अक्सर महिलाओं की शिकायत होती है कि उनकी ब्रा ठीक नहीं रहती है और इसे पूरी तरह से फिट भी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इसका एक बड़ा कारण यह है कि लिंगरी इंडस्ट्री में आज की जिन साइजों को लिया जाता है, वे प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान मिलिट्री यूनिफॉर्म के आधार पर ब्लाउज के आकार पर विकसित किए गए थे। इस कारण से मापने की पुरानी पद्धति के कारण से नई ब्रा का आकार भी पूरी तरह से फिट नहीं होता है।
इस मामले के जानकारों का कहना है कि वे इसका सही कारण जानते हैं। यह आश्चर्य का विषय है कि लिंगरी उद्योग द्वारा जो साइजिंग सिस्टम प्रयोग में लाया जाता है वह कम से कम एक सौ वर्ष पुराना है। इतना ही नहीं, यह पुरुषों की माप पर आधारित है।
एक ब्रा फिटिंग विशेषज्ञ, सू मैक्डोनाल्ड का कहना है कि ब्रा साइज का विकास ब्लाउस के आकारों पर किया गया है जो कि शुरू से ही, यानी प्रथम विश्व युद्ध से पुरुषों की सैन्य वदी (यूनिफॉर्म्स) के आधार पर बने हैं। उल्लेखनीय है कि सू ने ही नापने के सिस्टम्स की उत्पत्ति का पता लगाया है।
आलोचकों का कहना है कि यह माप आज की महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं है। एक विशेषज्ञ प्लास्टिक सर्जन अतुल खन्ना का कहना है कि उस समय की महिलाएं आमतौर पर पतली होती आई हैं और संभव है कि उनका फिगर भी थोड़ा बहुत लड़कों जैसा रहा हो। पर आज का फीमेल शेप बहुत अधिक सम्पूर्ण लगता है। ब्रिटेन में आज करीब 60 फीसदी महिलाएं मोटी या ओवरवेट हैं। इसका मतलब है कि लाखों महिलाओं को आज ऐसी ब्रा पहनने को मिल सकती है जो कि उन्हें सही तरीके से फिट नहीं बैठती है।
पोर्टसमाउथ यूनिवर्सिटी में ब्रेस्ट हैल्थ की विशेषज्ञ जोआना स्कर का कहना है कि कप साइजिंग कभी भी डी साइज से अधिक नहीं डिजाइन किया गया था। इसलिए हमारी रिसर्च बताती है कि जैसे ही ब्रेस्ट बड़े होते जाते हैं, मापने का पैमाना कम सही-सही होता जाता है। ब्रा साइजिंग एक बड़ा मुद्दा बन जाता है, जबकि ब्रेस्ट्स और बॉडी बड़ी होती जाती है। हम जानते हैं कि ब्रिटेन और दुनिया के अन्य भागों में महिलाएं आकार में अधिक बड़ी होती जा रही हैं और इस कारण से हम ब्रेस्ट साइज में भी बढ़ोतरी देख रहे हैं।
हो सकती हैं इस तरह की शरीरिक तकलीफें... पढ़ें अगले पेज पर....
वे कहती हैं कि उन्होंने ऐसी रिपोर्ट्स भी देखी हैं, जिनमें जेडजेडजेड साइज की महिलाएं भी हैं और हमारा सिस्टम इस तरह के मापन के लिए कभी भी नहीं बना था। खन्ना ब्रेस्ट रिडक्शन के ऑपरेशन करते हैं और उनका कहना है कि सर्जरी इस हालत का एकमात्र विकल्प है।
आप ओवरवेट महिलाओं से पूछ सकती हैं कि क्या वे खराब फिटिंग ब्रा के कारण कमर और गर्दन के दर्द से पीडि़त नहीं रहती हैं। ऐसी दस में से नौ महिलाओं का कहना था कि उनकी ब्रा तकलीफ देह है। हालांकि इनमें से ज्यादातर पेशेवर तौर पर फिट पाई गई हैं। इनके कारण फुंसी, चकत्ता या ददोरे होना आम बात है और पांच में से दो महिलाओं का कहना है कि उनकी ब्रा अपनी रगड़ से शरीर को गर्म कर देती है।
इतना ही नहीं, करीब 35 फीसदी के कंधों में त्वचा संक्रमण हो जाता है, बीस फीसद की गर्दन में दर्द होता है और इतनी ही महिलाओं को कमर में दर्द होता है। यह समस्या केवल मोटी महिलाओं के लिए ही नहीं है। बड़ी स्तनों वाली दुबली पतली महिलाओं को भी ऐसी ही दिक्कत होती है। ऐसा साइजिंग सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होता है। इन्हें भी ऐसी ब्रा दी जाती हैं जो कि पीछे से बहुत छोटी होती हैं और इनके लिए बहुत सख्त होती हैं।
वर्तमान में दो तरह से नाप लिए जाते हैं एक ब्रेस्ट के नीचे से और दूसरा ब्रेस्ट के ऊपर से। अंडर ब्रेस्ट से बैक साइज तय होती है जैसे कि 32 या 34 लेकिन इसमें भी अंतर आ सकता है। ओवर द ब्रेस्ट कप साइज तय करता है जैसे कि सी या डी। जबकि जरूरत ऐसी ब्रा रेंज की जोकि तीन मापों का ध्यान रखे और जो शरीर को बेहतर शेप में बनाए रखने में मदद करे।