घर में मूर्तियां रखनी चाहिए या नहीं, रखें तो कितनी रखें और कितनी बढ़ी मूर्तियां रखें इस संबंध में हिन्दू धर्म और ज्योतिष शास्त्रों विस्तार से उल्लेख मिलता है। यहां प्रस्तुत से संक्षिप्त जानकारी।
श्लोक...
गृहे लिंगद्वयं नाच्यं गणेशत्रितयं तथा।
शंखद्वयं तथा सूर्यो नार्च्यो शक्तित्रयं तथा॥
द्वे चक्रे द्वारकायास्तु शालग्राम शिलाद्वयम्।
तेषां तु पुजनेनैव उद्वेगं प्राप्नुयाद् गृही॥
अर्थात:- घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, तीन दुर्गा मूर्ति, दो गोमती चक्र और दो शालिग्राम की पूजा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशांति होती है।
हालांकि सभी एक एक ही रखेंगे तो कोई हर्ज नहीं लेकिन इससे ज्यादा नहीं होना चाहिए। कुछ मानते हैं कि घर में किसी भी देवता की तीन मूर्तियां या चित्र नहीं होने चाहिए। हो सके तो बस एक ही रखें। ज्यादा देवी-देवताओं की मूर्तियां न रखें। आपका जो भी ईष्ट है बस उन्हीं की मूर्ति रखें। मूर्ति पीतल, तांबा, सोना, चांदी या कांसे की धातुओं से बनी होना चाहिए।
मूर्तियों के आकार:
शास्त्र अनुसार पूजा घर में रखी जाने वाली देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का आकार 3 इंच से ज्यादा नहीं होना चाहिए या हमारे अंगूठे की लंबाई के बराबर ही मूर्तियां रखना चाहिए। अंगूठा आकार से बड़ी मूर्तियां घर के मंदिर में नहीं रखना चाहिए। बड़ी मूर्तियों की पूजा में कई नियमों का पालन करना होता है। इनकी पूजा में त्रुटि होना अशुभ माना जाता है और पुण्य लाभ भी प्राप्त नहीं हो पाता है।
इस स्थिति में मूर्तियां न रखें:
माना जाता है कि लाल किताब की कुंडली अनुसार यदि 10वें भाव में गुरु है तो ऐसे जातक को घर में मंदिर नहीं बनाना चाहिए। खासकर ऐसा मंदिर जिसमें गुंबद या जिसका शिखर हो। इसके अलावा उसे घर में बड़ी बड़ी मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए। हो सकता है कि यह मूर्तियां देवी देवता की ना हो बस सजावट हेतु ही हो। हालांकि किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को अपनी कुंडली दिखाकर यह निर्णय लें तो बेहतर होगा।