम्मान करें।
5.धर्म के नियमों का पालन करें, कर्मकांड नहीं।