बदलते युग के बदलते तौर तरीके। महानगरों की जीवनशैली तेज़ी से बदली है और साथ ही बदला है यहां का समाज। महानगरों में लगातार बाहर के लोग आकर रहा रहे हैं, यहां बस रहे हैं और अपना रहे हैं आधुनिक (?) जीवनशैली।
इस जीवनशैली का हिस्सा है शादी से पहले सेक्स। पहले इस मुद्दे पर बात करना भी गलत माना जाता था, लेकिन अब कई गैर सरकारी संस्थाएं ऐसे सर्वे करती हैं, टॉक शो करती हैं, जहां ऐसे मुद्दों पर लड़कों के साथ साथ लड़कियां भी खुलकर अपने विचार रखती हैं।
ऐसे ही एक टॉक शो में एक लड़की रिंकी (परिवर्तित नाम) अपने विचार व्यक्त करते हुए यहां तक कह दिया था कि कॉलेजों में कंडोम मशीन लगवा देनी चाहिए, जिससे असुरक्षित सेक्स की चिंता से छुटकारा पाया जा सके।
इस पर इसी शो में भाग ले रहे एक वक्ता ने आपत्ति ली कि आप कॉलेज को समझती क्या हैं? यहां स्टूडेंट पढ़ाई करने आते हैं या सेक्स करने?
जवाब में इस लड़की ने कहा कि आप क्या चाहते हैं, असुरक्षित सेक्स करने से तो अच्छा है कि इसमें सावधानी बरती जाए। अगर लड़का लड़की उस समय कंडोम उपलब्ध नहीं होने के कारण असुरक्षित यौन संबध बनाते हैं तो क्या आपको यह स्थिति मंजूर होगी कि उन्हें कोई यौन संक्रामक रोग हो जाए? इस रिंकी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि आप सेक्स करने से किसी को रोक नहीं सकते।
विदेशों में कई कॉलेजों में कंडोम मशीनें अनिवार्य रूप से लगाई जाती हैं और भारत में भी कई सार्वजनिक स्थानों पर कंडोम मशीन लगाई गई हैं। हालांकि स्कूल और कॉलेज इससे अछूते हैं। जबकि विदेशों में यह आम बात है।
विदेशों में कॉलेजों के अलावा वहां बस स्टॉप, रेलवे स्टेशनों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर भी कंडोम मशीन लगाई जाती हैं। और रिंकी जैसी लड़कियों के विचार यहीं से प्रभावित होते हैं।
विदेश के तौर तरीके आधुनिक होने के नाम पर अपनाना क्या सही है? क्या ज़रूरी है कि हम भारत में खुले आम सेक्स पर बातें करेंगे, तभी दुनिया हमें आधुनिक कहेगी? क्या आधुनिक होने के लिए इस तरह के प्रमाण देने की वाकई ज़रूरत है? (वेबदुनिया न्यूज)