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घर में रखें ये वस्तुएं और जीवन को सुखमय बनाएं

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अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

घर में पवित्र और ऊर्जावान वस्तुएं रखने से घर के सदस्यों के दिमाग भी शांत और प्रगतिशील रहते हैं। घर में ऐसी कोई नकारात्मक वस्तु नहीं होना चाहिए, जो घर की शांति भंग करे। 
घर का अटाला जहां नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है, वहीं घर में रखे गमले के पौधे भी आपके जीवन को संकट में डाल सकते हैं यदि वे कांटेदार या नकारात्मक ऊर्जा वाले हैं तो। उसी तरह यदि घर में लौह तत्व की अधिकता है, तब भी जीवन संघर्षमय बन सकता है।
 
घर में किसी पालतू जानवर को रखने से पहले सोच-समझ लें। आओ हम जानते हैं कि घर में ऐसी कौन-सी वस्तुएं होना चाहिए, जो आपके घर और आपके जीवन को सुखमय बना सकती है।
 
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बर्तनों पर ध्यान दें : सेहतमंद खाना पकाने के लिए आप तेल-मसालों पर तो पूरा ध्यान देते हैं लेकिन क्या आप खाना पकाने के लिए बर्तनों पर ध्यान देते हैं? आज से ही इस बात पर भी ध्यान देना शुरू कर दें क्योंकि आप जिस धातु के बर्तन में खाना पकाते हैं उसके गुण भोजन में स्वत: ही आ जाते हैं। 
 
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खाना किसमें पकाएं?
कास्ट लोहे के बर्तन खाना पकाने के लिए सबसे सही पात्र माने जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्व बढ़ जाते हैं।
 
खाना किस में खाएं?
पीतल के बर्तन में भोजन करना, तांबे के बर्तन में पानी पीना अत्यंत ही लाभकारी होता है। हालांकि बाल्टी और बटलोई पीतल की होना चाहिए। एक तांबे का घड़ा भी रखें। इसके अलावा घर में पीतल और तांबे के प्रभाव से सकारात्मक और शांतिमय ऊर्जा का निर्माण होता है। ध्यान रहे कि तांबे के बर्तन में खाना वर्जित है। हालांकि आजकल स्टेनलेस स्टील बर्तन में खाने का प्रचलन बढ़ गया है। यह भी साफसुधरे और फायदेमंद रहते हैं।

स्टेनलेस स्टील एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है। इस धातु में न तो लोहे की तरह जंग लगता है और न ही पीतल की तरह यह अम्ल आदि से प्रतिक्रिया करती है।
 
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ज्ञानवर्धक किताबें : आजकल अच्छी किताबें या घर में लाइब्रेरी का प्रचलन कम ही है। घर में धार्मिक किताबें तो कम ही मिलेंगी।
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घर में गीता, महाभारत, रामायण, वेद, उपनिषद, हितोपदेश, जातक कथा, पंचतंत्र, वेताल प‍च्चीसी, कथासरित्सागर, सिंहासन बत्तीसी, तेनालीराम की कहानियां, शुकसप्तति, चाणक्य नीति आदि पुस्तकें रखना चाहिए।
 
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गुलाब की लकड़ी : गुलाब की लकड़ी की गणेश, हनुमान या श्रीकृष्ण-राधा की सुंदर और छोटी-सी मूर्ति। ध्यान रहें कि मूर्ति सिर्फ एक ही हो। मूर्ति पूजा के लिए नहीं, यह घर की शोभा बढ़ाने के लिए हो।
 
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कदं‍ब की लकड़ी : अन्‍य सजावटी वस्‍तुएं, जो भी आप रखना चाहते हैं वह कदंब की लकड़ी की हो। जैसे हाथी, हंस, बुद्ध की मूर्ति, ऊपर लटकाने के लिए डलिया, टोकरी, घोड़ा, पानदान, गुलदस्ता आदि। उल्लेखनीय है कि यदि ठोस चांदी का हाथी बनाएं तो लकड़ी का न रखें।
 
शीशम : बबूल, स्टील, प्लायवुड के सोफा सेट और पलंग से बेहतर शीशम की लकड़ी का सोफा और पलंग होता है। डाइनिंग सेट, साइन बोर्ड, कोनर्स, तिजोरियां, बक्से, अलमारियों से लेकर छोटे डिब्‍बे, ट्रे, पेन स्‍टैंड आदि सभी शीशम के होना चाहिए। सभी में सुंदर नक्‍काशी होना चाहिए।
 
चंदन की लकड़ी : पूजा के लिए सिर्फ एक बट्टी या टुकड़ा। प्रतिदिन चंदन घिसते रहने से घर में सुगंध का वातावरण निर्मित होता है। सिर पर चंदन का तिलक लगाने से शांति मिलती है। जिस स्थान पर प्रतिदिन चंदन घीसा जाता है और गरूड़ घंटी की ध्वनि सुनाई देती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है।
 
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लक्ष्मी का प्रतीक कौड़ियां :
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पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। कुछ सफेद कौड़ियों को केसर या हल्दी के घोल में भिगोकर उसे लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी में रखें। दो कौड़ियों को खुद की जेब में भी हमेशा रखें इससे धन लाभ होगा। 
 
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हाथी : विष्‍णु तथा लक्ष्‍मी को हाथी प्रिय रहा है। शक्‍ति, समृद्धि और सत्ता के प्रतीक हाथी को भगवान गणेश का रूप माना जाता है। समुद्र मंथन में प्राप्‍त हुआ था ऐरावत हाथी, जो सफेद था।
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घर में ठोस चांदी या सोने का हाथी रखना चाहिए। ठोस चांदी के हाथी के घर में रखें होने से शांति रहती है और यह राहू के किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव को होने से रोकता है।
 
कुछ लोग अपनी जेब में शुद्ध चांदी का एक छोटा सा हाथी रखते हैं इससे धन प्राप्ति में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं आती। सभी कार्यों में सफलता मिलती रहती है। 
 
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मंगल कलश : सुख और समृद्धि के प्रतीक कलश का शाब्दिक अर्थ है- घड़ा। यह मंगल-कलश समुद्र मंथन का भी प्रतीक है। ईशान भूमि पर रोली, कुंकुम से अष्टदल कमल की आकृति बनाकर उस पर यह मंगल कलश रखा जाता है।
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एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर रोली, स्वस्तिक का चिह्न बनाकर, उसके गले पर मौली (नाड़ा) बांधी जाती है।
 
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बांसुरी रखें घर में : बांस निर्मित बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। जिस घर में बांसुरी रखी होती है, वहां के लोगों में परस्पर प्रेम तो बना रहता है और साथ ही सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
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बांसुरी को आपकी उन्नति और प्रगति का सूचक बताया गया है। बांसुरी घर में मौजूद वास्तु दोष को भी दूर करता है। बांस से बनी बांसुरी की अहमियत काफी ज्यादा है। घर में प्रवेश करने वाले दरवाजे पर दो बांसुरी को क्रॉस करके लगाने से मुसीबतों से काफी हद तक पीछा छूट जाता है।
 
अगले पन्ने पर आठवीं वस्तु...
 

रंगोली : रंगोली या मांडना हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति की समृद्धि के प्रतीक हैं इसलिए 'चौंसठ कलाओं' में मांडना को भी स्थान प्राप्त है। इससे घर-परिवार में मंगल रहता है।
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उत्सव-पर्व तथा अनेकानेक मांगलिक अवसरों पर रंगोली से घर-आंगन को खूबसूरती के साथ अलंकृत किया जाता है।
 
अगले पन्ने पर नौवीं वस्तु...
 

शंख का महत्व : शंख समुद्र मंथन के समय प्राप्त 14 अनमोल रत्नों में से एक है। लक्ष्मी के साथ उत्पन्न होने के कारण इसे 'लक्ष्मी भ्राता' भी कहा जाता है। यही कारण है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है। घर में शंख जरूर रखें।
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शंख के कई उपयोग और महत्व है। शंख बजाने से जहां सेहत में लाभ मिलता है और घर का वातावरण शुद्ध होता है वहीं इसके घर में रखे रहने से आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृ-दोष शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है।  इसके अलावा शंख कई चमत्कारिक लाभ के लिए भी जाना जाता है। उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ शंख कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, कोरामंडल द्वीप समूह, श्रीलंका एवं भारत में पाये जाते हैं।  
 
अगले पन्ने पर दसवीं वस्तु...
 

ये सामग्री रखें घर में : निम्नलितिख वस्तुओं में कुछ पूजन सामग्री है तो कुछ खाने योग्य वस्तुएं हैं जो सेहत को सही रखती है। इसके और भी फायदे हैं। हालांकि इन सभी वस्तुओं के महत्व और उपयोग को विस्तार से जानना चाहिए। यहां सिर्फ नाम भर लिखे जा रहे हैं।
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यज्ञोपवीत, अक्षत, मौली, अष्टगंध, दीपक, मधु, रुई, कपूर, धूपबत्ती, नारियल, लाल चंदन, केशर, कुश का आसन, मोटे कपड़े की दरी, इत्र की शीशी, कुंकू, मेहंदी, गंगाजल, खड़ी, हाथ का पंखा, सत्तू, पंचामृत, चरणामृत, स्वस्तिक, ॐ, हल्दी, हनुमान तस्वीर, गुढ़, लच्छा, बताशे, गन्ना, खोपरा, स्वच्छ दर्पण, तांबे का लोटा, बाल हरण, बड़ी इलाइची, ईसबगोल, शहद, मीठा सोडा, कलमी सोडा, चिरायता, नाव (औ‍षधी), नीम तेल, तिल्ली का तेल, एलोविरा, अश्वगंधा, आंवला, गिलोई, अखरोट, बादाम, काजू, किशमिश, चारोली, अंजीर, मक्का, खुबानी, पिस्ता, खारिक, मूंगफली, मुलहठी, बेल का रस, नीबू, अदरक, बादाम तेल, काजू का तेल, खसखस, चारोली का तेल, आदि।
 
अगले पन्ने पर ग्यारहवीं वस्तु...
 

औषधीय और सकारात्मक पौधे...
 
गमले में तुलसी का पौधा : इसकी 3 किस्में होती हैं। रामा तुलसी, श्यामा तुलसी और बन तुलसी। वर्ष में कभी भी लगा सकते हैं। यह अथाह औषधीय गुणों वाला पौधा है। यह पौधा धार्मिक आस्था भी रखता है। घर में इसका होना बहुत जरूरी है। ये वातावरण को शुद्ध रखता है। इसकी पत्तियों को चबाने से अनगिनत बीमारियों से बचा जा सकता है।
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मनीप्लांट : आसानी से मिलने वाला, हमेशा हरा-भरा रहने वाला यह बेलनुमा पौधा घर में धन का प्रतीक है (ऐसा माना जाता है)। इस पौधे को जमीन में, गमलों में, बोतलों में, धूप में, छांव में यहां तक कि अंधेरे कमरे में, बाथरूम और टॉयलेट में भी लगा सकते हैं। 
 
कड़ी पत्ता : कड़ी पत्ते का छोटा सा पेड़ घर के आंगन में रहना चाहिए। इसके पत्ते का सेवन करने से कई तरह के फायदे हैं। यह जहां बालों को काला बनाये रखता है वहीं पाचन तंत्र को भी सुरक्षित रखता है। सब्जी, दाल, कड़ी आदि में डालने से स्वाद बढ़ जाता है। इसकी जड़ का इस्तेमाल आंखों और किडनी के रोग के लिए होता है। कई कारणों से हिन्दू धर्म में इसका पेड़ लगाने की हिदायत दी गई है।
 
अगले पन्ने पर बारहवीं वस्तु...
 

रातरानी का पौधा : रातरानी के फूलों की एक विशेषता है कि उसकी खुशबू दिन में नहीं आती, वह रात की बाहों में अपनी महक छोड़ती है और ज्यों-ज्यों रात गहराती है उसकी खुशबू का जादू रात के सन्नाटे में और अधिक हो जाता है। जिस शख्स ने भी उस करामाती महक का अनुभव किया होगा, वह उसकी भीनी महक भुला नहीं सकता। यदि रातरानी नहीं मिले तो इसकी जगह मोगरे के फूल का उपयोग कर सकते हैं।
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दरअसल, इसके फूल रात में स्नान करने दिनभर महकते रहते हैं। एक टब में इसके 15 से 20 फूलों के गुच्छे डाल दें और उस टब को शयन कक्ष या बैठक रूम में रख दें। दिनभर यह खूशबू महकती रहेगी। इससे आपका दिमाग तो शांत रहेगा ही साथ ही सभी तरह के मानसिक तनाव समाप्त हो जाएंगे। रातरानी की शक्तिशाली खुशबू का दवा के रूप में सांस की समस्याओं, नाक और गले की जलन, सिर दर्द, मतली में कारगर सिद्ध होती है ।
 
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वंदनवार:- आम या पीपल के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है। इसे अक्सर दीपावली के दिन द्वार पर बांधा जाता है। हालांकि इसे हमेशा बांधकर रखना शुभफलदायी है।
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वंदनवार इस बात का प्रतीक है कि देवगण इन पत्तों की भीनी भीनी सुगंध से आकर्षित होकर घर में प्रवेश करते हैं। वंदनवार बंधी रखने से घर परिवार में एकता व शांती बनी रहती है।

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