भारतीय संस्कृति के अनुसार हाथ मिलाना उचित नहीं माना जाता। अभिवादन के लिए दूर से ही नमस्कार करने की परंपरा है। मिलते वक्त 'नमस्कार' और विदा होते वक्त 'नमस्ते' कहते हैं। हाथ मिलाने की बजाय हाथ जोड़कर 'नमस्कार' करना चाहिए।
हाथ मिलाने का प्रचलन अंग्रेज काल में शुरू हुआ। अंग्रेजों ने हमें बहुत तरह के पाश्चात्य संस्कार दिए और हमें हमारी संस्कृति से दूर कर दिया। हाथ जोड़कर अभिवादन करने के कई फायदे हैं जबकि हाथ मिलाने के बहुत सारे नुकसान हैं।
आज से 200 वर्ष पूर्व इतना संक्रमण नहीं फैलता था, लेकिन आजकल हाथ मिलाने से ही संक्रमण ज्यादा फैलने लगा है। हमारे हाथों से खुद का चेहरा भी नहीं छूना चाहिए, क्योंकि दिनभर में हाथों में कई तरह के बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं। ऐसे में दूसरों से हाथ मिलाना कितना उचित है? हालांकि यह कोई बड़ा कारण नहीं है।
कारण कुछ और है, जानिए अगले पन्ने पर...
हमारे शरीर के आसपास एक एनर्जी सर्कल है। 80 प्रतिशत आंखों से और बाकी की ऊर्जा हमारे हाथ-पैरों से निकलती रहती है। यह नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही तरह की होती है। हमारे शरीर के आसपास लगभग 3 से 4 फीट की दूरी तक हमारी ऊर्जा का प्रभाव रहता है। अनुमानत: हमारी हाइट जितनी है उतनी ही दूर तक हमारी ऊर्जा का सर्कल है। यह बात वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित है कि विचार भी हमारे आसपास की चीजों को प्रभावित करते हैं।
हिन्दू ग्रंथों के अनुसार यथासंभव अपने शरीर का दूसरे के शरीर से स्पर्श किए बिना ही अभिवादन की प्रक्रिया पूरी हो जाना चाहिए। नमस्कार करते समय दायां हाथ बाएं हाथ से जुड़ता है। शरीर में दाईं ओर इड़ा और बांईं ओर पिंगला नाड़ी होती है तथा मस्तिष्क पर त्रिकुटि के स्थान पर सुषम्ना का होना पाया जाता है अत: नमस्कार करते समय इड़ा, पिंगला के पास पहुंचती है तथा सिर श्रद्धा से झुका हुआ होता है। इससे शरीर में आध्यात्मिकता का विकास होता है और शांतिमय मस्तिष्क बनता है तथा दूसरों के प्रति हमारे मन में और हमारे प्रति दूसरों के मन में अच्छी भावना का जन्म होता है।
इसके विपरीत हाथ मिलाने से हम अपने शरीर की ऊर्जा के परिमंडल में अनावश्यक रूप से दूसरे को घुसपैठ करने का अवसर प्रदान करते हैं। हाथ मिलाने से दो शरीरों की ऊर्जा आपस में टकराती है जिसका विपरीत प्रभाव न सिर्फ शरीर बल्कि मस्तिष्क पर भी पड़ता है। दूसरा यह कि कोई व्यक्ति हाथ मिलाते वक्त दूसरे के हाथों को दबाता है तो किसी के हाथ आवश्यकता से अधिक ठंडे और शिथिल होते हैं जिसके स्पर्श से आपके मन में नकारात्मकता का जन्म होता रहता है। तीसरा यह कि कुछ लोगों ऐसे होते हैं जिनमें दूसरों की ऊर्जा ग्रहण करने की क्षमता होती है। ऐसे में आपको नुकसान हो सकता है।
भारतीय समाज में स्त्रियों से हाथ मिलाकर अभिवादन करना तो बिलकुल ही वर्जित है। इसके पीछे और कोई कारण हो न हो, पर शरीर की विद्युतीय तरंगता का प्रभाव निश्चित रूप से रहता है। यह उसी तरह है कि हम दो + (प्लस) के तार को एक-दूसरे से मिला दें।
अत: हाथ मिलाने से जितना हो सके, आप बचें। यदि आप किसी मंत्र का जाप कर रहे हैं या कोई आध्यात्मिक साधना कर रहे हैं तो निश्चित ही आपको दूसरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए।-