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पुरातन और प्रकृति का संगम तिरुवनंतपुरम्‌

हमें फॉलो करें पुरातन और प्रकृति का संगम तिरुवनंतपुरम्‌
दक्षिण भारत में इसे प्राकृतिक सुंदरता के कारण दक्षिण का काश्मीर कहा जाता है। केरल की इस सुंदर राजधानी को इसकी प्राकृतिक सुंदरता, सुनहरे समुद्र तटों और हरे-भरे नारियल के पेड़ों के कारण जाना जाता है। यह भारतीय और विदेशी सैलानियों के बीच प्रसिद्ध है।

भारत के दक्षिणी छोर पर स्थित तिरुवनंतपुरम्‌ (जिसे पहले त्रिवेंद्रम के नाम से जाना जाता था) को अरब सागर ने घेर रखा है। इसके बारे में कहा जाता है कि पौराणिक योद्धा भगवान परशुराम ने अपना फरसा फेंका था जो कि यहाँ आकर गिरा था। स्थानीय भाषा में त्रिवेंद्रम का अर्थ होता है कभी ना खत्म होने वाला साँप।

एक ओर जहाँ यह शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और औपनिवेशिक पहचान को बनाए रखने के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर इसे मंदिरों के कारण पहचाना जाता है। ये सारे मंदिर बहुत ही लोकप्रिय हैं। इन सबमें पद्मनाभस्वामी का मंदिर सर्वाधिक प्रसिद्ध है। शाब्दिक अर्थ में पद्मनाभस्वामी का अर्थ है कमल की सी नाभि वाले भगवान का मंदिर । तिरुवनंतपुरम्‌ के पास ही जनार्दन का भी मंदिर है।

यहाँ से 25-30 किमी दूर 'शिवगिरि' का मंदिर है जिसे एक महान समाज सुधारक नारायण गुरु ने स्थापित किया था। उन्हें एक धर्मनिरपेक्ष समाजसुधारक के तौर पर याद किया जाता है। यह कहना गलत न होगा कि तिरुवनंतपुरम्‌ की प्रकृति भी धर्मनिरपेक्ष है। शहर के बीचोंबीच एक पालयम स्थित है जहाँ एक मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर को एकसाथ देखा जा सकता है।

शहर के महात्मा गाँधी मार्ग पर जाकर कोई भी देख सकता है कि आधुनिक तिरुवनंतपुरम्‌ भी कितना पुराना है। इस इलाके में आज भी ब्रिटिश युग की छाप देखी जा सकती है। इस मार्ग पर दोनों ओर औपनिवेशिक युग की शानदार इमारतें मौजूद हैं। पब्लिक लाइब्रेरी, कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्‌स, विक्टोरिया जुबिली टाउन हॉल और सचिवालय इसी मार्ग पर हैं।

इनके अलावा, नेपियर म्यूजियम एक असाधारण इमारत है जिसकी वास्तुशैली में भारतीय और यूरोपीय तरीकों का मेल साफ दिखता है। यह म्यूजियम (संग्रहालय) काफी बड़े संकुल में फैला हुआ है जिसमें श्रीचित्र गैलरी, चिड़ियाघर और वनस्पति उद्यान हैं। पर संग्रहालय में सबसे ज्यादा देखने लायक बात राजा रवि वर्मा के चित्र हैं।

राजा रवि वर्मा का मुख्‍य कार्यकाल वर्ष 1848-1909 के बीच का रहा है। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता हिंदू महाकाव्यों और धर्मग्रंथों पर बनाए गए चित्र हैं। हिंदू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्‍तेमाल उनके चित्रों में दिखता हैं। इस संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।

तिरुवनंतपुरम कुछ वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों का भी केन्द्र है जिनमें विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज और एक ऐसा संग्रहालय है जोकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सभी पहलुओं से साक्षात्कार कराता है। भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रारंभिक प्रयासों का केन्द्र थुम्बा यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है।

शहर का पुराना बाजार क्षेत्र चाला बाजार अभी भी अपनी परंपरागत मोहकता के लिए जाना जाता है। त्रावणकोर रियासत के दौरान जेवरात, कपड़े की दुकानें, ताजे फलों और सब्जियों की दुकानें और दैनिक उपयोग की वस्तुएं यहीं एक स्थान पर मिल जाया करती थीं।

इतना ही नहीं, स्थानीय लोगों के लिए महाराजा और महारानी, भगवान पद्मनाभ के बाद सर्वाधिक महत्वपूर्ण थे। यहाँ के शासक भी परिष्कृत रुचियों के स्वामी थे। त्रावणकोर के एक महाराजा, स्वाति तिरुनाल ने तो कई भाषाओं में गीत लिखे और एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर छोड़ी। इसलिए यहाँ नवरात्रि के दिनों में जब संगीतकार भजन और गीत गाते हैं तो उन दिनों में उन्हें याद करना नहीं भूलते।

तिरुवनंतपुरम दक्षिण भारत का बड़ा पर्यटन केन्द्र है और देश के अन्य किसी शहर में इतनी प्राकृतिक सुंदरता, इतने अधिक मंदिरों और सुंदर भवनों का मिलना असंभव है। यहाँ पहुंचना भी मुश्किल नहीं है। केरल राज्य की यह राजधानी जल, थल और वायु मार्ग से देश के सभी क्षेत्रों से जुड़ा है।

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