भारत में कई नीतिकार हुए हैं, जिन्होंने भारत के धर्म और राज्य को एक दिशा दी है। उन्हीं नीतिकारों में से एक प्रसिद्ध नीतिकार हैं शुक्राचार्य। ऋषि भृगु के पुत्र और दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य की शुक्र नीति आज भी प्रासंगिक मानी जाती है। आज के संदर्भ में अर्थात कोरोनाकाल में उनकी यह 9 नीति आज भी प्रासंगिक है।
श्लोक : आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं मंत्रमैथुनभेषजम्।
दानमानापमानं च नवैतानि सुगोपयेतू।।-शुक्र नीति
1.पहली बात शुक्राचार्य कहते हैं कि आ अपनी आयु के बारे में हर किसी को ना बताते रहें। आयु को जितना गुप्त रखा जाए, उतना ही अच्छा माना जाता है। आपकी आयु का पता चलने पर आपके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष शत्रु इस बात का किसी पर तरह से लाभ उठाकर अपने हित में प्रयोग कर सकते हैं।
2.दूसरी बात यह कि बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो अपने घर-परिवार की सारी बातें अपने मित्र, रिश्तेदार या किसी परिचित से शेयर करते रहते हैं। ऐसे लोग बाद में पछताते हैं। इससे घर के सदस्यों में आपसी मनमुटाव और अविश्वास की भावना बढ़ती है। घर की बातें घर में ही रखने से जीवन सुखमय बनता है।
3.तीसरी बात यह कि कहा जाता है जो मनुष्य अपनी पूजा-पाठ और मंत्र को गुप्त रखता है, उसे ही अपने पुण्य कर्मों का फल मिलता है। लेकिन कई लोग अपने जप-तप, पूजा-पाठ आदि का बखान करते रहते हैं ऐसे में उन पर न तो भगवान की कृपा होती है और न ही मंत्र फलित होता है।
4.चौथी बात यह कि लोग जानना चाहते हैं कि आप कितना कमाते हैं। यदि आप सीधे-सीधे नहीं बताएंगे, तो ये लोग दूसरे तरीके से पूछताछ करके अनुमान लगा लेंगे। हालांकि आप अपने धन को जितना हो सके गोपनीय रखेंगे तो आपके लिए ही अच्छा होगा। पत्नी को छोड़कर धन को अपने परिचित या रिश्तेदारों से गोपनीय ही रखने की सलाह दी जाती रही। शुक्राचार्य मानते हैं कि धन से जीवन में कई सुख-सुविधाएं जुटाई जा सकती हैं, लेकिन कई बार यही धन आपके लिए मुसीबतें भी खड़ी कर सकता है। इसीलिए आप अपने धन को जितना गुप्त रखेंगे उतना ही लाभदायक होगा। वरना कई लोग अपके धन के लालच में आपसे जान-पहचान बढ़ाकर बाद में आपको नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
5.पांचवीं बात औषध और औषधि को छुपाएं। औषध का अर्थ होता है चिकित्सक या डॉक्टर। चिकित्सक आपकी निजी बातें भी जान सकता है। ऐसे में आपके दुश्मन या आपसे जलने वाले लोग चिकित्सक की मदद से आपके लिए परेशानी या समाज में शर्मिंदगी का कारण बन सकते हैं। इसलिए, बेहतर यही होगा कि आपके औषध या चिकित्सक की जानकारी सभी लोगों से गुप्त रखी जाए। आप यदि किसी भी प्रकार की दवाई खाते हैं तो उसे गोपनीय रखें।
6.छठवीं बात यह कि पति और पत्नी के बीच की अत्यंत गुप्त बातों में से एक मैथुन क्रिया होती है। पति-पत्नी का संसार-व्यवहार गोपनीय रखना चाहिए। बहुत से मुर्ख लोग अपनी पत्नी के साथ उनका व्यवहार कैसा है यह भी दूसरों को बताते रहते हैं। आप अपने परिवार की बातें हमेशा गुप्त रखें अन्यथा सुनने वाले तो मजे लेकर हट जाएंगे, लेकिन आप पछताएंगे।
7.सातवां बात जो मनुष्य दूसरों की तारीफ पाने के लिए या लोगों के बीच अपनी महानता दिखाने के लिए अपने किए गए दान का दिखावा करता हैं, उसके किए गए सभी पुण्य कर्म नष्ट हो जाते हैं। दान एक ऐसा पुण्य कर्म है, जिसे गुप्त रखने पर ही उसका फल मिलता है।
8.आठवीं बात यह कि बहुत से लोगों को अपने मान-सम्मान को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की आदत होती है। इस आदत के कारण कई लोग उनसे ईर्ष्या या नफरत करने लगते हैं। साथ ही इस आदत की वजह से उनके अपने उनसे दूरियां बना लेते हैं। कई लोगों के अपने मान-सम्मान का दिखावा करने की आदत होती है।
9.नौवीं बात यह कि अपना अपमान गोपनीय रखें। हर मनुष्य को अपने जीवन में किसी न किसी से अपमान झेलना ही पड़ता है। यदि वह मनुष्य अपने अपमान को गुप्त नहीं रखता है तो उसे नुकसानदायक उठाना पड़ सकता है। दूसरों को यदि इस बात का पता चलता है तो वे भी सम्मान करना छोड़ देते हैं और ऐसे में आप हंसी का पात्र भी बन सकते हैं।
10.दसवीं बात यह कि अपनी कमजोरी या अयोग्यता जाहिन का करें। हालांकि बहुत-सी जगह या मामले में इसे गोपनीय रखना घातक भी सिद्ध हो सकता है। लेकिन बहुत से मामलों में इसे उजागर करने से आपको लोग कमजोर समझकर आपके साथ गलत व्यवहार करने लगेंगे या आपको मानसिक रूप से दबाने लगेंगे। इसीलिए इस बारे में आप अच्छे से विचार कर लें कि कब, कहां कौन-सी कमजोरी गोपनीय रखना है। कमजोरी और अयोग्यता में फर्क करना भी सीखें।