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सागर किनारे – लक्षद्वीप

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अरब सागर की गोद में बैठे छोटे ये द्वीप अपनी सुंदरता में अद्वितीय और आकर्षक हैं। ये भारत के दक्षिण-पश्चिम किनारे पर स्थित हैं। मुख्य भूमि से दूर इनका प्राकृतिक सौंदर्य, प्रदूषणमुक्त वातावरण, चारों ओर समुद्र और इसका पारदर्शी तल पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। समुद्री जल में तैरती असंख्य प्रजातियों की रंगबिरंगी मछलियाँ इन द्वीपों की सुंदरता को चार चाँद लगा देती हैं। हर द्वीप पर नारियल व पाम के झूमते हरे-भरे वृक्ष हैं। और साथ है कोरा-कुँवारा समुद्र जिसका नीला पानी आपको अनोखी पवित्रता का अहसास कराता है।

लक्षद्वीप भारत के एकमात्र मूँगा द्वीप हैं। इन द्वीपों की श्रृंखला मूँगा एटोल हैं। एटोल मूँगे के द्वारा बनाया गई ऐसी रचना है जो समुद्र की सतह पर पानी और हवा मिलने पर बनती है। सिर्फ इन्हीं परिस्थतियों में मूँगा जीवित रह सकता है। यहाँ के निवासी केरल के निवासियों से बहुत मिलते-जुलते हैं। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है। अब केंद्र सरकार इन द्वीपों का पर्यटन की दृष्टि से तेजी से विकास कर रही है।

समुद्र जल में जो जीव सृष्टि है, वह धरातल के ऊपर के प्राणियों से कम सुंदर और आकर्षक नहीं है। ये द्वीप प्रकृति की एक अद्भुत देन हैं। यह आश्चर्य की बात है कि यहाँ की धरती का निर्माण मूँगों द्वारा किया गया। उन्होंने ही मानव के रहन-सहन के उपयुक्त बनाया। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है।

द्वीप
अगत्ती लक्षद्वीप का बेहद खूबसूरत लैगून में से है। यहाँ एयरपोर्ट भी है। लक्षद्वीप में यहीं से प्रवेश किया जाता है। यहीं पर 20 बिस्तरों वाला एक पर्यटक काम्पलैक्स भी है।

बंगारम
आँसू के आकार के इस द्वीप में चारों ओर क्रीमी रंग की रेत बिखरी हुई है। लक्षद्वीप के हर द्वीप की तरह यहाँ भी नारियल के वृक्ष सघन मात्रा में हैं जो दिन की तीखी गर्मी में भी ठंडक देते हैं।

कवरत्ती
कवरत्ती यहाँ की प्रशासनिक राजधानी है। यह सबसे अधिक विकसित भी है साथ ही यहाँ द्वीपवासियों के अलावा अन्य लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं। पूरे द्वीप में 52 मस्जिद हैं, सबसे खूबसूरत मस्जिद है उज्र मस्जिद। कहा जाता है कि यहाँ के पानी में चमत्कारी शक्ति है।

इस द्वीप में एक्वेरियम भी है जिसमें सुंदर मछलियों की प्रजातियाँ हैं। यहाँ काँच की तली वाली नौका में बैठकर आप समुद्री दुनिया का नजारा ले सकते हैं। इसके अलावा यहाँ वाटर स्पोर्ट्स जैसे केयाकिंग, कनोइंग और स्नोरकेलिंग का मजा भी ले सकते हैं।

कालपेनी
यहाँ तीन द्वीप हैं जिनमें आबादी नहीं है। इनके चारों ओर लैगून की सुंदरता देखने लायक है। कूमेल एक खाड़ी है जहाँ पर्यटन की पूरी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ से पित्ती और थिलक्कम नाम के दो द्वीपों को देखा जा सकता है। यहाँ आप तैर सकते हैं, रीफ पर चल सकते हैं, नौका में बैठकर घूम सकते हैं और कई वाटर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकते हैं।

कदमठ
एक जैसी गहराई और दूर अनंत तक जाते किनारे कदमठ को स्वर्ग बनाते हैं। यही एकमात्र द्वीप है जिसके पूर्वी और पश्चिमी दोनों ओर लैगून हैं। यहाँ वाटर स्पोर्ट्स की बेहतरीन सुविधाएँ हैं।

मिनिकॉय
यह कवरत्ती से 200 किमी दूर दक्षिण में है। मालदीव के करीब होने के कारण यहाँ भिन्न संस्कृति के दर्शन होते हैं। मिनिकॉय नृत्य परंपरा के मामले में बेहद समृद्ध है। विशेष अवसर पर यहाँ लावा नृत्य किया जाता है। यहाँ खासकर तूना मछली का शिकार और नौका की सैर आनंददायी है। अँग्रेजों के द्वारा 1885 में बनवाया गया प्रकाश स्तंभ देखने लायक है, पर्यटक यहाँ ऊपर तक जा सकते हैं।

कैसे जाएँ
हवाई मार्ग से
कोचीन से अगत्ती द्वीप तक सीधी हवाई सेवा है। अगत्ती से हेलिकॉप्टर या बोट के माध्यम से आगे जाया जा सकता है। दूसरे द्वीपों के लिए हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध है। पानी के जहाज से केरल के कोचीन से जहाज की सेवा भी उपलब्ध है।

कब जाएँ
अक्टूबर-नवंबर में यहाँ बारिश होती है और पानी के जहाज चलना बंद हो जाते हैं। फिर भी हेलिकॉप्टर के माध्यम से आप यहाँ जा सकते हैं। इन दिनों मौसम कुछ ठंडा हो जाता है लेकिन अन्य दिनों में गर्मी रहती है।

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